लखनऊ-कोरोना वायरस ने पूरे देश में हाहाकार मचा कर रखा है। कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं, अस्पतालों में बेड की कमी, हर ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है। कोरोना के हालात से लोगों के सब्र का बांध अब टूट गया है। व्यक्ति इन हालातों के आगे मजबूर हो गया है, वो नहीं समझ पा रहा कि वो क्या कर रहा है। लखनऊ की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई है। इन्हीं स्वास्थ्य सेवा और योगी के दावों की पोल खोलते हुए तस्वीर सामने आई है।
पूरा मामला चारबाग के दुर्गापुरी के पास का है। जहां मरीजों को एबुंलेंस ना मिलने पर उसके परिजन से स्कूल वैन में अस्पताल ले जाते नजर आए। इंसानियत को अंदर तक झकझोर देने वाली इस घटना से हर कोई परेशान है।
वहीं दूसरी तस्वीर लखनऊ के कोविड कमांड सेंटर की हैै। जहां लोग सीएमओ के लिखे पर्चे साथ लेकर आए है लेकिन उनको भी अस्पताल में जगह नहीं मिल रही । इसे में मरीज के परिजन दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं।
सरकार से सवाल- क्या यही है सिस्टम की मार ?
इन तस्वीरों के दर्द को बयां करने के लिए शब्द खत्म हो चुके हैं। इन इंसानों की बेबसी को लिखने का कोई वाक्य नहीं सूझ रहा, इन जरूरत मंदों के आंसूओं को महसूस कराने की कोई कहानी नहीं ध्यान आती। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज में जल रही चिताओं की आग और परिजनों के आंसू सरकार से सवाल पूछ रहे कि क्या अब हम सिस्टम के आगे लाचार हो गए हैं।
अपनों को लेकर ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे सिर्फ एक बेड के लिए भटकते लोग सरकार से पूछ रहे क्या यही नियति है उनकी? और किसी अस्पताल के बाहर एम्बुलेंस में किसी अपने की टूटती सांसें और बिस्तर में मौत का इंतजार करता आम हिंदुस्तानी पूछ रहा कि सरकारों को हम क्यों चुनते हैं?