साल 2008 यानि 17 साल पहले मुंबई हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। तहव्वुर ने भारत आने से बचने के लिए कोर्ट मे याचिका दायर की थी।

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा (64) को फिलहाल लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। तहव्वुर राणा 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पिछले महीने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी।
तहव्वुर राणा ने अपना प्रत्यपर्ण रोकने की मांग करते हुए राणा ने US कोर्ट में इमरजेंसी अपील की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। राणा ने अपनी अर्जी में कहा था कि पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम होने के कारण भारत में उसे यातना दी जाएगी। राणा पाक मूल का कनाडाई नागरिक है। उस पर मुंबई हमलों में शामिल होने का आरोप है। वह भारत में मोस्ट वॉन्टेड है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका की US सुप्रीम कोर्ट में तहव्वुर राणा ने जो याचिका दाखिल की है उसमें उसने कहा है कि अगर उसे भारत भेजा जाता है तो वहां उसकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है. उसने कोर्ट में आगे कहते हुए कहा कि राष्ट्रीय, धार्मिक और संस्कृतिक आधार पर भी उसे निशाना बनाया जा सकता है.
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था वह पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. उसने एक दशक से अधिक समय तक उसने पाकिस्तान की सेना मे डॉक्टर के तौर पर काम किया था. राणा को मुंबई आतंकी हमले के दोषी माना जाता है. उसे लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है जेल जाने से पहले वह शिकागो में ही कहीं रहता था और वहीं पर अपना कारोबार चलाता था. अदालती दस्तावेजों के मुताबिक वह इंग्लैंड, पाकिस्तान, कनाडा, और जर्मनी में भी रहता था और वहां आता-जाता रहता था.
वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता उज्ज्वल निकम कहते हैं, “यह भारतीय कूटनीति की जीत है। तहव्वुर राणा ने खुद को बचाने के लिए अल्पसंख्यक कार्ड खेलने की कोशिश की… अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की भारत को प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है… एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक अजमल आमिर कसाब पर भी खुली अदालत में मुकदमा चलाया गया। अदालत ने उसके लिए दो वकील नियुक्त किए थे और पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता की दुनिया भर में सराहना हुई…”