उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद लखनऊ में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ीं हैं. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के सीतापुर से विधायक और सपा सरकार में तीन बार मंत्री रह चुके नरेंद्र वर्मा को प्रत्याशी बनाने का मन बना चुकी है. भाजपा पहले ही वैश्य समाज से आने वाले नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाने की तैयारी में है. ऐसे में सपा खेमे से नरेंद्र वर्मा के नाम की चर्चा बढ़ने से यह चुनाव अब रोचक होने के मोड़ पर है.
विधानसभा में उपाध्यक्ष पद की जोर आजमाइश हुई दिलचस्प भारतीय जनता पार्टी इस पद पर हरदोई से विधायक नितिन अग्रवाल को बैठाना चाहती थी और सभी तैयारियां पूरी कर ली गई विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर नितिन अग्रवाल की ताजपोशी लगभग तय थी तभी ऐन मौके पर समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर सीतापुर से तीन बार के विधायक और कई बार के मंत्री नरेंद्र वर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है नरेंद्र वर्मा विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव उनका मुकाबला हरदोई के नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल से होगा
यह समझना काफी दिलचस्प होगा कि ऐन मौके पर अखिलेश यादव ने विधानसभा उपाध्यक्ष पर अपना उम्मीदवार क्यों उतारा अखिलेश यादव संख्या बल पर काफी कम है लेकिन फिर भी उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला लिया है अखिलेश लगातार इस बात को कह रहे हैं कि उनके संपर्क में भारतीय जनता पार्टी के 100 से ज्यादा मौजूदा विधायक हैं तो क्या अखिलेश यादव उन विधायकों के बूते भारतीय जनता पार्टी को इस पद पर चुनौती दे रहे हैं यदि अखिलेश यादव जो कह रहे हैं ऐसा होता है तो यह भविष्य की राजनीति का एक बड़ा संकेत होगा।
वर्तमान में सपा से विधायक नरेंद्र सिंह वर्मा सीतापुर की महमूदाबाद सीट से छह बार चुनाव जीत चुके हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक की शिक्षा प्राप्त कर चुके नरेंद्र सिंह वर्मा के ऊपर किसी प्रकार के कोई आपराधिक मामले भी दर्ज नहीं हैं और उत्तर प्रदेश के मध्य एवं तराई इलाकों के कुर्मी समुदाय में उनकी गहरी पैठ है. सपा सूत्रों ने बताया है कि नरेंद्र वर्मा को अधिकृत प्रत्याशी बनाकर अखिलेश यादव कुर्मी वोटों का ध्रुवीकरण वापस अपने पक्ष में करना चाहते हैं.