‘रेवड़ी कल्चर’ ने फिर एक बार तूल पकड़ रखा है क्यूंकि देश के कई प्रदेशों में आने वाले दिनों में चुनाव होने है.
देश में ‘रेवड़ी कल्चर’ ने इन दिनों तूल पकड़ रखा है क्यूंकि देश के कई प्रदेशों में आने वाले दिनों में चुनाव होने है. ऐसे में जनता को लुभाने के लिए नेता अलग-अलग वादे करने लगते है जैसे कि फ्री में बिजली देना,बच्चों को लैपटॉप और टैबलेट देना, साथ ही भोली-भाली जनता को भी लुभाने के लिए उनके बैंक आकउंट में पैसे तक डालने का वादा करते है, इसी को रेवड़ी कल्चर कहा जाता है.
पीएम मोदी ने रेवड़ी कल्चर को बताया खतरनाक !
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी कई चुनावी जनसभाओं में रेवड़ी कल्चर को देश के लिए खतरनाक बताया है. सरल भाषा में अगर आपको बताए तो रेवड़ी कल्चर एक चुनावी हथकंडा है, जिसको देश के नेता बखूबी इस्तेमाल करना जानते है, यह कल्चर सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर असर डालता है.
रेवड़ी कल्चर कितना घातक है ?
रेवड़ी कल्चर किसी भी देश के लिए बहुत ही ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसका असर सीधा देश की जनता पर पड़ता है और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. हम सबने बीते कुछ साल पहले श्रीलंका को बर्बाद होते अपनी आंखों से देखा है. यह एक जीता जागता सबूत है कि यह कल्चर हमारे लिए इतना खतरनाक साबित हो सकता है
भारत में कहां से हुई रेवड़ी कल्चर की शुरूआत?
भारत में रेवड़ी कल्चर की शुरूआत सन् 2006 में तमिलनाडु से हुई थी, यहां तब डीएमके ने सरकार बनने पर लोगों की फ्री कलर टीवी, देने वादा किया था. जिसके बाद पार्टी ने यह भी तर्क दिया की टीवी की वजह से महिलाओं में जागरूकता आएगी और उनको जिंदगी जीने में आसानी होगी. डीएमके के इस चुनावी वादे के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. हालाकिं डीएमके ने केस जीत लिया और किए गए वादे को पूरा करने के लिए 750 करोड़ का बजट पेश किया गया. जिसके बाद अगले चुनाव में विपक्षी अन्नाद्रमुक ने लोगों को टीवी के जवाब में मिक्सर ग्राइंडर,पंखा,कम्प्यूटर,लड़कियों की शादी पर परिजनों को 50 हजार कैश देने का वादा किया. जिसका परिणाम यह रहा कि अगले चुनाव में डीएमके हार गई और अन्नाद्रमुक की सरकार बन गई तब से देश में रेवड़ी कल्चर की शुरूआत हो गई.
देश के नेताओं ने रेवड़ियां बांटना किया शुरू
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी इसी हथकंडे को अपनाते हुए राजधानी की जनता को फ्री बिजली दे रहे है. साथ ही अपने चुनावी भाषणों में कहते नजर आ रहे है कि अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन गई तो वह फ्री रेवडियां बंद कर देगी लेकिन दिल्ली सरकार को यह समझना चाहिए कि जो सुविधाएं वह जनता को फ्री में दे रही है कही न कहीं इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. साथ ही जनता के मन में लालच बढ़ रहा है. देखा गया है कि इधर देश की सारी सरकारें इसका प्रयोग करना चाह रही है.
राज्यों को कर्जदार बना रहा रेवड़ी कल्चर?
राज्यों को कर्जदार बना रहा रेवड़ी कल्चर?राज्य की सारकारें सत्ता में रहने के लिए लगातार रेवड़िया बांटने का ऐलान कर रही है. जिसका नतीजा यह है कि प्रदेश की सरकारों का खजाना खाली हो रहा है और वह दिन पर दिन घाटे पर जा रही है. देश में मंहगाई बढ़ेगी और बेरोजगारी भी बढ़ेगी. श्रीलंका औऱ पाकिस्तान के साथ ऐसा ही हुआ है हमको उनसे सबक ले