गांधी (gandhi) परिवार के छोटे बेटे व पीलीभीत से भाजपा के लोकसभा सांसद वरुण गांधी बीजेपी की लाइन से अलग क्यों चल रहे हैं? हाल ही में उन्होंने किसानों की समस्याओं को सामने रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( chief minister yogi adityanath) को चिट्ठी लिखी. बहुत से सांसद और विधायक किसानों की समस्याओं को टॉप लीडरशिप तक ले जाते हैं. संसद या विधानसभा में बहस होती है और तमाम सवाल-जवाब होते हैं. लेकिन वरुण गांधी की बात कुछ अलग है, किसान आंदोलन को करीब एक साल होने को है और यूपी में चुनाव भी है.
हाल ही में, मुजफ्फरनगर में हजारों की संख्या में जुटे किसानों ने महापंचायत की थी. किसान आंदोलन को ज्यादा बढ़त न देने वाली बीजेपी उस जुटान में खामी ढूंढ रही थी और बैठे-बिठाए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गलत तस्वीर शेयर करके उनके मौके को बल दे दिया. पर कुछ ही देर में वरुण गांधी ने 5 सेकेंड का वीडियो शेयर कर बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी. पांच सेकेंड के वीडियो में किसानों का जनसैलाब देखा गया. तिरंगा लिए सिर पर पगड़ी बांधे और नारे लगाते इन किसानों को देखकर यह अंदाजा लगाया गया कि वास्तव में किसान आंदोलन को बहुत हल्के में नहीं आंकना चाहिए. जबकि बीजेपी ऐसा बिलकुल नहीं चाहती थी कि किसानों के समर्थन में एकजुटता दिखे. वह पहले से ही कहती रही है कि दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन करने वाले पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान हैं.
Lakhs of farmers have gathered in protest today, in Muzaffarnagar. They are our own flesh and blood. We need to start re-engaging with them in a respectful manner: understand their pain, their point of view and work with them in reaching common ground. pic.twitter.com/ZIgg1CGZLn
— Varun Gandhi (@varungandhi80) September 5, 2021
कृषि मंत्री यह भी कहते रहे हैं कि देशभर के किसान तीनों कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और अगर ऐसा नहीं होता तो प्रदर्शन करने वाले किसान केवल दो राज्यों से ही क्यों होते. कुछ बीजेपी के नेता तो उन्हें ऐंटी नेशनल भी कहने से नहीं पीछे हटे. वरुण गांधी के उस वीडियो ट्वीट को विपक्ष ने भी हाथों हाथ लिया और किसान नेताओं ने इसकी खूब चर्चा की. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने 'यूपी में कांग्रेस का अगला सीएम कैंडिडेट' भी कहना शुरू कर दिया. ट्विटर पर ट्रेंड चले और बीजेपी के आईटी सेल को इसकी काट नहीं मिल पाई.
वरुण गांधी ने वीडियो शेयर करने के साथ वरूण ने लिखा कि लाखों किसान मुजफ्फरनगर के प्रदर्शन में इकट्ठा हुए. वे हमारा ही खून और अपने लोग हैं, हमें एक सम्मानजनक तरीके से उनके साथ फिर से संवाद शुरू करना चाहिए: उनका दर्द महसूस कीजिए, उनका नजरिए जानिए और आम सहमति बनाने के लिए उनके साथ बात कीजिए.
यूपी चुनाव में उतरने वाली बीजेपी के लिए किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में अपने ही सांसद का उनके समर्थन में उतरना कोई साधारण बात नहीं है. शुरू में जैसा माहौल किसानों के समर्थन में बना था, फिलहाल वैसा नहीं है, पर बीजेपी के सांसद ही इसे अगर उछालते हैं तो यह मुद्दा फिर से लोगों को प्रभावित कर सकता है. सबसे बड़ी बात वरुण गांधी जिस जिले और लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं वह गन्ना बेल्ट होने के साथ ही किसान प्रधान है और गन्ना पश्चिमी यूपी में खूब होता है और गन्ना किसानों में एकजुटता भी खूब देखी जाती है.
