चीन अपने यहां काम कर रही अमेरिकी कंपनियों पर इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए दबाव डाल रही थीं. लेकिन डब्ल्यूटीओ के तीन सदस्यीय पैनल ने कहा कि अमेरिका ने सिर्फ चीन के खिलाफ एक्शन लिया और जो ड्यूटी लगाया गया वह अधिकतम दरों से भी ज्यादा थी.
चीन और अमेरिका के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से ट्रेड वॉर चल रहा है. दोनों के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन इसे खत्म करने पर सहमति नहीं बन पाई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि चीन अपनी कारोबारी नीतियों की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. इससे अमेरिका में जॉब में कमी आ रही है और इसके उद्योग-धंधों को चोट पहुंच रही है.
अमेरिका पैनल के सामने यह बताने में नाकाम रहा क्यों उसके एक्शन सही थे. हालांकि अमेरिका ने कहा कि चीन वर्षों से टेक्नोलॉजी चुरा रहा है. उनका गलत दुरुपयोग कर रहा है लेकिन डब्ल्यूटीओ इसे रोकने में नाकाम रहा है. दूसरी ओर चीन के वाणिज्य मंत्री ने कहा कि उनके देश ने हमेशा डब्यूटीओ के नियमों का पालन किया है. चीन को उम्मीद है कि अमेरिका भी डब्ल्यूटीओ के नियमों का पालन करेगा.
अमेरिका अपने खिलाफ आए डब्ल्यूटीओ के फैसले के खिलाफ अपील कर सकता है लेकिन उसे राहत मिलने की उम्मीद कम है क्योंकि अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ के अपीलीय ट्रिब्यूनल में जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है. इससे सुनवाई के लिए जजों की न्यूनतम संख्या पूरी नहीं हो पाती है.