प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यह महोत्सव 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। यानि कि महाकुंभ का पर्व 45 दिनों तक चलेगा वहीं महाकुंभ में इस बार 45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। जिसको लेकर सरकार द्वारा तमाम इंतजाम किए गए हैं।
आपको बता दें इस बार महाकुंभ मेले में सबसे अधिक आकर्षण का केंद हैं देश के 13 प्रमुख अखाड़े। ये सभी अखाड़े शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों से संबंधित हैं और इन्हें मान्यता प्राप्त है. इनमें से 7 अखाड़े शैव संन्यासी संप्रदाय के हैं, जबकि बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं. इसी प्रकार, उदासीन संप्रदाय के भी 3 अखाड़े हैं. इन अखाड़ों के साथ ही उनके साधु- संत भी शामिल होंगे।
अखाड़ा न केवल साधु-संतों की बड़ी संख्या के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण गाथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। नागा साधु, अपने तप, संयम, और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। हिंदू धर्म में साधु-संतों का एक ऐसा समूह है जो धार्मिक और शारीरिक अनुशासन का समन्वय प्रस्तुत करता है. इसकी परंपरा की नींव 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा रखी गई थी. उस समय विदेशी आक्रमणों से हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए एक योद्धा वर्ग की आवश्यकता महसूस की गई.
देशभर में इस अखाड़े के 500 से अधिक मठ, आश्रम और मंदिर हैं। नागा साधुओं की संख्या अटल अखाड़े में दो लाखा से ज्यादा है, वहीं महामंडलेश्वरों की संख्या 60 हजार से अधिक बताई जाती है। अखाड़ा प्रणाली भारतीय धर्म, संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक मानी जाती है. यह न केवल धर्म की रक्षा करती है, बल्कि समाज को एकजुट करने और मार्गदर्शन प्रदान करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अखाड़े के साधु केवल कुंभ और महाकुंभ जैसे बड़े मेलों में ही बाहर आते हैं.
महाकुंभ में इस बार देश के 13 प्रमुख अखाड़े भी शिरकत करेंगे जो 45 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। इन अखाड़ों में एक अखाड़ा श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा भी है। ‘अखाड़ा’ का शाब्दिक अर्थ कुश्ती का स्थान है. इस अखाड़े का मकसद सनातन धर्म की रक्षा और लोगों को धार्मिक रास्ता दिखाना है। शंकराचार्य ने इसे एक संगठन के रूप में स्थापित किया, जहाँ साधुओं को शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा प्रदान की जाती थी. इन साधुओं का जीवन भौतिक इच्छाओं से मुक्त होता है, जिससे वे धर्म की रक्षा में अपनी पूरी क्षमता लगा सकते थे.