जहाँ एक ओर पूरी दुनिया कोरोना से निपटने में एक साथ नज़र आ रही है वहीं दूसरी तरफ़ सामाजिक गंदगी ने अपने पैर और तेज़ी से पसारने शुरू कर दिये. भारत में फैले कोरोना वायरस से तो जैसे-तैसे निजात पा ली जाएगी पर मुद्दा यहाँ महिला सुरक्षा का है. कोरना से निपटारे के लिए कोरोना कर्फ्यू जारी हुआ. जहाँ मामला कोरोना से बचने का था ते वहीं कोरोना से बचते हुए समाज को दूषित करने वाली कई खबरें सामने आ गई.
उत्तर प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यू के दौरान अपहरण, रेप, डकैती और लूट के मामले में काफी हद तक की बढ़ोत्तरी देखने को मिली. 1 जनवरी 2020 से 15 मई 2020 और 2021 में इसी दौरान अपहरण, रेप, डकैती और लूट के मामलों में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ है. मार्च 2020 में लॉकडाउन था और मई 2021 में यूपी के शहरों में कोरोना कर्फ़्यू लागू. जानकारों की माने इस कोरोना लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान आपराधिक गतिविधियों में बढ़ौतरी दर्ज हुई. पंचायत चुनाव और कोरोना के चलते बढ़ी बेरोजगारी की वजह से अपराध की घटनाओं में इज़ाफ़ा हुआ.
आंकड़ों के अनुसार, 2020 में इस अवधि में फिरौती के लिए अपहरण के 11 मामले थे, जबकि 2021 में ये मामले बढ़कर 18 हो गए, जो पिछले साल की तुलना में 63.64 फ़ीसदी ज्यादा है.
इसी तरह 2020 में इसी अवधि में बलात्कार के 717 मामले दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 787 हो गए. इस दौरान रेप के मामलों में 9.76 फ़ीसदी का उछाल आया है. अगर लूट और डकैती की बात करें तो 2020 में इस अवधि में कुल 27 मामले थे, जबकि 2021 में 29 हो गए जो कि 7.41 फ़ीसदी बढ़े हैं. साल 2020 की इसी अवधी में लूट के 467 मामले दर्ज हुए थे जो 2021 में बढ़कर 470 हो गए.
कोरोना ने आपराधिक गतिविधियों को शह तो दी ही है उसके साथ ही कई बेगुनाहों को इस आपराध का शिकार भी बना दिया. घरेलू हिंसा में आई बढ़ोतरी इस बात का सबसे बड़ा सुबूत है. हालांकि, इस दौरान हत्या के आंकड़ों में 2.84 फ़ीसदी, चोरी में 8.31 फ़ीसदी, दहेज हत्या में 12.21 फीसदी और कुल अपराधों में 1.96 फ़ीसदी की कमी आई है. सबसे अच्छी बात यह है कि पिछले तीन सालों में प्रदेश में रोड होल्डअप या राहजनी की एक भी घटना सामने नहीं आई हुई है. ऐसा माना जा रहा था कि कोरोना काल में अपराधिक गतिविधियां थमेंगी और उनमें भारी कमी आएगी, लेकिन ये बढ़ते हुए आंकड़े तो कुछ और ही दास्तां बयां करता है कि अपराधी अब भी अपनी घृणित मानसिकता को छोड़ नहीं रहे.