आए दिन किसी ना किसी मंदिर के मस्जिद तो मस्जिद के मंदिर होने के दावे उठाए जाते हैं. इतना ही नहीं इन विवादों को लेकर लोग निचली कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं
जहां पहले जातियों को लेकर विवाद हुआ करते थे. वहीं अब ये विवाद धर्म स्थलों तक पहुंच गए है. आए दिन किसी ना किसी मंदिर के मस्जिद तो मस्जिद के मंदिर होने के दावे उठाए जाते हैं. इतना ही नहीं इन विवादों को लेकर लोग निचली कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं. इसी के तहत संभल और बंदायू विवाद के बाद जौनपुर शहर में भी एक विवाद ने जन्म ले लिया है. ये विवाद है शाही अटाला मस्जिद पर अटाला देवी मंदिर होने का दावा.
शाही अटाला मस्जिद कोर्ट में याचिका दायर
अब शाही अटाला मस्जिद पर अटाला देवी मंदिर होने का दावा लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने जौनपुर कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. वहीं कोर्ट ने भी मुकदमे को रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू करने का आदेश दे दिया था. दूसरी ओर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के इस दावे को झूठा साबित करने को अटाला मस्जिद प्रशासन इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है. इतना ही नहीं अटाला मस्जिद प्रशासन ने मस्जिद पर मंदिर का दावा करने वाले वादी को कोई न्यायिक व्यक्ति नहीं बल्कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सोसायटी बताया है. मस्जिद प्रशासन की मानें यहां पर 1398 से नियमित रूप से मुसलमान नमाज अदा करते चले आ रहे हैं. इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में 9 दिसंबर को होगी.
कई सौ साल पुरानी है शाही अटाला मस्जिद
जौनपुर में कई सौ साल पुरानी शाही अटाला मस्जिद है. इसी मस्जिद को लेकर स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की ओर से दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि यहां पर पहले अटाला देवी मंदिर हुआ करता था. जिसे 13वीं सदी में राजा विजय चंद्र द्वारा बनवाया था. उसी जगह यहां पर मस्जिद बना दी गई है. कोर्ट में दायर की गई याचिका में एसोसिएशन ने कहा है कि यहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार और गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग की है. दूसरी ओर अटाला मस्जिद प्रशासन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई अपनी याचिका में कहा है कि शाही अटला मस्जिद में 1398 के बाद से लगातार जुमा और पांच वक्त की नमाज अदा होती रही है और मुस्लिम समाज यहां नियमित प्रार्थना करता आ रहा है.
गोमती नदी किनारे बनी अटाला मस्जिद
अटाला मस्जिद के इतिहास पर अगर एक नजर डालें तो इतिहासकार राणा सफवी ने अपने एक ब्लॉग में लिखा है कि करीब 100 फीट ऊंची अटाला मस्जिद जौनपुर के मोहल्ला सिपाह के पास गोमती नदी किनारे बनी हुई है. इतिहासकारों के अनुसार अटाला मस्जिद का निर्माण 1393 में फिरोजशाह ने शुरू कराया था. ये मस्जिद तुगलक शैली में बनाई गई है. इस मस्जिद का मुकम्मल तौर पर निर्माण सन् 1408 ई0 में इब्राहिम शाह शर्की ने कराया था. मस्जिद में 177 फीट व्यास वाले प्रांगण के चारों ओर पार्श्व गैलरी बनी हुई हैं. इसके हर एक तरफ दरवाजे बने हैं. मस्जिद में उत्तर और दक्षिण में गुंबद बने हुए हैं. पश्चिमी भाग में मेहराब और मिम्बर के साथ मुख्य प्रार्थना कक्ष मौजूद है, जबकि पूर्वी भाग में एक विशाल सजावटी द्वार बना है. उत्तर और दक्षिण में भी प्रवेश द्वार बने हैं. मस्जिद का मुख्य दरवाजा 75 फीट ऊंचा और 55 फीट चौड़ा है. भीतर एक बड़ा धंसा हुआ मेहराब है, जिसके माध्यम से मुख्य प्रार्थना कक्ष में प्रवेश किया जाता है. मस्जिद का हॉल तीन मंजिला है और इसमें खूबसूरत मेहराबें बनी हुई हैं. अंदर से 57 फीट ऊंचा गुंबद ईंटों की गोलाकार परत से बना है और गोलाकार आकार देने के लिए बाहर से सीमेंट से ढका गया है.