कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट और ताकतवर होकर संक्रमण को बढ़ाएगा या फिर मामूली सर्दी-बुखार में बदलकर तंग करता रहेगा, इस चिंता ने वैज्ञानिकों की रातों की नींद उड़ा रखी है। हालांकि एक बात पर बहुत से लोग एकमत हैं। जिनके शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी मजबूत होगी, उनका ज़्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा वायरस। महामारी जब चरम पर थी, तब भी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए तरह-तरह की सलाह दी जा रही थी।
Immunity हमारी बॉडी में होने वाली एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें हमारी बॉडी को बाहर से इंटर करने वाले हानिकारक सब्सटेंस से बचाया जाता है। यह प्रोसेस बॉडी में अपने आप होती है। इसमें हानिकारक बैक्टीरिया वायरस fungus, प्रोटीन और अन्य सब्सटेंस से बॉडी को protect किया जाता है।इम्यूनिटी में टॉक्सिक सब्सटेंस से बॉडी को बचाने का काम डब्ल्यूबीसी के द्वारा किया जाता है। यह डब्ल्यूबीसी अलग-अलग रुको में हमें इम्यूनिटी देती है।
इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अभी तक किसी दवा की खोज नहीं हो सकी है। एक मिथक है इम्युनिटी बूस्टर। हक़ीक़त में ऐसा कुछ होता नहीं। विज्ञापनों के बड़े-बड़े दावों में फंसकर दवाएं खाने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, इस बात का कोई सबूत नहीं। इतना ही नहीं, अपने मन से विटामिन, मिनरल्स या एंटी-ऑक्सिडेंट खाने से बीमारियां तो रुकती नहीं, उल्टे नई तकलीफ हो सकती है। इसे कहते हैं हाइपर विटामिनोसिस।
इम्युनिटी बढ़ाने की पहली शर्त है वजन सामान्य रखना। और सामान्य वजन के लिए ज़रूरी है संतुलित भोजन और नियमित कसरत। हफ्ते में 150 मिनट पसीना बहाने वाली कसरत करके और घर का बना ताज़ा, हल्का खाना खाकर बिल्कुल सेहतमंद रहा जा सकता है। अब जान लेते हैं कि इम्युनिटी ठीक-ठीक होती क्या है? हमारे शरीर की विभिन्न कोशिकाएं और अंग एकसाथ मिलकर नुकसानदेह बैक्टीरिया, वायरस वगैरह के हमलों से बचाव करते हैं। शरीर की इसी प्रणाली को डॉक्टरी भाषा में कहा जाता है इम्युनिटी सिस्टम। इसके कई हिस्से हैं जैसे- सरफेस बैरियर, इनेट इम्यून सिस्टम, कॉम्प्लीमेंट सिस्टम, एडॉप्टेड इम्यून सिस्टम। सरफेस बैरियर में सबसे पहले आती है हमारी खाल। बाहरी वातावरण के हमले से खाल हमारी रक्षा करती है। गर्मी, सर्दी, धूल, प्रदूषण समेत तरह-तरह के कीटाणुओं को हमारे शरीर में घुसने से रोकती है।
कोविड के प्रकोप को देखते हुए इनेट इम्यून सिस्टम को ठीक रखने पर जोर दिया जा रहा है।' इनेट इम्यून सिस्टम किसी माइक्रो-ऑर्गेनिज्म या टॉक्सिन के ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़कर उन्हें शरीर से बाहर धकेलता है। वहीं कॉम्प्लीमेंट सिस्टम बना होता है श्वेत रक्त कणिकाओं यानी डब्ल्यूबीसी से। ये कणिकाएं दिन-रात पहरेदारी करती हैं। किसी हानिकारक वायरस या बैक्टीरिया के शरीर में घुसते ही टूट पड़ती हैं उस पर। डब्ल्यूबीसी की एक क़िस्म है लिम्फोसाइट, जो इम्यूनिटी सिस्टम में बेहद अहम रोल अदा करते हैं। लगातार स्ट्रेस में रहने से ग्लूकोकॉर्टिकॉयड हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि लिम्फोसाइट बनाने वाली थाइमस ग्लैंड ठीक से काम नहीं कर पाती। लिम्फोसाइट कम बनने से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में स्ट्रेस, इम्युनिटी कम करके तरह-तरह की बीमारियों को न्योता देता है। इस बारे में डॉक्टर माइती कहते हैं, ठीक समय पर खाना खाना और नियम से आठ घंटा सोना ज़रूरी होता है। नींद कम लेने से हमारे शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है।
कोविड की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। इससे मुक़ाबले के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार करें, आइए जानते हैं :
सबसे पहला उपाय यही है कि हफ्ते में पांच दिन रोज कम-से-कम आधा घंटा यानी हफ्ते में कुल 150 मिनट कसरत ज़रूर करें। सुबह और शाम वॉक करें।
अब दूसरा उपाय, नियम बना लें कि हर दिन कम से कम पांच मिनट ध्यान लगाना है। और फिर सबसे अहम चीज़, अपनी डायट को संतुलित बनाएं। उसमें विटामिन सी, बायो फ्लैवोनॉयड, फाइटोकेमिकल और एंटी ऑक्सिडेंट को शामिल करें। ये इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं।
विटामिन-सी के लिए आंवला, संतरा, नींबू जैसे फलों का सेवन करें। रंग-बिरंगी ताज़ा साग-सब्ज़ियों, फलों, बदाम, मांस-मछली, दूध, अंडे वगैरह में हमारी ज़रूरत को पूरी करने के लिए पर्याप्त विटामिन, मिनरल और एंटी-ऑक्सिडेंट होते हैं। सब्ज़ियों को ज़्यादा तेल-मसाले में पकाकर खाने से इनके गुण कम हो जाते हैं। इनके सबके साथ वैक्सीन लेना और अच्छी क्वॉलिटी का मास्क पहनना सबसे बड़ा बचाव है।
वैसे इम्यूनिटी का हिंदी मतलब प्रतिरक्षा होता है। इस प्रकिया में हमारे शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र के द्वारा बाहरी हानिकारक तत्वों से बचाया जाता है।
यह प्रकिया एक स्वस्थ शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होती है।प्रतिरक्षा शरीर में स्वतः होने वाली प्रकिया है जिसमे कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं के द्वारा शरीर की रक्षा की जाती है।शरीर में प्रतिरक्षा का काम श्वेत रक्त कोशिकाओं(WBCs) के द्वारा किया जाता है यह श्वेत रक्त कोशिका कई प्रकार की होती है।