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राजस्थान में कांग्रेस में चल रहा सियासी बवाल लगातार बढ़ता जा रहा

[Edited By: Rajendra]

Wednesday, 17th May , 2023 12:47 pm

राजस्थान में कांग्रेस में चल रहा सियासी बवाल लगातार बढ़ता जा रहा है। गहलोत-पायलट के बीच की लड़ाई रोज नया मोड़ लेती जा रही है। सचिव पायलट ने हाल ही अपनी 5 दिन की जन संघर्ष यात्रा में भी सरकार को जमकर कोसा। यात्रा के अंतिम दिन सोमवार को तो पायलट के साथ उनके समर्थक विधायक और मंत्री भी गहलोत सरकार को कोसते नजर आए। अपनी मांगों को लेकर अल्टीमेटम देकर एक तरफ जहां पायलट ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश की है, वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की साख पर भी पलीता लगाने का काम किया है। पायलट और उनके समर्थक नेताओं ने भरी सभा में गहलोत पर एक के बाद एक कई हमले बोले। अपनी ही पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए।

सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा समाप्त हो चुकी है, लेकिन यात्रा के जरिए दिया गया पॉलिटिकस मैसेज अब भी गहलोत गुट में खलबली मचाए हुए हैं। पायलट के तेवर, लोगों की भीड़, समर्थक नेताओं के आक्रमक भाषणों से यह साफ संकेत दिया गया है कि गहलोत नेतृत्व के खिलाफ अब आर-पार की जंग शुरू हो चुकी है। इधर, यात्रा के दौरान सचिन पायलट के आक्रमक तेवर को देखकर गहलोत गुट ही नहीं कांग्रेस आलाकमान भी हैरान है।

सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। पांच दिन की यात्रा के बाद पायलट के तेवर और तल्ख हो गए हैंं। पायलट ने सीएम अशोक गहलोत कैंप के दावों पर सवाल उठाते हुए बीजेपी के करप्शन पर फिर सरकार को घेरा है।

यात्रा समाप्त होने के बाद पायलट ने कहा- गजेंद्र सिंह शेखावत ने गलत किया तो स्कैंडल को उजागर करना चाहिए। हम जब सत्ता में आए थे तो हमने यह नहीं कहा था कि हम गजेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई करके सत्ता में आएंगे। हमें वसुंधरा राज के करप्शन पर कार्रवाई के वादे पर वोट मिला था।

सीएम गहलोत के 156 सीट लाकर घमंड नहीं करने के तंज भरे बयान पर पायलट ने कहा- सरकार को लीड करने वाले सीएम को जीत के साथ हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। हम क्यों 100 से 20 पर आ जाते हैं। जीत के साथ हार की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। सरकार रहते क्यों हम 20 और 50 सीटों पर आए? वह भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।

पायलट ने जन संघर्ष यात्रा निकालकर गहलोत सरकार को बड़ी चुनौती दी है। उन्होंने इस यात्रा के माध्यम से अपनी तीन प्रमुख मांगे रखी हैं। इन मांगों को 31 मई तक नहीं मानने पर राजस्थान भर में आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

पहली मांग : पायलट की पहली मांग अजमेर राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर नया सिस्टम बनाने की है। इसके अलावा आयोग में अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति से पहले उनकी पूरी जांच की जाए। जैसे हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति से पहले की जाती है। दूसरी मांग: पायलट की दूसरी प्रमुख मांग युवाओं से जुड़ी है। उनका कहना है हाल ही में पेपर लीक प्रकरण के कारण युवाओं का सरकार से विश्वास टूटा है। ऐसी स्थिति में पेपर लीक के कारण जिन लोगों को नुकसान पहुंचा है। उन्हें सरकार की तरफ से उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाए। तीसरी मांग: पायलट की तीसरी मुख्य मांग पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के शासनकाल के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार की जां को लेकर है। पायलट ने कहा है कि कांग्रेस ने पूर्व में जो भी आरोप लगाए थे, उन सब मामलों की जांच शुरू की जाए। पायलट ने कहा कि हमने चुनाव से पहले जनता से यही कहा था कि हम सरकार में आए तो, भ्रष्टाचार के मामलों की जांच होगी।

सचिन पायलट ने भले ही गहलोत सरकार के सामने अपनी तीन मांगे रख दी है। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या उनकी इन मांगों को सरकार पूरा कर पाएगी। पायलट ने आरपीएससी को भंग करने, पेपर लीक से पीड़ित लोगों को मुआवजा देने और बीजेपी राज के भ्रष्टाचार पर 15 दिन में कार्रवाई की मांग की है। जानकार सूत्रों के अनुसार इन तीनों मांगों को 15 दिन में पूरा करना मुश्किल है। इनमें कई स्तर के व्यवहारिक और राजनीतिक दिक्कतें भी सरकार के सामने आएगी। दूसरा सवाल यह है कि अगर सरकार पायलट की मांगों को मान लेती है, तो यह मैसेज जाता है कि पायलट ने सीएम गहलोत को झुका दिया। ऐसी स्थिति में गहलोत भी नहीं चाहेंगे कि राजस्थान में इस तरह का मैसेज जाए।

