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चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 23rd August , 2023 03:56 pm

चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करेगा। इसे 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। लैंडिंग होते ही यह 41 दिन में 3।84 लाख किमी का सफर तय कर नया इतिहास लिखेगा। इसरो ने कहा कि सभी सिस्टम नॉर्मल हैं। बेंगलुरु ऑफिस में मिशन ऑपरेशन टीम की तैयारी पूरी है। 5:44 बजे जैसे ही लैंडर सही पोजिशन पर आएगा, टीम ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस लॉन्च कर देगी।

लैंडर के चांद पर उतरते ही रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर इससे चांद की सतह पर आएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर सेंड करेंगे। अगर भारत इस मिशन में सफल रहा तो चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश होगा। इसरो के बेंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा वैज्ञानिक कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे। वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए।

लैंडिंग का लाइव इवेंट शाम 5:20 बजे से शुरू होगा। इस इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्चुअली जुड़ेंगे। अभी वो साउथ अफ्रीका में हैं इसलिए वर्चुअली शामिल हो रहे हैं। वहीं मिशन की सफलता के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी जगह-जगह पर हवन कराए जा रहे हैं।

घड़ी की टिक-टिक के साथ हर भारतवासी के दिल की धड़कन भी बढ़ रही है। आज ऐतिहासिक दिन है। कुछ ही घंटों में वो लम्हा आने वाला है जब भारत का चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा कारनामा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर इस वक्त चांद के चारो ओर चक्कर काट रहा है। शाम को विक्रम लैंडिंग की कोशिश करेगा। इसरो चीफ एस सोमनाथ और उनकी पूरी टीम को पूरा यकीन है कि लैंडिंग सफल होगी और देश इतिहास रचेगा। इसरो की टीम यान की लगातार निगरानी कर रही है। इसमें उसका साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा समेत दुनियाभर की एजेंसियां भी कर रही हैं।

इस बीच चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले इसरो ने कमांड सेंटर की तस्वीर शेयर की है। इसरो ने ट्वीट किया, "स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। लगभग 17:44 बजे निर्धारित बिंदु पर लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। एएलएस कमांड प्राप्त होने पर, एलएम संचालित वंश के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करता है। मिशन संचालन टीम आदेशों के क्रमिक निष्पादन की पुष्टि करती रहेगी। एमओएक्स में संचालन का सीधा प्रसारण 17:20 बजे शुरू होगा।

भारत का तीसरा चंद्र मिशन, चंद्रयान-3, चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। 14 जुलाई को लॉन्च किया गया चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आज शाम 6।04 मिनट पर सफल लैंडिंग करेगा। यह पहला भारतीय यान होगा, जो चांद पर लैंडिंग करेगा। इसके अलावा दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का कारनामा करने वाला दुनिया का पहला देश भी बन जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष उद्यम को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ-साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने भी जमीनी समर्थन दिया है। ये अंतरिक्ष यान को ट्रैक करने में मदद कर रहे हैं।

इसरो एक गहरे अंतरिक्ष ट्रैकिंग स्टेशन का संचालन करता है जो इसे अपने अंतरिक्ष यान से टेलीमेट्री और वैज्ञानिक डेटा का पता लगाने, ट्रैक करने, कमांड करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। बेंगलुरु में इसरो का टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) इसरो के उपग्रह और लॉन्च मिशनों को ट्रैक करने और समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रिमोट सेंसिंग और वैज्ञानिक उपग्रहों के लिए मिशन संचालन का प्रबंधन करता है। प्रक्षेपण से लेकर उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने तक टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड सेवाएं प्रदान करता है और उपग्रह की प्रारंभिक कक्षा का अनुमान लगाता है। इस्ट्रैक ने चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान पर नज़र रखने में मदद की है।

इसरो के पास अंतरिक्ष यानों को ट्रैक करने के लिए पर्याप्त उपकरण जरूर हैं लेकिन, चंद्रयान -3 जैसे दुर्लभ अंतरिक्ष अभियानों के लिए, आवश्यक ट्रैकिंग का एक वैश्विक नेटवर्क चाहिए होता है क्योंकि, जब अंतरिक्ष यान इसरो एंटीना के दृश्य क्षेत्र से बाहर होगा तो उसे ट्रैक करने या कमांड करने की आवश्यकता होगी। ऐसे में इसरो को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों की मदद भी मिल रही है। इसरो नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग करता रहा है। उनके पास दुनिया भर में कई ट्रैकिंग स्टेशन हैं। जैसे हवाई में साउथ पॉइंट सैटेलाइट स्टेशन, कैलिफोर्निया में गोल्डस्टोन, फ्रेंच गुयाना में कौरौ, स्पेन में मैड्रिड, यूके में गोनहिली और ऑस्ट्रेलिया में कैनबरा। ये स्टेशन चंद्रयान-3 को विभिन्न कोणों से लगातार ट्रैक कर रहे हैं, जिससे यह मुमकिन हो रहा है कि यान का हर कोण दृष्यमान रहे और इसे चंद्रमा की ओर सुरक्षित रूप से लैंडिंग किया जा सके।

फ्रेंच गुयाना के कोउरू में ईएसए के 15 मीटर एंटीना का उपयोग लॉन्च के बाद के दिनों में चंद्रयान -3 को ट्रैक करने के लिए किया गया था। जैसे ही अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकला, ईएसए ने यूके में गोनहिली अर्थ स्टेशन द्वारा संचालित एंटीना से ट्रैकिंग शुरू किया था। नासा का डीप स्पेस नेटवर्क भी चंद्रयान-3 की संचालित यात्रा को सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह ट्रैकिंग कवरेज और टेलीमेट्री सहायता प्रदान कर रहा है। यह महत्वपूर्ण कार्य मैड्रिड डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स में संचालित डीएसएस-65 के अलावा, कैनबरा डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स में स्थित डीप स्पेस स्टेशनों डीएसएस-36 और डीएसएस-34 द्वारा पूरा किया जा रहा है। ये स्टेशन सामूहिक रूप से यान की आवश्यक निगरानी और संचार सुनिश्चित कर रहे हैं।

पाकिस्तान के पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने देश के मीडिया को प्रस्ताव दिया कि आज भारत के चंद्रयान-3 लैंडिंग कार्यक्रम का प्रसारण करे। उन्होंने इस मिशन को मानव जाति के लिए ऐतिहासिक क्षण बताते हुए भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष समुदाय को बधाई भी दी। फवाद चौधरी ने मंगलवार को एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर शेयर की गई एक पोस्ट में लिखा: "पाक मीडिया को कल शाम 6:15 बजे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग को लाइव दिखाना चाहिए।।।मानव जाति के लिए ऐतिहासिक क्षण, विशेष रूप से लोगों, वैज्ञानिकों और भारतीय अंतरिक्ष समुदाय के लिए .... बहुत बहुत बधाई।

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