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भाई वाह – भारत का परचम लहरा रहे पैराओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी-रच रहे है इतिहास,भारत को मिला चौथा गोल्ड मेडल

[Edited By: Vijay]

Saturday, 4th September , 2021 05:16 pm

प्रमोद भगत (Pramod Bhagat) ने बैडमिंटन पुरुष एकल SL3 स्पर्धा में कमाल का पऱफॉर्मेंस कर गोल्ड मेडल जीत लिया है. पैरालिपिंक में भारत को यह चौथा गोल्ड मेडल मिला है. बता दें कि पैरालिपिंक में बैडमिंटन में भारत को यह पहला गोल्ड मेडल मिला है. सोशल मीडिया पर प्रमोद भगत के गोल्ड मेडल जीतने पर उन्हें खूब बधाई मिल रही है. इस गोल्ड के साथ ही भारत के नाम टोक्यो पैरालिंपिक में अब 16 मेडल आ गए हैं. यह भारत का पैरालिंपिक के इतिहास में अबतक का सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस हैं. 

          

प्रमोद भगत ने फाइनल में डैनियन बेथेल को सीधे गेमों में 21-14, 21-17 से मात दकेर गोल्ड मेडल में कब्जा जमाया. भारतीय शटलर प्रमोद भगत ने सेमीफाइनल में जापान के डाइसुके फुजीहारा पर 21-11, 21-16 से जीतकर फाइऩल में पहुंचे थे. 

भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने बैडमिंटन में प्रमोद द्वारा गोल्ड मेडल जीतने पर बधाई दी है. अपने ट्वीट में पीएम ने लिखा, 'प्रमोद भगत ने पूरे देश का दिल जीत लिया है, वह एक चैंपियन हैं, जिनकी सफलता लाखों लोगों को प्रेरित करेगी, उन्होंने उल्लेखनीय  दृढ़ संकल्प दिखाया. उन्हें बैडमिंटन में गोल्ड जीतने के लिए बधाई. उन्हें उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं.'

                        

 भुवनेश्वर का 33 साल का यह खिलाड़ी अभी मिश्रित युगल एसएल3-एसयू5 क्लास में कांस्य पदक की दौड़ में बना हुआ है।
भगत और उनकी जोड़ीदार पलक कोहली रविवार को कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाईसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से भिड़ेंगे. एसएल3-एसयू5 वर्ग में भगत और पलक की जोड़ी को सेमीफाइनल में इंडोनेशिया की हैरी सुसांतो एवं लीएनी रात्रि आकतिला से 3 - 21, 15 - 21 से हार का सामना करा पड़ा. पांच वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण उनका बायां पैर विकृत हो गया था. उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में चार स्वर्ण समेत 45 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं.


बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप में पिछले आठ साल में उन्होंने दो स्वर्ण और एक रजत जीते. 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य जीता. सुहास यथिराज और कृष्णा नागर भी अपनी अपनी क्लास में पुरूष एकल फाइनल में पहुंच चुके हैं. एसएल3 क्लास में उन खिलाड़ियों को हिस्सा लेने की अनुमति होती है जिनके पैर में विकार हो.

भारतीय खिलाड़ी लगातार इतिहास रच रहे है आज पूरा देश इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन से गौरवान्वित महसूस कर रहा है और आने वाली पीढ़िया इनसे सबक ले रही है प्रेरणा ले रही है..जय हो भारत

 

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