देश की सबसे बड़ी अदालत ने उत्तराखंड के हलद्वानी में रातों-रात बेघरबार कर दिए जाने की आशंका से परेशान हजारों लोगों को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के ऑर्डर पर रोक लगाते हुए कहा कि आप 50 हजार लोगों को रातों-रात उजाड़ नहीं सकते। कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड की राज्य सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस भेजते हुए मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस इलाके में कोई नया निर्माण या डेवलपमेंट किए जाने पर भी रोक लगा दी है।
देश की सर्वोच्च अदालत ने आज हुई सुनवाई के दौरान कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है। इस केस में कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है। कोर्ट का यह भी कहना है कि रातोंरात 50 हजार लोगों को बेघर नहीं किया जा सकता है। अपने ऑर्डर में कोर्ट ने सरकार को इलाके के लोगों के पुनर्वास के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर इस इलाके को 10 जनवरी से अतिक्रम मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया जाना था। इसके खिलाफ हल्द्वानी में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस इलाकें में दशकों से रह रहे लोगों के विरोध-प्रदर्शन को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम जैसे राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है।
हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार से जवाब मांगा। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले पर 7 फरवरी को अगली सुनवाई होगी।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर बसे हजारों घरों को हटाने के आदेश दिए हैं, जिसके बाद से पूरे इलाके में खलबली मची हुई है। पिछले कई दिनों से इलाके के हजारों लोग, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, सड़कों पर उतरकर अपनी परेशानी की तरफ सबका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बने हजारों घरों को हटाकर पूरी जमीन को खाली कराएं। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट के इस आदेश के तहत 4300 से ज्यादा अतिक्रमणों को हटाया जाना है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को दिए अपने आदेश में हलद्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण जल्द से जल्द हटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने इस इलाके में रहने वालों को एक हफ्ते का नोटिस देकर पूरी जमीन खाली कराने का आदेश दिया था। इसके बाद सोमवार 2 जनवरी को हलद्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश की अगुवाई में इलाके के निवासियों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद वरिष्ठ एडवोकेट प्रशांत भूषण ने भी 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अनुरोध किया था कि हलद्वानी में 5000 से ज्यादा घर गिराए जा रहे हैं, जिनमें हजारों लोग रहते हैं, लिहाजा अदालत इस मामले में दखल दे। हलद्वानी के बनभूलपुरा इलाके की जिस जमीन को खाली कराने का आदेश है, उस पर घरों के अलावा कई स्कूल, मदरसे, मंदिर और मस्जिद पिछले कई दशकों से बने हुए हैं। जिन घरों को अतिक्रमण बताकर हटाए जाने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया है, उनमें रहने वाले हजारों लोगों के सामने भयानक ठंड में अचानक बेघरबार हो जाने का खतरा मंडरा रहा है।