फिर वरुण गांधी ने सीधे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसानों की समस्याओं को लेकर एक पत्र लिख दिया. ऐसे समय में जब बीजेपी खुद को किसानों का हितैषी बताते हुए 'सबकुछ चंगा सी' की बातें बता रही है, वरुण गांधी ने थोड़ी तारीफ कर सरकार को आईना दिखा दिया. वरुण ने पत्र में लिखा, 'मेरे क्षेत्र व उत्तर प्रदेश में गन्ना एक प्रमुख फसल है. गन्ना किसानों ने मुझे अवगत कराया है कि गन्ने की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है जबकि पिछले चार सत्रों में गन्ने के रेट में मात्र 10 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई है. आपने गन्ने का भुगतान पिछली सरकारों के सापेक्ष ज्यादा करवाया है, जो सराहनीय है परंतु आज भी गन्ने का इस सत्र का कुछ भुगतान बकाया है.'
आगे बीजेपी सांसद ने अनुरोध करते हुए लिखा कि गन्ना किसानों की आर्थिक समस्याओं, गन्ने की बढ़ती लागत और महंगाई दर को देखते हुए सरकार गन्ना किसानों की मांग के अनुसार आगामी गन्ना सत्र 2021-22 में गन्ने का रेट बढ़ाकर कम से कम 400 रुपये प्रति क्विंटल घोषित करे और तत्काल सारा बकाया गन्ना भुगतान करवाना सुनिश्चित करे.
किसानों की बुनियादी समस्याओं को इंगित करता मेरा पत्र उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नाम, उम्मीद है कि भूमिपुत्रों की बात ज़रूर सुनी जाएगी; pic.twitter.com/4rw8AduP0y
— Varun Gandhi (@varungandhi80) September 12, 2021
अब वरुण की लाइनों में 'बढ़ती लागत' और 'महंगाई दर' सबसे ज़्यादा देखने की चीज़ है. कुछ दिन पहले विपक्ष ने यह इस्तेमाल किए थे जब सरकार ने गेहूं समेत कुछ फसलों पर एमएसपी बढ़ाने का ऐलान किया. कांग्रेस ने कहा था, 'खेती की लागत में बेतहाशा वृद्धि के बीच 1 साल के अंदर MSP की दरों में सिर्फ 2%-8% की वृद्धि किसानों के साथ भद्दा मजाक है.' अब महंगाई दर के हिसाब से कीमतों की बात बीजेपी सांसद ने भी कर दी है.
जहां एक ओर बीजेपी किसानों की दोगुनी आय करने के लक्ष्य की ओर बढ़ने की बात कर रही है दूसरी ओर वरुण गांधी ने अपने लेटर में बताया है कि यूपी में बंटाईदार किसान अपना गन्ना मिलों को आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण उन्हें मजबूरी में काफी घाटे में कोल्हू पर गन्ना बेचना पड़ता है. यही नहीं वरुण लिखते हैं कि गन्ना किसानों ने अनुरोध किया है कि उन्हें उचित मात्रा में सस्ता बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि भी सरल प्रक्रिया के माध्यम से उपलब्ध करवाने का कष्ट करें. इससे एक बात साबित हो गई कि किसानों की एक नहीं कई समस्याएं हैं.
उन्हें सस्ता बीज आदि नहीं मिल पा रहा, फसलों की उचित कीमत नहीं मिल पा रही. समझने की बात यह है कि किसान आंदोलन में शामिल लोगों की भी तो यही मांग है. वे ऐसे कानून की बात कर रहे हैं जिससे एमएसपी के नीचे कोई फसल न खरीदे. ये तो सिर्फ गन्ना किसानों की बात थी, वरुण ने दूसरे पॉइंट में यूपी के धान के किसानों की भी समस्याएं सामने रखी. उन्होंने योगी सरकार से मांग की है कि धान की सारी फसल को एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की जाए. गन्ने की तरह यहां भी वरुण ने थोड़ी तारीफ और थोड़ा तंज कसा. उन्होंने किसानों से धान और गेहूं की खरीद उचित मूल्य पर सुनिश्चित करने की बात कही.
