लखनऊ-यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में रामायण विश्व महाकोश कार्यशाला का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत में भले ही भगवान राम का नाम लेने में कुछ लोगों को दिक्कत होती है पर दक्षिण पूर्व एशिया में जैसे हम राम की संस्कृति पर गौरव करते हैं वैसे वहां के लोग भी करते हैं। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया का हर व्यक्ति कहता है कि हमने किन्हीं परिस्थितियों में इस्लाम स्वीकार किया होगा लेकिन हमारे पूर्वज तो राम ही हैं।
बता दें कि लगभग छह महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके कवर पेज का अनावरण किया था। अयोध्या शोध संस्थान को भारत सहित दुनिया भर की लोककथाओं, मूर्तियों, साहित्य और अन्य कार्यों के रूप में मौजूद "राम युग" को ट्रेस करके विश्व महाकोश तैयार करने का काम दिया गया था। पहला संस्करण आईआईटी, खड़गपुर की डिजाइन की गई ई-पुस्तक के रूप में लॉन्च किया जाएगा। विश्व महाकोश ओडिया, मलयालम, असमिया और उर्दू जैसी भाषाओं में भी उपलब्ध होगा।
मुख्य कार्यक्रम के अलावा तस्वीरों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इसमें दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों में राम की उपस्थिति का विवरण दिया गया। इस अवसर पर कार्यशाला में पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के विशेषज्ञों भी शामिल हुए। "रामायण की नारी " नाम से एक प्रदर्शनी भी छात्रों की ओर से लगाई गई।
विश्व महाकोश में विभिन्न संस्कृतियों में राम की उपस्थिति के प्रमाणों की जानकारी है। इसमें पाकिस्तान, ईरान, इराक, मध्य अमेरिका, इटली और यूरोप हिस्से शामिल हैं।
पुस्तक के अनुसार, इटली में इट्रस्केन सभ्यता के समय में राम और उनके युग का उल्लेख किया गया था। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के गांधार क्षेत्र, वर्तमान में स्वात घाटी के कई गांव के नाम राम और सीता के नाम पर हैं। वहीं, मध्य अमेरिका के होंडुरास और दक्षिण अमेरिका के पेरू की संस्कृतियों में भी राम का उल्लेख माना जाता है, जहां हर साल जून "सुरा महोत्सव" आयोजित किया जाता है।