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''चेहरे के ऊपर चेहरे, फिर चेहरे पर चेहरे...''

[Edited By: Admin]

Tuesday, 5th November , 2019 01:21 pm

सांसों पर पहरे...

साधो सांसों पर पहरे

चेहरे के ऊपर चेहरे, फिर चेहरे पर चेहरे।।

ऊपर से खुश अंदर-अंदर घाव बहुत गहरे।
दीवारों को आज हमारा रहना भी अखरे ।।

कोई सुनता नहीं किसी को लोग हुए बहरे ।
कटना तय है खैर मना लें, ईद तलक बकरे ।।

सोना उछला इंसानों के भाव वहीं ठहरे ।
माल हमारा मंडी में, तुलने के सौ नखरे ।।

महेंद्र नेह

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