तीसरे पॉइंट में वरुण ने किसानों के हवाले से गांवों में नलकूप और आवासीय दोनों तरह की बिजली के रेट बहुत ज्यादा बढ़ने पर चिंता जताई, वहीं, चौथे पॉइंट में आवारा पशुओं की समस्या बता पांचवें पॉइंट में वरुण गांधी ने बीजेपी की ओर से बहु प्रचारित पीएम किसान योजना को भी कम करके आंका. आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि हर साल किसान परिवार को इस योजना की राशि 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये की जाए. वरुण ने छटवें पॉइंट में किसानों के हवाले से निवेदन किया है कि मनरेगा योजना के मजदूरों को कृषि कार्यों में भी लगाया जाए. इससे योजना में खर्च हो रहे धन का सदुपयोग होगा और किसानों की लागत घटेगी
आखिरी पॉइंट में वरुण गांधी ने उस मुद्दे की बात की है, जिससे देश का हर व्यक्ति प्रभावित हुआ, तेल की कीमतों में वृद्धि. फ्री वैक्सीनेशन का अभियान चला रही सरकार तमाम कारण गिनाकर डीजल-पेट्रोल की कीमतों को मुद्दा नहीं बनने दे रही है. पर वरुण गांधी ने किसानों की बढ़ती कृषि लागत की बात करते हुए कहा है कि डीजल पर कम से कम 20 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी किसानों को दी जाए.
वरुण गांधी का ट्वीट हो या लेटर, उनका सरकार से किसानों के मुद्दों पर सवाल और सुझाव इस 'हकीकत' को बयां करता है कि किसानों के सामने कई समस्याएं हैं. तेल की बढ़ी कीमतों से वे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और अब भी उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. वरुण गांधी के इस तरह बीजेपी के 'खुशहाल किसान' की लाइन से अलग हटकर परेशानियां गिनाने से मुश्किल खड़ी हो सकती है.
सांसद वरुण गांधी के किसानों के पक्ष में बात करने को चुनाव के नजरिए से भी देखना महत्वपूर्ण है. अगर वरुण की बातों से कुछ सियासी हलचल पैदा होती है तो उसका असर सुलतानपुर में भी देखने को मिलेगा, जहां से उनकी मां मेनका गांधी बीजेपी की सांसद हैं. दोनों ही जिले किसान प्रधान और गेहूं, धान, गन्ने के बेल्ट हैं.
पीलीभीत जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं और पिछली बार सभी जगहों से बीजेपी के उम्मीदवार विजयी हुए थे. जिले में 1440 गांव हैं जहां बीजेपी के ही कुछ नेता मान रहे हैं कि नए कृषि कानूनों को लेकर यहां सिख मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. पिछले विधानसभा चुनाव में पीलीभीत सीट से बीजेपी उम्मीदवार ने 43,356 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी. यहां मतदाताओं की संख्या 3.7 लाख थी. इसी तरह बरखेड़ा में 57 हजार के मार्जिन से बीजेपी के किशन लाल राजपूत विजयी हुए. यहां 3.03 लाख वोटर्स थे और बीजेपी को शानदार जीत मिली थी. बीसलपुर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रामसरन वर्मा पिछली बार जीते थे. इसे भाजपा का गढ़ कहा जाता है, पिछले चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर थे. मुस्लिम वोटों की भी अच्छी तादाद है.ऐसे में बसपा का समीकरण चला तो भाजपा के लिए जीत आसान नहीं होगी.
गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले पीलीभीत जिले की पूरनपुर विधानसभा सीट में पिछली बार 3.69 लाख मतदाताओं वाली सीट से 39 हजार वोटों के अंतर से बीजेपी के बाबू राम पासवान जीते थे. बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में सिख समुदाय यहां आकर बसा और यहां की लाइफस्टाइल और खेती की टेक्निक भी पंजाब से काफी मेल खाती है. यहां धान, गेहूं और गन्ना पैदा होता है साथ ही यहां राइस मिल, सीड प्लांट, शुगर मिल काफी अधिक हैं. एक संयोग यह भी है कि पूरनपुर की जनता जिस पार्टी के उम्मीदवार को विधायक चुनती है, उसी की सरकार बनती है. 2007 में बसपा के कैंडिडेट जीते तो बसपा सरकार यूपी में बनी. 2012 में सपा के उम्मीदवार जीते तो अखिलेश यादव सीएम बने और 2017 में बीजेपी के बाबूराम जीते तो बीजेपी के पक्ष में सिक्का उछला. ऐसे में अगर किसान आंदोलन एक बड़ा मुद्दा चुनाव में बना तो सिख किसान बीजेपी के लिए टेंशन पैदा कर सकते हैं, जो यहां बीजेपी के वोटर रहे हैं. अगर बसपा अपने पारंपरिक वोटों को लुभाने में कामयाब रही तो बीजेपी के लिए नजारा पिछली बार से अलग होगा.