Trending News

क्‍यों पत‍ि से छुपाकर रखा जाता है ये व्रत

[Edited By: Aviral Gupta]

Thursday, 15th April , 2021 01:34 pm

 

भारत विविधताओं का देश है और यहां कई ऐसे अनोखे त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं जो अपने आप में ही बहुत विशेष होते हैं। ऐसा ही एक पर्व है जो महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जिसे भारत के उत्तरी प्रांतों में ज्यादातर मनाया जाता है। यह पर्व है गणगौर व्रत, ‌जिस दिन महिलाएं अपने पति से छुपकर व्रत करती हैं और गणगौर माता यानी माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। हर वर्ष यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर पड़ती है। गणगौर पूजा के साथ अक्सर मत्स्य जयंती भी मनाई जाती है। जानकार बताते हैं कि, गणगौर का मतलब गण शिव और गौर माता पार्वती से है। गणगौर त्योहार प्रेम और विश्वास की पूजा है । यह व्रत लड़कियां भी प्रियवर पाने के लिए करती हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया, गुरुवार को गणगौर व्रत त्योहार मनाया जाएगा।

गणगौर की कथा 

गणगौर की व्रत कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और माता पार्वती वन में गए। और चलते-चलते वे दोनों बहुत ही घने वन में पहुंच गए। तब माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि हे भगवान मुझे प्यास लगी है। इस पर भगवान शिव ने कहा कि देवी देखों उस ओर पक्षी उड़ रहे हैं उस स्थान पर अवश्य ही जल मौजूद होगा। पार्वती जी वहां गई, उस जगह पर एक नदी बह रही थी। पार्वती जी ने पानी की अंजलि भरी तो उनके हाथ में दूब का गुच्छा आ गया। जब उन्होंने दूसरी बार अंजलि भरी तो टेसू के फूल उनके हाथ में आ गए। और तीसरी बार अंजलि भरने पर ढोकला नामक फल हाथ में आ गया। इस बात से पार्वती जी के मन में कई तरह के विचार उठने लगे। परन्तु उनकी समझ में कुछ नहीं आया। उसके बाद भगवान शिव शंभू ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। विवाहित महिलाएं आज के दिन अपने सुहाग के लिए गौरी उत्सव करती हैं। गौरी जी को चढ़ाएं गए दूब, फूल और अन्य सामग्री नदी में बहकर आ रहे थे। इस पर पार्वती जी ने विनती की कि हे स्वामी दो दिन के लिए आप मेरे माता-पिता का नगर बनवा दें। जिससे सारी स्त्रियां वहीं आकर गणगौर के व्रत को करें। और मैं खुद ही उनके सुहाग की रक्षा का आशीर्वाद दूं। भगवान शंकर ने ऐसा ही किया। थोड़ी देर में ही बहुत सी स्त्रियों का एक दल आया तो पार्वती जी को चिन्ता हुई और वो महादेव जी से कहने लगी कि हे प्रभु मैं तो पहले ही उन्हें वरदान दे चुकी हूं। अब आप अपनी ओर से सौभाग्य का वरदान दें। पार्वती जी के कहने पर भगवान शिव ने उन सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया। भगवान शिव और माता पार्वती ने जैसे उन स्त्रियों की मनोकामना पूरी की, वैसे ही भगवान शिव और गौरी माता इस कथा को पढ़ने और सुनने वाली कन्याओं और महिलाओं की मनोकामना पूर्ण करें।

गणगौर की पूजा में सुहागिनें सुहाग की सभी वस्तुओं को सजाकर विशेषतः महावर सिंदूर और चूढ़ी चढ़ाकर श्रद्धाभाव से गणगौर की पूजा करती हैं । यह त्यौहार मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है। गणगौर की पूजा उदया तिथि के अनुसार आज है । बता दे कि गणगौर पूजा का प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता है। मां पार्वती पर चढ़ाए सिंदूर से बाद में सुहागिनें स्वयं मांग भरती हैं। एक दूसरे पर सुहाग जल छिड़कती हैं। पूजा में चूरमे का भोग लगाया जाता है ।

Latest News

World News