देश के लिए आज बेहद खास दिन है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में इतिहास रचने से बच चंद घंटे दूर है। इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) को लेकर 'बाहुबली' रॉकेट दोपहर दो बजकर 43 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा। इसके लिए रविवार शाम छह बजकर 43 मिनट पर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इसरो के प्रमुख के सिवन ने कहा है कि मिशन चंद्रयान-2 पूरी तरह से कामयाब सबित होगा और चंद्रमा पर नई चीजों की खोज करने में सफल रहेगा।
लॉन्च देखने के लिए देशभर से हजारों लोग श्रीहरिकोटा पहुंच रहे हैं। इसरो के अधिकारी के मुताबिक रॉकेट के प्रक्षेपण को देखने के लिए कुल 7,500 लोगों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है। इसरो ने हाल ही में लॉन्च को देखने के लिए आम जनता को अनुमति दी है। लोगों के इसरो ने लगभग 10 हजार लोगों की क्षमता वाली एक गैलरी बनाई है।
चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने की जिम्मेदारी इसरो ने अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट जियोसिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल- मार्क 3 (जीएसएलवी-एमके 3) को दी है। इस रॉकेट को स्थानीय मीडिया से 'बाहुबली' नाम दिया गया है। 640 टन वजनी रॉकेट की लागत 375 करोड़ रुपये है।
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे। लैंडर विक्रम सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरेगा। लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर अन्य प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर के काम करने की कुल अवधि 14 दिन की है। चांद के हिसाब से यह एक दिन की अवधि होगी।