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क्या है नीतीश को सियासी मात देने के लिए भाजपा का प्लान

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 17th August , 2022 12:11 pm

बिहार में नीतीश से झटका खाने के बाद भाजपा मिशन 2024 की तैयारी में जुट गई है। दिल्ली में कोर कमेटी की बैठक में पार्टी ने बिहार की 40 में से 35 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए भाजपा 2014 की तरह NDA गठबंधन में छोटी-छोटी पार्टियों को भी जोड़ने की कोशिश करेगी।

पिछले 9 अगस्त को बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी JDU के बीच गठबंधन टूट गया था, जिसके बाद नई रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में मंगलवार को बैठक हुई थी। बैठक में बिहार भाजपा के सभी बड़े नेताओं के साथ गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद थे।

बिहार में भाजपा 'पोल खोल नीतीश कुमार' अभियान चलाएगी। शाह और नड्डा रैली भी करेंगे। इसमें बढ़ते अपराध के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा। भाजपा टूटी हुई लोजपा को फिर से जोड़ने पर काम करेगी। चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान को फिर से एक छत के नीचे लाया जाएगा। भाजपा संगठन और सदन में नए चेहरे को लाने की तैयारी में है, जिससे नीतीश कुमार से सीधी लड़ाई लड़ी जाए। पार्टी अपरकास्ट पर विशेष फोकस केरगी।

नीतीश के सहयोगी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री RCP सिंह पर भी भाजपा की नजर है। सियासी गलियारों की चर्चा के मुताबिक सिंह 2024 में नीतीश के गृह क्षेत्र नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं। हाल ही में उन्होंने JDU से इस्तीफा दिया था। इधर, बिहार कैबिनेट में अपर कास्ट को कम प्रतिनिधित्व देने का मुद्दा भी भाजपा उठाने की तैयारी में है।

विपक्ष के नेता को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि भाजपा एक तेजतर्रार नेता की तलाश में है जो न केवल तर्कपूर्ण सवालों से सरकार को घेर सके बल्कि उसकी छवि भी इमानदार और दमदार हो। एनडीए की सरकार में तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी दो उपमुख्यमंत्री थे, लेकिन कहा जा रहा है कि ये दोनों इस भूमिका में फिट नहीं बैठ रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जिस सोच से बीजेपी ने एनडीए की नीतीश के नेतृत्व वाली सरकार में इन दोनों को उपमुख्यमंत्री बनाया था, उस कसौटी पर भी ये खरे नहीं उतरे।

ऐसे में बीजेपी दूसरे नेता की तलाश में है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी विपक्ष के नेता के जरिए सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने का भी मन बनाए हुए हैं। बीजेपी को नजदीक से जानने वाले मानते हैं कि भाजपा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को इस पद पर बैठा सकती है। वैसे, सिन्हा अभी विधानसभा अध्यक्ष पद पर से इस्तीफा नहीं दिया है, लेकिन कहा जा रहा है, उनका हटना तय है।

माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में सिन्हा की छवि तर्कपूर्ण बयानों के साथ विरोधियों को घेरने वाले धैर्यवान नेता के रूप में उभरी है। कहा जा रहा है कि पिछले दिनों विधानसभा में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अध्यक्ष के बीच जो बहस हुई थी, उसमें भी सिन्हा भारी नजर आ रहे थे। इधर, चर्चा नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार, अमरेन्द्र प्रताप सिंह और नितिन नवीन की भी है। इसमें कोई शक नहीं कि नितिन नवीन की छवि भी दमदार रही है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी के पास नेताओं की कोई कमी नहीं है। दानों सदन में कई ऐसे नेता हैं जो विपक्ष के नेता की भूमिका संभालने के योग्य हैं।

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। साथ ही UP, झारखंड और बंगाल बॉर्डर जुड़े होने की वजह से 10 और सीटों को यहां के मतदाता प्रभावित करते हैं। इसलिए बिहार को लेकर पॉलिटिकल पार्टियों का विशेष फोकस रहता है।

राष्ट्रीय कार्यालय में हुई इस बैठक में बीजेपी के नेताओं ने लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर बिहार में संगठनात्मक परिवर्तन करने का फैसला किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात की पुष्टि करते करते हुए कहा कि पटना में हाल ही में हुई सात मोर्चाओं की बैठक से पहले करीब 200 विधानसभाओं में लोगों से बात की गई थी। इस दौरान लोग पीएम नरेंद्र मोदी और उनके काम को लेकर तो खुश थे, लेकिन बीजेपी के स्थानीय नेतृत्व के प्रति निराशा दिखी।

बीजेपी के एक नेता ने कहा कि सितंबर के दूसरे सप्ताह तक बिहार में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। आपको बता दें कि भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल सितंबर महीने के बीच में समाप्त हो रहा है। बीजेपी नेता ने कहा, 'बैठक का एजेंडा बिहार बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष के मजबूत नेता का चुनाव था।'

बीजेपी ने उन सभी समुदायों तक सक्रिय रूप से और आक्रामक रूप से पहुंचने का फैसला किया जिन्हें अब तक इसने कभी छुआ नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, “भाजपा अब तक ईबीसी और गठबंधन के कारण जेडीयू के मुख्य वोट आधार महादलितों के समर्थन के लिए आश्वस्त रही है। अब पार्टी उन तक भी पहुंचने जा रही है।”

नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JDU महागठबंधन के साथ मिलकर 2024 के लिए 40 सीट जीतने का प्लान तैयार किया है। इसके लिए बिहार की 40, झारखंड की 14 और बंगाल की 10 सीटें हैं। JDU के पास वर्तमान में 16 सीटें हैं। नीतीश की कोशिश है कि बिहार के जिन सीटों पर भाजपा कम मार्जिन से चुनाव जीती है, उन सभी सीटों पर महागठबंधन को मजबूती से लड़ाया जाए।

पिछले दिनों भाजपा से जब नीतीश अलग हुए थे, तो उन्होंने महागठबंधन के नेताओं से बातचीत की थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि बिहार में एक-एक सीट पर सभी दल मिलकर काम करेंगे और 2024 में भाजपा को एक भी सीट पर कामयाब नहीं होने देंगे।

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