नई दिल्ली-केंद्र के नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से किसान विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच बुधवार को तीन सदस्यीय एक समिति ने एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। इस समिति को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि किसानों के साथ बैठक के बाद और मामले में समाधान खोजने के लिए लगभग 85 किसान संगठनों से परामर्श किया है।दरअसल तीन नए अधिनियमित खेत कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता के लिए सरकार का विरोध कर रहे हैं।
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर सोमवार को होली और ‘होला मोहल्ला’ मनाया। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि उनका आंदोलन तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक अलग कानून बनाए जाने तक जारी रहेगा। किसान सिंघू, टिकरी और गाज़ीपुर बॉर्डरों पर पिछले साल नवंबर के अंत से केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ डेरा डाले हुए हैं।
किसानों ने 26 मार्च को कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के तहत भारत बंद बुलाया था। किसानों की ओर से आहूत भारत बंद के दौरान पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में सड़क और रेल यातायात अवरुद्ध रहा था, वहीं देश के अन्य हिस्सों में बंद का आंशिक असर दिखाई दिया था। किसानों ने पंजाब और हरियाणा में अनेक स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों एवं अन्य प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध किया था। उन्होंने दोनों राज्यों में कई जगहों पर रेल पटरियों को अवरुद्ध किया था।