यमुना नदी की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें कुछ महिलाएं सफेद झाग के बीच पूजा करती नज़र आ रही हैं. इन तस्वीरों को शेयर कर काफी मजाक भी बनाया जा रहा है और कोई इन्हें कश्मीर तो कोई अंटार्कटिका की बता रहा है.
दरअसल, ये दिखने में बर्फ की तरह है, लेकिन यह झाग हैं. अब यमुना में बह रहे झाग की काफी चर्चा हो रही है. ऐसा पहली बार नहीं है कि छठ पूजा के पास ऐसी तस्वीरें सामने आई हो, इससे पहले भी इस तरह की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं.
इन तस्वीरों में आप साफ देख सकते हैं कि पानी में काफी ज्यादा मात्रा में झाग हैं. साथ ही बहते पानी में झाग की एक परत साफ नज़र आती है. ऐसे में सवाल है कि आखिर यमुना के पानी में ऐसा क्या है कि पानी में काफी ज्यादा झाग हैं. इसे लेकर कई तरह की रिपोर्ट्स सामने आती है, इसलिए जानते हैं कि आखिर इन झाग की वजह क्या है और किस वजह से यह झाग इतनी ज्यादा मात्रा में हैं…
पानी में क्यों बनते हैं झाग?
वैसे तो पानी में झाग बनना एक आम प्रक्रिया है और काफी आम है. यमुना की कहानी जानने से पहले आपको बताते हैं कि आखिर नदी या समुद्र के पानी में किस वजह से झाग बनते हैं. दरअसल, पौधों के मृत और सड़ने वाले हिस्सों में वसा के अणु होते हैं, जो पानी में अच्छे से धुल नहीं पाते हैं. वे पानी की सतह पर एक अदृश्य परत के रूप में बने होते हैं, लेकिन जब पानी हिलता है, लहरें आदि आती हैं या झरने से पानी गिरता है तो यह परत झाग में बदल जाते हैं. ये भी साबुन के झाग की तरह ही होते हैं.
लेकिन, यमुना वाले झाग काफी अलग हैं और काफी ज्यादा है. झाग की ये ज्यादा मात्रा प्राकृतिक वजह से नहीं है. ऐसे में अब जानते हैं कि आखिर यमुना के पानी में इतने झाग क्यों है…
एक रिपोर्ट में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र में जल कार्यक्रम के साथ काम करने वाली वैज्ञानिक सुष्मिता सेनगुप्ता के हवाले से लिखा गया है, यमुना में फॉस्फेट के उच्च स्तर की वजह से काफी ज्यादा झाग का निर्माण होता है. आपको बता दें कि इसी फॉस्फेट का इस्तेमाल डिटर्जेंट में होता है और इसकी वजह से काफी ज्यादा झाग होता है. वैसे ये सफाई करने में काम आते हैं. वैसे नदियों के पानी में फॉस्फेट की मात्रा भी होती है और पानी में ऑक्सीजन आदि की मात्रा कंट्रोल रखते हैं. मगर यमुना में इसका मात्रा काफी ज्यादा है, इस वजह से यह काफी नुकसानदायक भी है.
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में फॉस्फेट की मात्रा 6.9 मिलीग्राम / लीटर से लेकर 13.42 मिलीग्राम / लीटर तक है. वैसे इतनी मात्रा तो साबुन या सर्फ में नहीं रहती है. बता दें कि ज्यादा फॉस्फेट त्वचा में जलन पैदा करता है, इससे झाग भी काफी ज्यादा नुकसानदायक हो जाते हैं. वैसे जो नदी में फॉस्फेट होता है, वो बहता पानी खुद क्लीन कर लेता है, लेकिन ज्यादा मात्रा की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है. इसकी वजह पानी में प्रदूषण, गंदगी आदि है और इस वजह से ही फॉस्फेट बढ़ रहा है.