सांसों पर पहरे...
साधो सांसों पर पहरे
चेहरे के ऊपर चेहरे, फिर चेहरे पर चेहरे।।
ऊपर से खुश अंदर-अंदर घाव बहुत गहरे।
दीवारों को आज हमारा रहना भी अखरे ।।
कोई सुनता नहीं किसी को लोग हुए बहरे ।
कटना तय है खैर मना लें, ईद तलक बकरे ।।
सोना उछला इंसानों के भाव वहीं ठहरे ।
माल हमारा मंडी में, तुलने के सौ नखरे ।।
महेंद्र नेह