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यूपी: पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 135 शिक्षकों की मौत, हाईकोर्ट की फटकार, कौन है जिम्मेदार, क्यों नहीं की जाए कार्रवाई ?

[Edited By: Punit tiwari]

Wednesday, 28th April , 2021 02:21 pm

प्रयागराज-उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे कोरोना संकट के बीच पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगे 135 शिक्षकों की मौत का मामला सामने आया है। शिक्षकों की मौत पर संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। साथ ही हाईकोर्ट ने आयोग से कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड प्रोटोकॉल्स लागू नहीं करवाने पर आपके और आपके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? कोर्ट ने आयोग व इसके 27 अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगते हुए उनसे पूछा है कि पंचायत चुनाव के दौरान कोविड गाइड लाइन का पालन करने में आयोग कैसे विफल रहा? कोर्ट ने कहा कि क्यों न उन्हें इसके लिए दंडित किया जाए।

हाईकोर्ट ने बेहद ही सख्त लहजे में कहा कि, "2020 के आखिर में जब वायरस कमजोर हुआ था, तब सरकार पंचायत चुनाव कराने में व्यस्त हो गई थी. अगर उसने लगातार संक्रमण रोकने के लिए काम किया होता, तो आज सरकार दूसरी लहर का सामना करने के लिए तैयार रहती। अगर हम अब भी लोगों की स्वास्थ्य परेशानियों को नजरअंदाज करेंगे और उन्हें मरने के लिए छोड़ देंगे, तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।
ऑक्सीजन संकट पर हाईकोर्ट का आदेश

ऑक्सीजन संकट पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि आज़ादी के सात दशक के बाद भी हम लोगों को आक्सीजन नहीं दे पा रहे हैं। कोर्ट ने प्रदेश में कोरोना के बढते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार को दिन में दो बार हेल्थ बुलेटिन जारी करने का निर्देश दिया है। यह बुलेटिन लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर नगर, गोरखपुर व झांसी में स्थित बड़े सरकारी अस्पतालों के सम्बंध में जारी में जारी किया जाए, ताकि इससे लोगों को रोगियों के स्वास्थ्य की जानकारी मिल सके। कोर्ट ने अस्पतालों को लार्ज स्क्रीन का प्रयोग करने को कहा है ताकि लोग रोगियों का हाल जान सकें।

डिस्ट्रिक्ट पोर्टल पर हो बेड की जानकारी
कोर्ट ने सरकार को डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि कितने बेड आईसीयू व कोविड वार्ड में सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में हैं। यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा एवं जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मामले की सुओ मोटो संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि, केवल एंटीजेन की निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर किसी रोगी को अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा सकती, क्योंकि रोगी अन्य कारणों से भी संक्रमित हो सकता है।

3 मई को होगी अगली सुनवाई
ऐसे में उसे एक सप्ताह के लिए नान कोविड वार्ड में शिफ्ट किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि, सभी सरकारी व कोविड का इलाज कर रहे प्राइवेट अस्पतालों में रेमडेसिविर इन्जेक्शन व अन्य जरूरी दवाएं तथा आक्सीजन निर्बाध रूप से मिलती रहनी चाहिए। कोर्ट ने सरकार को अनुबंध के आधार पर डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टाफ की समुचित व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि लाइफ सेविंग सिस्टम के साथ एम्बुलेंस की संख्या में तत्काल बढ़ोतरी की जाए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि कोविड से हुई प्रत्येक मौत की जानकारी जिला जज द्वारा नामित ज्यूडिशियल अधिकारी को दी जाए। शव का दाह संस्कार सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक किया जाए। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अब तीन मई को करेगा।

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