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ताइवान को 1.8 अरब डॉलर के हथियार बेचेगा अमेरिका

[Edited By: Rajendra]

Friday, 23rd October , 2020 02:14 pm

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ताइवान को 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत के उन्नत हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है। अमेरिका के इस कदम से चीन भड़क गया है जिससे वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव बढ़ने के पूरे आसार हैं। अमेरिका और चीन के बीच कारोबार, तिब्बत, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों पर पहले से ही टकराव जारी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इस बात का चीन-अमेरिकी रिश्तों पर गहरा असर होगा।

अमेरिका की तरफ से हथियारों की बिक्री की मंजूरी मिलने के बाद ताइवान के रक्षा मंत्री येन डे फा ने कहा, "वह चीन के साथ हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता है लेकिन उसे अपने भरोसेमंद युद्धक क्षमता की जरूरत है।" 

अमेरिका ने ताइवान को जिन हथियारों को बिक्री की मंजूरी दी है उनके तहत अमेरिका सतह पर मार करने वाली एक अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य की 135 मिसाइलें और उपकरण ताइवान को देगा। इनके अलावा लॉकहीड मार्टिन कॉर्प द्वारा बनाए गए 40 करोड़ डॉलर के करीब की रकम वाले 11 ट्रक-आधारित रॉकेट लांचर भी ताइवान को बेचेगा। इसके साथ ही जेनरल एटोमिक्स के बनाए ड्रोन और बोइंग के बनाए लैंड बेस्ड हारपून एंटीशिप मिसाइल के लिए जल्द ही अमेरिकी संसद से अधिसूचना आने के बात चल रही है। 

ताइवान ने अपनी "विषम युद्धक" क्षमता बढ़ाने की बात कही है। इसका मकसद है चीन की ओर से किए गए किसी भी हमले को मुश्किल और खर्चीला बनाना। ताइवान रक्षा मंत्री येन ने कहा है कि अमेरिकी हथियारों से ताइवान अपनी सुरक्षा क्षमता को मजबूत कर सकेगा और साथ ही "नई परिस्थितियों में दुश्मनों के खतरे" का सामना कर सकेगा।

अमेरिका की तरफ से हथियारों की बिक्री को मंजूरी मिलने के बाद ताइवान के रक्षा मंत्री येन डे फा ने कहा कि हथियारों के इस सौदे से "यह जाहिर होता है कि अमेरिका इंडो पैसिफिक और ताइवान की खाड़ी की सुरक्षा को कितनी अहमियत देता है।" 

येन का कहना है कि अमेरिकी हथियारों से ताइवान अपनी सुरक्षा क्षमता को ज्यादा मजबूत कर सकेगा। उन्होंने कहा, हम अमेरिका से मजबूत रिश्ते बनाएंगे। 

बता दें कि कई वर्षों से चीन सरकार ताइवान पर अपना अधिकार होने का दावा करती रही है। ऐसे में अमेरिका का अलग से ताइवान से रिश्ते बनाना और उसे हथियारों की आपूर्ति करना उसे नागवार गुजर रहा है।

ताइवान अपने तटों की सुरक्षा को मजबूत करना चाहता है। इस दिशा में हारपून एंटीशिप मिसाइल ताइवान के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए रक्षा आधुनिकीकरण को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। 

अमेरिका और चीन के संबंधों में 'वन चाइना पॉलिसी' के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। अमेरिका वन चाइना पॉलिसी को स्वीकार करते हुए भी ताइवान के साथ एक मजबूत अनाधिकारिक संबंध बनाए रखने की बात करता आया है। इस रिश्ते के तहत ताइवान को खुद की रक्षा के लिए हथियारों की बिक्री की भी मंजूरी दी गई है। वहीं, ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है। 

वर्तमान में अमेरिका और चीन व्यापार के मुद्दे पर भी आमने-सामने हैं और इनके बीच टकराव के भी आशंका बढ़ रही है। जानकारों के मुताबिक ताइवान को लेकर अमेरिका की दिलचस्पी, इसी टकराव और चीन पर नकेल डालने की कोशिश है। 

अमेरिका ने चीन की सरकारी मीडिया कंपनियों पर भी निगरानी बढ़ा दी है। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को छह चीनी मीडिया कंपनियों को विदेशी मिशन का दर्जा दे दिया। उन्हें अब चीन की कम्युनिस्ट सरकार की संस्था माना जाएगा। 

इससे पहले मार्च में अमेरिकी सरकार ने चीनी मीडिया कंपनियों को विदेशी मिशन के रूप में अपना पंजीकरण कराने के लिए कहा था और अमेरिका में काम करने वाले चीनी पत्रकारों की संख्या 160 से घटाकर 100 कर दी । 

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