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क्या मोदी की अमरीका यात्रा विश्व मीडिया में चर्चा का विषय है?

[Edited By: Arshi]

Saturday, 25th September , 2021 02:20 pm

भारत-अमेरिका (India- America) के रिश्ते नए अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं. अमेरिका दौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi) ने राष्ट्रपति जो बाइडन ( President Joe Biden) और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस ( Kamla Haris) के साथ मुलाक़ात की. इस दौरे में जो सबसे अहम चीज़ थी, वो क्वॉड की व्हाइट हाउस ( White House) में हुई प्रस्तावित बैठक.
इस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री के अलावा ऑस्ट्रेलिया ( Australia) के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान (Japan) के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने साथ मिलकर बैठक की. अमेरिकी मीडिया में मोदी के दौरे को लेकर बहुत दिलचस्पी नहीं दिखी लेकिन क्वॉड की बैठक की चर्चा ज़रूर हुई. इस बैठक में कोरोना वायरस महामारी के अलावा, तकनीक साझा करने और भारत-प्रशांत क्षेत्र पर चर्चा हुई.

क्वॉड शब्द 'क्वाड्रिलेटेरल सुरक्षा वार्ता' के क्वाड्रिलेटेरल से लिया गया है. इस समूह में भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीन (China) के प्रभुत्व को देखते हुए इसका गठन किया गया था. हालांकि ऑकस के गठन के बाद माना जा रहा था कि इस संगठन में वो बात नहीं रह पाएगी.

इस पर अब व्हाइट हाउस में हुई बैठक के बाद दुनिया भर का मीडिया इस पर अलग-अलग तरह से लिख रहा है. अमेरिकी अख़बार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' लिखता है कि बाइडन या उनके किसी भी मेहमान ने इस बैठक के दौरान 'चीन' या 'बीजिंग का नाम नहीं लिया. अख़बार ने लिखा कि बैठक में चारों देशों ने बैठक की शुरुआत में पत्रकारों से कहा कि वे जलवायु परिवर्तन, महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना और कोरोना वायरस महामारी पर सहयोग को लेकर चर्चा करेंगे लेकिन उनके एजेंडे में चीन पर खुलकर कुछ नहीं कहा गया.

"बाइडन ने 'मुक्त और स्वतंत्र हिन्द-प्रशांत' के साझा उद्देश्यों का हवाला दिया. इसका आशय दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना के बढ़ते प्रभुत्व को ख़त्म करने के तौर पर देखा जा रहा है ताकि मुक्त नौ-परिवहन हो सके."अख़बार लिखता है कि इस दौरान बाइडन ने कहा कि इस समूह की पहली बड़ी पहल भारत में निर्मित एक अरब कोरोना वायरस वैक्सीन की ख़ुराक का वितरण करना है जो कि सही राह पर है. हालांकि इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय निगरानी कर्ताओं में शंकाएं भी हैं.

"भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह समूह 'वैश्विक भलाई के लिए एक ताक़त का काम करेगा.' उन्होंने सप्लाई चेन में सहयोग का मुद्दा भी उठाया. इस समूह का एक लक्ष्य चीनी सामान के विकल्प भी तलाशना है."

वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार ने कहा कि क्वॉड के मुख्य कार्यक्रम से पहले बाइडन ने भारत को ऑकस को लेकर भरोसा दिलाया. बाइडन ने कहा कि वो प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक मज़बूत साझेदारी निभाने जा रहे हैं. "अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद बाइडन प्रशासन का ध्यान और संसाधन अब चीन पर लगाने पर है. इसके लिए उसे भारत की चिंताओं को दूर करने की ज़रूरत है. चीन से उसे काफ़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही उसे पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामी चरमपंथी समूहों से ख़तरा है, जिनको भारत भी एक शत्रु के तौर पर देखता है.

वहीं एक अन्य अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल ने लिखा कि क्वाड्रिलेटेरल सिक्यॉरिटी डायलॉग के नाम से 2000 के मध्य में आयोजित हुआ कार्यक्रम आज एक समूह बन गया है. कुछ सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि ताज़ा बदलाव दिखाते हैं कि कैसे तुरंत एकजुटता दिखाने की आवश्यकता है.

इस बैठक के बाद क्वॉड देशों के बीच कई क्षेत्रों में समझौते होने की संभावनाएं है. "इन सौदों में सेमी कंडक्टरों की सप्लाई चेन की पहल पर ध्यान केंद्रित है. इसके अलावा 5जी सिस्टम में तेज़ी लाने और साइबर ख़तरों के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण आधारभूत ढांचे बनाने पर भी समझौते अंतिम रूप ले सकते हैं. साथ ही अमेरिकी विश्वविद्यालयों में इन देशों के 100 छात्रों को फ़ेलोशिप दी जाएगी."

वहीं, जापान के अख़बार जापान टाइम्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा की मुलाक़ात पर 'भारत और जापान ने चीन के समुद्री इलाक़े की स्थिति बदलने का किया विरोध' नामक शीर्षक अपनी ख़बर में लगाया है "क्षेत्रीय जल क्षेत्र में बीजिंग की दृढ़ता की ओर इशारा करते हुए जापानी सरकार ने बताया है कि प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्री यथास्थिति बदलने को लेकर एकतरफ़ा कोशिशों का 'कड़ा विरोध' जताया है."

"सुगा और मोदी के बीच 45 मिनट की बैठक में सुगा ने मोदी की तारीफ़ करते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र को 'मुक्त और खुला' बनाने में भारत को एक 'अहम साझेदार' बताया और साथ ही उन्होंने समुद्री सुरक्षा के महत्व पर भी बल दिया.जापानी विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज़ जारी करके बताया है कि क्वॉड सदस्यों के साथ नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय क़ानून बनाने को लेकर दोनों देश साथ काम करने पर सहमत हैं.इस संदर्भ में समझा जा सकता है कि दोनों नेताओं ने पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में यथास्थिति जबरन बदलने को लेकर एकतरफ़ा कोशिशों और आर्थिक ज़बरदस्ती पर अपना साझा विरोध जताया है."

"ये घोषणा दिखाती है कि दोनों नेता बीजिंग के कारण पैदा होने वाले ख़तरों को लेकर अच्छी तरह साथ हैं. इसके साथ ही सुगा ने मोदी से कहा कि उन्होंने हाल ही में जापान के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन में उत्तर कोरिया के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षाण का विरोध किया है. साथ ही उन्होंने भारत से उत्तर कोरिया के जापानी नागरिकों के अपहरण के मामले में समाधान निकालने में सहयोग की अपील की.

वहीं लॉस एंजिलिस टाइम्स ने पीएम मोदी और उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की बैठक को अपनी वेबसाइट पर जगह देते हुए शीर्षक लगाया है कि 'कमला
अमेरिकी टीवी न्यूज़ चैनल सीएनएन एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखता है कि क्वॉड एक 'अनौपचारिक सभा' है न कि एक 'सैन्य गठबंधन.'दरअसल, चीन क्वॉड को एशिया का नेटो कह चुका है, जिसके बाद सभी देश इसके सैन्य गठबंधन होने को ख़ारिज करते रहे हैं.हैरिस ने ऐतिहासिक बैठक में भारत के पीएम मोदी पर मानवाधिकार को लेकर दबाव डाला.

 

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