देश जहां एक ओर नए साल की तैयारियों में जुटा है. वहीं साल के अंत के दिनों में राजनीतिक जगत से दुखी कर देने वाली खबर आ रही है. दरअसल देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में एम्स में निधन हो गया है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक सिख परिवार में साल 1932 में मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था. देश की दिशा और दशा तय करने में डॉ. मनमोहन सिंह ने अहम योगदान दिया है.
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने जीवन में कामयाबियों की कई इबारतें लिखी हैं. राजनीतिक पृष्ठभूमि का ना होते हुए भी एक अर्थशास्त्री का प्रधानमंत्री के ऊंचे ओहदे पर बैठना कोई कम बड़ी बात नहीं है. डॉ. सिंह की दूरदृष्टि के कारण ही भारत विकासशील देशों की श्रेणी से विकसित देशों की श्रेणी में एक पायदान आगे बढ़ सका है. जवाहर लाल नेहरू के बाद मनमोहन सिंह ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जो कि एक टर्म पूरा करने के बाद दूसरी बार फुल टर्म के लिए प्रधानमंत्री बने.
पहले सिख जो बने देश के प्रधानमंत्री
इतना ही नहीं मनमोहन सिंह ऐसे पहले सिख हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठना नसीब हुआ. डॉ. सिंह केवल देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के कुछ चुनिंदा सबसे ज्यादा पढ़े लिखे प्रधानमंत्रियों में से एक रहे हैं. मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र के अलावा कई विषयों की मानद डिग्रियां हासिल हैं. डॉक्टर ऑफ लॉ, डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ, डॉक्टर ऑफ सोशल साइंसेज के अलावा कई यूनिवर्सिटीज़ के डॉक्ट्रेट ऑफ लेटर्स की उपाधि के साथ विदेशी यूनिवर्सिटी तक ने भी मनमोहन सिंह को मानद उपाधि दे रखी हैं. वहीं मनमोहन सिंह के बारे में एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि वो हिंदी नहीं पढ़ पाते थे. जब भी उन्हें हिंदी बोलने की जरूरत पड़ती थी, तो उन्हें उर्दू में लिखकर दिया जाता है. इसके अलावा भाषण देने से पहले वो बाकायदा प्रैक्टिस किया करते थे.
26 सितंबर को मनाया था 92वां जन्मदिन
करीब तीन महीने पहले ही मनमोहन सिंह ने 26 सितंबर को अपना 92वां जन्मदिन मनाया था. हालांकि ये दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि उनका जन्म 26 सितंबर को ही हुआ है. जिसका कारण ये है कि मनमोहन सिंह के जन्म की तारीख उनके परिवार में किसी को याद नहीं थी. मनमोहन सिंह ने बहुत ही कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था. मनमोहन सिंह की देखभाल उनकी दादी ने की थी. स्कूल में जब पहली बार दाखिले की बारी आई तो दादी ने मनमोहन सिंह के जन्म की तारीख 26 सितंबर लिखवाई. हालांकि उन्हें पक्के तौर पर मनमोहन सिंह की जन्म की तारीख याद नहीं थी. जिसके बाद स्कूल के सर्टिफिकेट में चढ़ी जन्म की तारीख ही उनकी आधिकारिक जन्मतिथि हो गई.
पाकिस्तान के पंजाब से है मनमोहन का कनेक्शन
भले ही मनमोहन सिंह का बचपन अभावों में गुजरा हो. मगर कभी भी उन्होंने पढ़ाई-लिखाई में किसी भी तरह की कोई कोताही नहीं बरती. पाकिस्तान के पंजाब में जिस गाह इलाके में उनका परिवार रहता था, वो काफी पिछड़ा इलाका था. गांव में ना तो बिजली थी और ना ही स्कूल. मनमोहन सिंह में पढ़ाई के प्रति इतनी ललक थी कि वे मीलों चलकर स्कूल पढ़ने जाया करते थे. मनमोहन सिंह ने केरोसीन से जलने वाले लैंप में पढ़ाई की है. अक्सर कई अवसरों पर मनमोहन सिंह अपनी कामयाबी के पीछे अपनी शिक्षा का बड़ा हाथ होना बताते हैं.
शर्मीले स्वभाव के थे मनमोहन सिंह
बचपन से ही मनमोहन सिंह शर्मीले स्वभाव के थे. इसका जिक्र खुद उन्होंने के एक इंटरव्यू में किया था जहां उन्होंने कहा था कि कैंब्रिज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने यादगार लम्हे बिताए. वो कैंब्रिज में इकलौते सिख थे. वहां रहने के दौरान पूरे वक्त उन्होंने ठंडे पानी से नहाकर बिताया. इसके पीछे भी एक मजेदार कहानी है. दरअसल नहाते वक्त मनमोहन सिंह अपने लंबे बालों के कारण शर्मिंदगी महसूस करते थे. वो दूसरे लड़कों के सामने अपने लंबे बालों को दिखाने से बचना चाहते थे. ऐसा तभी मुमकिन हो सकता था जब वो अकेले में नहाते. वहीं सारे लड़के जब गर्म पानी आता तो एकसाथ लाइन लगाकर खड़े हो जाते और नहाते थे. जबकि मनमोहन सिंह सारे लड़कों के नहा लेने के बाद नहाते थे. तब तक गर्म पानी खत्म हो चुका होता और उन्हें ठंडे पानी से नहाना पड़ता था.