अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर खुलासा किया है. NASA ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उसके उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ लिया है.
NASA के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला. मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सेल के हैं. NASA ने रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी की और बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं.
आपको बता दें चेन्नई के कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर शनमुग सुब्रमण्यम द्वारा दिए गए सबूतों पर रिसर्च करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम लैंडर का मलबा मिलने की पुष्टि की है. इसे इसरो से इसका संपर्क टूटने के 87 दिन बाद तलाशा गया. नासा ने अपने ऑर्बिटर एलआरओ से ली गई तस्वीरें जारी की हैं. इनमें विक्रम के टकराने की जगह और बिखरा हुआ मलबा दिखाया है. नासा ने खोज में मदद के लिए सुब्रहण्यम को धन्यवाद दिया है.
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी थी. हालांकि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था. विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से अलग हुआ था.
नासा द्वारा लैंडर के मलबे को खोज लेने की तस्वीर जारी करने के बाद जब भास्कर ने इसरो से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की तो चेयरमैन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. हालांकि, इसरो के आधिकारिक प्रवक्ता ने एसएमएस के जरिए कहा कि "वी हैव नो कमेंट ऑन दिस ऑफर" यानी इस बारे में हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. जब शनमुग से इस बारे में हमने पूछा तो उन्होंने कहा कि मैंने इसरो को जानकारी नहीं दी थी. नासा को ही मैंने यह सूचना भेजी थी. मलबे की खोज की पुष्टि के बाद इसरो ने मुझसे संपर्क नहीं किया. इसरो संपर्क करता तो अच्छा लगता.