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इस देश में एसिड अटैक पर सख्त हुआ कानून, मिलेगी ये सजा

[Edited By: Rajendra]

Friday, 25th September , 2020 04:03 pm

एसिड अटैक को लेकर कई देशों में कानून सख्त हो चुका है। हालांकि इसके बावजूद एसिड अटैक के केस कम नहीं हुए हैं। इस बीच नेपाल के कानून मंत्री शिवा माया ने घोषणा की है कि अगर किसी व्यक्ति की मौत एसिड अटैक के कारण होती है तो दोषी को उम्रकैद की सजा दी जाएगी। इसके साथ ही अगर कोई पीड़ित घायल हो जाता है या उनके शरीर का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो अपराधी को 20 साल के लिए जेल भेजा जाएगा और उसे 1 मिलियन नेपाली रुपए के साथ दंडित किया जाएगा।

नेपाल में एसिड अटैक के कई मामले सामने आ चुके हैं। इस साल जुलाई में एसिड अटैक नेपाल में कथित तौर पर एक 22 वर्षीय युवती पर एसिड हमला हुआ था।, जिसमें एक भारतीय को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोपी मुन्ना को गिरफ्तार किया, जिसने बताया कि उसके 42 वर्षीय मालिक मोहम्मद अलम ने बफाल क्षेत्र की युवती पर एसिड फेंकने को कहा था। अलम ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह युवती से प्रेम करता था। उसका प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद गुस्से में था और युवती पर एसिड अटैक करा दिया।

पाकिस्तान में एसिड अटैक के मामले आतंकवादी निरोधी अदालत में चलते हैं। वहां ऐसे मामले आतंकवादी निरोधी अदालत में चलती है। एसिड अटैक के दोषियों को 10 साल की सजा और 10 लाख के जुर्माने का प्रावधान है।

भारत में एसिड अटैक को लेकर कानून को सख्त बनाने के लिए आईपीसी की धारा 326 में कुछ बदलाव किया गया। बदलाव के बाद 326 A और 326 B अस्तित्व में आया। आईपीसी की धारा 326 A में प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने जानबूझ कर किसी अन्य व्यक्ति पर तेजाब फेंका और उसे स्थाई या आंशिक रूप में नुकसान पहुंचाया तो इसे एक गंभीर जुर्म माना जाएगा। अपराध गैर जमानती होगा, दोषी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। 326 A में यह भी प्रावधान है कि दोषी पर उचित जुर्माना भी होगा और जुर्माने की रकम को पीड़िता को दिया जाएगा। जबकि आईपीसी की धारा 326 B संबंध एसिड अटैक के प्रयास से है। इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति ने अगर किसी दूसरे व्यक्ति पर तेजाब फेंकने का प्रयास किया है तो यह एक संगीन अपराध है। यह अपराध गैर जमानती है। इसके लिए दोषी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है और दोषी को जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

एसिड अटैक को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था कि वह बिक्री को रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाएं। अटैक की शिकार महिला को इलाज और पुनर्वास के लिए 3 लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान भी है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, तेजाब की बोतल बेचने वाले दुकानदार को रजिस्टर मैंटेन करना होगा जिसमें खरीददार का पूरा नाम और पता व किस कार्य के लिए तेजाब वह ले रहा है, ये भी बताना होगा। नियम तो यह है कि समय-समय पर इन रजिस्टरों की पड़ताल मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी। साथ ही, दुकानों में तेजाब के स्टॉक की जानकारी भी स्थानीय प्रशासन को देने का प्रावधान है। कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल से कम है, को तेजाब नहीं बेचा जाएगा। तेजाब खरीदने वाले का फोटो आईडी सब्मिट करना जरूरी है।

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