बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के चेयरमैन गौतम अडाणी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अडाणी को सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) के एक मामले से बरी कर दिया है। यह मामला 2012 में सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस द्वारा शुरू किया गया था।
यह मामला 2012 में सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) द्वारा अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और उसके प्रमोटर, गौतम अदाणी तथा राजेश अदाणी के खिलाफ शुरू किया गया था। SFIO ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में करीब 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन का आरोप शामिल है।
क्या है पूरा मामला
एसएफआईओ (SFIO) की ओर से आरोप था कि अदाणी समूह ने अवैध तरीके से लाभ प्राप्त करने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया था। इस मामले में बाजार के नियामक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन और वित्तीय लेनदेन पर भी गंभीर सवाल उठाए गए थे।
बता दें गौतम अदाणी और राजेश अदाणी ने साल 2019 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि सत्र अदालत ने उन्हें इस मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया था। इसी वजह से उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। फरवरी 2023 में, हाई कोर्ट ने SFIO से मामले को आगे बढ़ाने में देरी के बारे में सवाल किया था। SFIO केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत एक एजेंसी है। कोर्ट ने कहा कि 10 फरवरी, 2022 के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई थी जब अंतरिम रोक बढ़ाई गई थी।
2025 सोमवार को जस्टिस आर एन लड्ढा की एकलपीठ ने सत्र अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों को मामले से मुक्त कर दिया। इससे न केवल अदाणी समूह के लिए कानूनी राहत मिली है, बल्कि यह वित्तीय और बाजार नियामक मामलों में भी एक महत्वपूर्ण मिसाल प्रस्तुत करता है।इस निर्णय से अदाणी समूह को राहत मिली है, लेकिन यह मामला भारतीय कारोबार जगत में कानूनी और नियामक अनुपालन के महत्व को फिर से सामने लाता है।