सराफा कारोबारियों के यहां छापेमारी के पांचवें दिन आयकर विभाग की टीमों को बड़ी सफलता मिली। आयकर विभाग ने पाया कि लखनऊ की अस्तित्वहीन फर्मों से सराफा कारोबारियों के पास हर वर्ष 1200 करोड़ रुपये आ रहे थे। छापे के पांचवें दिन बिरहाना रोड स्थित राधामोहन ज्वैल्स एंड लिमिटेड के शोरूम और घर को छोड़कर बाकी 15 जगह कार्रवाई खत्म हो गई। हालांकि देर रात टीम नयागंज स्थित सराफा कारोबारी के यहां फिर पहुंच गई।
अब तक की कार्रवाई में 650 करोड़ रुपये का बोगस लेन-देन पकड़ा जा चुका है। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई है और आठ करोड़ रुपये की नकदी है व आठ करोड़ रुपये के जेवर सीज किए हैं। आयकर अधिकारियों ने गुरुवार को बिरहाना रोड स्थित रामनाथ ज्वैल्स एंड लिमिटेड, चौक सराफा स्थित रामनाथ पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स, नयागंज स्थित मोनिका ज्वैलरी, द्वारिका प्रसाद महादेव प्रसाद ज्वैलर्स और एमराल्ड गार्डन हाउसिंग के प्रमोटर के यहां छापे मारे थे।
अधिकारियों के मुताबिक बिरहाना रोड और चौक के कारोबारी के पास लखनऊ की तीन फर्मों से हर वर्ष 1200 करोड़ रुपये आ रहा था। जांच में तीनों फर्मों का अस्तित्व ही नहीं मिला। यह राशि अलग-अलग माध्यम से घुमाकर लाई जा रही थी। वहीं दूसरी ओर सोमवार को भी 400 करोड़ रुपये के बोगस लेन-देन और पकड़े गए, एक दिन पहले टीमों ने 250 करोड़ रुपये का खेल पकड़ा था। आयकर अधिकारियों ने छापेमारी के दौरान एक औद्योगिक घराने से भी बड़े सराफा कारोबारी के लेन-देन के संबंध पकड़े हैं। इसके अलावा आधा दर्जन हार्ड डिस्क मिलीं जिनमें करीब दो दर्जन कारोबारियों से उनके लेन-देन की जानकारी मिली है। आयकर अधिकारियों ने अहमदाबाद, चेन्नई और मुंबई में भी छापे मारे। यहां बिरहाना रोड के सराफा कारोबारी के बेटे के कार्यालय हैं।
बुलियन और ज्वैलरी काराेबारियों के प्रतिष्ठानों पर आयकर छापों में शहर के लगभग 25 बड़े कारोबारियों के साथ एक प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने से भी संदिग्ध लेनदेन के सबूत मिले हैं। प्रतिष्ठानों के मालिक अग्रवाल परिवार के सदस्य इस लेनदेन के संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं कर पाए।
लेनदेन का ब्योरा आधा दर्जन पैन ड्राइव और हार्ड डिस्क में मिला, जिनमें पासवर्ड लगा हुआ था। विभाग ने अब इसकी अलग से जांच शुरू कर दी है। छापे में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी भी पकड़ी गई। छापे की कार्रवाई अब खत्म हो गई। सूत्रों का कहना है कारोबारियों ने आयकर अफसरों से सरेंडर करने और आयकर चुकाने की पेशकश की, जिसे अफसरों ने ठुकरा दिया। सोमवार को विदेश से लौटे संजीव झुनझुनवाला और अमरीष अग्रवाल से भी टीमों ने पूछताछ की। वहीं नयागंज स्थित एक प्रतिष्ठान को सील किया गया। इसे सौरभ बाजपेई ने किराये पर दे रखा था। छापे के बाद से यह बंद था।
बताते चलें कि आयकर के 250 से ज्यादा अफसरों ने बृहस्पतिवार को राधा मोहन पुरुषोत्तम दास ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड और फर्म राधा मोहन पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स के अमरनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल और इन दोनों के बेटे अमरेष अग्रवाल, अभिषेक अग्रवाल के प्रतिष्ठानों व आवास पर छापा मारा था। इनके सहयोगी सुरेंद्र जाखोदिया, सौरभ बाजपेई, एमरल्ड के प्रमोटर और रितु हाउसिंग के संजीव झुनझुनवाला प्रतिष्ठानों पर भी कार्रवाई की थी। अग्रवाल भाइयों की कंपनी का सालाना टर्नओवर 14 हजार करोड़ है वहीं फर्म का सालाना टर्नओवर 1700 करोड़ है।
पैन ड्राइव और हार्ड डिस्क को पहले तो अग्रवाल परिवार ने खाली बताया। लेकिन पासवर्ड लगा होने के कारण अफसरों को शक हुआ और इन्हें आईटी सेल से खुलवाया तो इनमें बड़े कारोबारियों व बड़े औद्योगिक घराने से खरीद-फरोख्त का ब्योरा मिला। पैन ड्राइव और हार्ड डिस्क में जिनके नाम मिले हैं, उन सभी का कई साझा प्रोजेक्टों में पैसा लगा है। किसी के नाम पांच किलो तो किसी के नाम 15 किलो सोना खरीद का ब्योरा दर्ज है। सूत्रों को आशंका है कि काला धन खपाने के लिए ऐसा किया गया। छापे में सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की कर चोरी के साथ ही 250 करोड़ की फर्जी खरीद और फर्जी लोगों से किए गए 400 करोड़ के लेनदेन का भी पता चला है। छापे में आठ करोड़ की नकदी और आठ करोड़ का सोना-चांदी जब्त किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि संजीव झुनझुनवाला के प्रतिष्ठानों से तमाम संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। अग्रवाल परिवार के साथ इनके एक नंबर में सिर्फ 25 से 30 करोड़ के लेनदेन मिले हैं, जबकि अन्य संदिग्ध हैं। यह रकम रियल इस्टेट में खपाई जा रही थी। एमरल्ड में भी बड़े पैमाने पर निवेश के प्रमाण मिले हैं। अमरनाथ अग्रवाल के पुत्र अमरीष अग्रवाल की भूमिका हर लेनदेन में है।