सोशल मीडिया पर इन दिनों छाये गीत 'एक प्यार का नगमा है' के लेखक संतोष आनंद आज भी गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। संतोष आनंद को जीवनयापन के लिए कवि सम्मेलनों के भरोसे होना पड़ गया है।
'एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है... जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है...' को गाकर स्टेशन पर भीख मांगने वाली रानू मंडल की किस्मत बदल गई। रानू शोहरत की बुलंदियों पर हैं मगर जिसने इस गाने की रचना की उसकी सुध कोई भी बॉलीवुड का सितारा नहीं ले रहा है।
मशहूर कवि और फिल्मी गीतों के लेखक संतोष आनंद एक प्रतिष्ठित कलाकार हैं. जिन्होंने लगातार दो बार फिल्मफेयर अवार्ड जीता हैं. संतोष ने अपने अप्रतिम गीतों से भारतीय फिल्म जगत में एक अलग पहचान बनाई हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | संतोष आनंद |
जन्म (Birth) | 5 मार्च 1940 |
जन्म स्थान (Birth Place) | सिकंदराबाद |
कार्यक्षेत्र (Profession) | गीतकार |
पुत्र (Son) | संकल्प आनंद |
सम्मान (Awards) | फिल्मफेयर पुरस्कार और यश भारती |
संतोष आनंद का जन्म 5 मार्च 1940 को सिकंदराबाद में हुआ. युवा अवस्था में ही एक दुर्घटना में ये एक टांग से विकलांग हो गए थे. शादी के दस साल बाद बड़ी मन्नतों से इन्हें पुत्र प्राप्त हुआ. इनके बेटे का नाम संकल्प आनंद हैं. और एक बेटी शैलजा आनंद हैं. संकल्प गृह मंत्रालय विभाग में कार्यरत थे. संकल्प ने अपने पिता को बगेर बताएं शादी कर ली थी. अक्टूबर 2014 में संकल्प आनंद ने अपनी पत्नी के साथ खुदख़ुशी कर ली थी.
संतोष आनंद ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म “पूरब और पश्चिम” से वर्ष 1970 में की. इस फिल्म का संगीत कल्याण जी आनंदजी द्वारा निर्माण किया गया था. वर्ष 1972 में इन्होने फिल्म शोर के लिए “एक प्यार का नगमा” गीत लिखा था. यह गीत उनका सबसे पसंदीदा गीत था. इस गीत का संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल द्वारा बनाया गया था. और इस गीत को स्वर कोकिला लता मंगेशकर और मुकेश ने अपनी आवाज दी थी. वर्ष 1974 में फिल्म रोटी, कपडा और मकान के लिए कई गीत लिखे थे. इस फिल्म के गीत “मैं ना भूलूंगा” के लिए इन्हें अपने करियर का पहला फिल्म फेयर अवार्ड मिला था.
वर्ष 1981 में इन्होने क्रांति फिल्म के गीत लिखे थे. यह फिल्म उस वर्ष की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी. इसी साल इन्होने फिल्म प्यासा सावन के लिए गीत “तेरा साथ हैं तो” और “मेघा रे मेघा” लिखा था. जिसके बाद इन्हें प्रेम रोग फिल्म के गीत के लिए फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया. संतोष आनंद ने कुल 26 फिल्मों में 109 गाने लिखे हैं. इनके गीतों को लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, मोहम्मद अजीज, कुमार शानू और कविता कृष्णमूर्ति जैसे प्लेबैक सिंगर्स ने आवाज दी हैं. शोमैन राजकपूर और अभिनेता मनोज कुमार की अनेक फिल्मों में इन्होने गाने लिखे.
संतोष आनंद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के प्रसिद्द गीतकार रहे हैं. उन्होंने अपने करियर में निम्न फिल्मों के गीत लिखे हैं.
संतोष आनंद ने कुल 26 फिल्मों में 109 गाने लिखे हैं।
फ़िल्म: शोर (1972)
संगीत: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार: संतोष आनंद
गायक: लता मंगेशकर, मुकेश
एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है
कुछ पाकर खोना है, कुछ खोकर पाना है
जीवन का मतलब तो, आना और जाना है
दो पल के जीवन से, इक उम्र चुरानी है
तू धार है नदिया की, मैं तेरा किनारा हूँ
तू मेरा सहारा है, मैं तेरा सहारा हूँ
आँखों में समंदर है, आशाओं का पानी है
संगीत: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार: संतोष आनंद
गायक: मुकेश, लता मंगेशकर
मैं ना भूलूंगा, मैं ना भूलूंगी
इन रस्मों को, इन कसमों को
इन रिश्ते नातों को
चलो जग को भूले, ख़यालों में झूले
बहारों में डोले, सितारों को छू ले
आ तेरी मैं माँग सवारूँ , तू दुल्हन बन जा
माँग से जो दुल्हन का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
समय की धारा में, उमर बह जानी है
जो घड़ी जी लेंगे, वही रह जानी है
मैं बन जाऊँ साँस आखिरी, तू जीवन बन जा
जीवन से साँसों का रिश्ता, मैं ना भूलूंगी
संगीत: लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार: संतोष आनंद
गायक: लता मंगेशकर, सुरेश वाडेकर
मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे
आज तू प्रेम का संदेस बरसा रे
कहाँ से तू आया, कहाँ जायेगा तू
कि दिल की अगन से, पिघल जायेगा तू
धुआं बन गयी है ख्यालों की महफ़िल
मेरे प्यार की जाने, कहाँ होगी मंज़िल
मेघा रे मेघा रे
मेरे गम की, तू दवा रे
बरसने लगीं हैं बूँदें, तरसने लगा है मन
ज़रा कोई बिजली चमकी, नरजने लगा है मन
और ना डरा तू मुझको, ओ काले काले घन
मेरे तन को छू रही है, प्रीत की पहली की पवन
मेघा रे मेघा रे
मेरी सुन ले तू सदा रे
संगीत: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीतकार: संतोष आनंद
गायक: लता मंगेशकर, नितिन मुकेश
ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
लम्बी-लम्बी उमरिया को छोड़ो
प्यार की इक घड़ी है बड़ी
प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
उन आँखों का हँसना भी क्या
जिन आँखों में पानी न हो
वो जवानी, जवानी नहीं
जिसकी कोई कहानी न हो
आँसू हैं ख़ुशी की लड़ी
फ़िल्म: प्रेम रोग (1982)
सगीत: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीतकार: संतोष आनंद
गायक: लता मंगेशकर
ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना न दोबारा
अब हम तो भए परदेसी, के तेरा यहाँ कोई नहीं
ले जा रँग-बिरंगी यादें, हँसने रोने की बुनियादें
मेरे हाथों में भरी-भरी चूड़ियाँ, मुझे भा गई हरी हरी चूड़ियाँ
देख मिलती हैं तेरी-मेरी चूड़ियाँ, तेरे जैसी सहेली मेरी चूड़ियाँ
तूने पीसी वो मेहँदी रँग लाई, मेरी गोरी हथेली रचाई
तेरी आँख क्यों लाडो भर आई, तेरे घर भी बजेगी शहनाई
सावन में बादल से कहना, परदेस में मेरी बहना