जन संघर्ष यात्रा के दौरान पायलट समर्थक विधायकों ने भी भाषणों में सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ जमकर हमला करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। गहलोत के खिलाफ खुली जंग का ऐलान करने के मैसेज भी दिए गए। ये भाषण गहलोत सरकार के लिए भारी पड़ने वाले हैं। यात्रा के दौरान मंत्री हेमाराम चौधरी, राजेंद्र गुढ़ा, विधायक मुकेश भाकर, वेद प्रकाश सोलंकी ने सीएम अशोक गहलोत पर सीधा हमला बोला। इसके अलावा उन्होंने अपनी ही सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।

मंत्री राजेंद्र गुढ़ा - जनसंदेश यात्रा के दौरान गहलोत सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने गहलोत को घेरते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में सरकार ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हमारी सरकार कर्नाटक की 40% कमीशन वाली सरकार से भी आगे निकल गई है। उन्होंने यहां तक कहा कि गहलोत विधायकों पर पैसे लेने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन बीजेपी के विधायकों को भी खरीदने की कोशिश की गई है। इसके मेरे पास सबूत हैं। हमारी राजस्थान सरकार का एलाइनमेंट खराब हो चुका है। राजस्थान में बिना पैसे की फाइल आगे नहीं बढ़ती है। विधायक भरत सिंह भी गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया पर भ्रष्टाचार के खुले आरोप लगा रहे हैं।

मंत्री हेमाराम चौधरी - मंत्री हेमाराम चौधरी ने जनसंदेश यात्रा में गहलोत पर सीधा हमला करते हुए कहा कि हमें पता नहीं लग पा रहा है, आखिर राजस्थान में किसकी सरकार है। हमारे मुखिया कह रहे हैं कि हमारी सरकार को बचाने के लिए वसुंधरा राजे ने सहयोग किया तो, क्या यह वसुंधरा राजे की सरकार है। चौधरी ने गहलोत के विधायकों पर पैसे लेने के आरोप पर करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यदि हमने पैसे लिए है तो, हमें मंत्री क्यों बना रखा है। अगर गहलोत के पास हमारे पैसे लेने के सबूत हैं तो, हमें मंत्री पद से हटा दें। इस दौरान हेमाराम चौधरी ने गहलोत को बड़ा मैसेज दिया है कि यदि समय आया तो, वे अपना मंत्री पद भी छोड़ देंगे।

विधायक मुकेश भाकर - जन संघर्ष यात्रा के समापन पर आयोजित जनसभा में लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने भी गहलोत सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले को लेकर पूरी तरह विफल रही है। सरकार ने कभी भी भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर कुछ नहीं कहा। पूरा शासनकाल सिर्फ पायलट और उनके समर्थक विधायकों पर निशाना बनाने में बीत गया। उन्होंने साफ कहा कि वे कांग्रेस पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले हैं।

विधायक रामनिवास गावड़िया - विधायक रामनिवास गावड़िया ने भी कहा कि सरकार ने केवल सचिन पायलट और हमें कोसने के अलावा कुछ नहीं किया है। गावड़िया ने कहा कि गहलोत के मंत्री बोलते हैं अच्छे-अच्छे को पानी पिला दिया। लेकिन यह तो बताएं उन्होंने पानी मांग रही जनता को कितना पीने का पानी पिलाया है। अब जनता ही इन लोगों को बताएगी, कौन किस को पानी पिलाता है। सचिन पायलट ने हमेशा दलितों और नौजवानों की आवाज को बुलंद किया है।

राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मंगलवार को कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट की राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पुनर्गठन और परीक्षा रद्द होने पर अभ्यर्थियों को मुआवजा देने की मांग का समर्थन किया। भारतीय जनता पार्टी के नेता राठौड़ ने अशोक गहलोत नीत सरकार में सचिन पायलट के उप मुख्यमंत्री रहने के दौरान पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे नीत सरकार को लेकर आरोपों के संबंध में पायलट की चुप्पी पर भी सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, ‘‘आरपीएससी को न केवल भंग कर दिया जाना चाहिए बल्कि पेपर लीक और भ्रष्टाचार के पूरे मामले की न्यायिक आयोग से जांच होनी चाहिए। पेपर लीक की घटनाओं के कारण पेपर रद्द होने पर उम्मीदवारों को मुआवजा भी दिया जाना चाहिए।’’ पायलट द्वारा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को लेकर आरोप के संबंध में राठौड़ ने पायलट पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि पायलट चुप क्यों थे और 19 महीने तक उपमुख्यमंत्री रहने के दौरान इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया।

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस अलग-अलग नेताओं के नेतृत्व में दो गुटों में बंटी हुई है और सरकार के मंत्रियों ने सोमवार को जयपुर में पायलट की रैली के दौरान अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रदेश में आयोजित हो रहे महंगाई राहत शिविर के लिए गहलोत नीत सरकार पर भी हमला बोला। राठौड़ ने कहा कि जनता के पैसे से विज्ञापनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की फोटो छापी जा रही है जो जनता के पैसे का दुरुपयोग है। राठौड़ ने कहा कि दौसा में ऐसे ही एक शिविर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की गई थी।

इसी आरोप-प्रत्यारोप के बीच डीडवाना क्षेत्र के विधायक चेतन डूडी भी गहलोत सरकार के पक्ष में खुलकर आ गए। विधायक डूडी ने सचिन पायलट द्वारा उठाई 3 मांगों को अव्यवहारिक बताया और ट्वीट कर सीएम के समर्थन में लिखा भी है। डूडी ने ट्वीट किया व लिखा है कि सचिन की तीनों मांगे अव्यवहारिक और पूरी तरह से समझ के परे है। पायलट बताए कि कौनसे मामले की जांच कराना चाहते है।

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