[Edited By: Rajendra]
Tuesday, 2nd August , 2022 01:04 pmझारखंड कांग्रेस के 3 विधायकों की गाड़ी से भारी रकम मिलने के बाद सूबे की सियासी फिजा बदलती नजर आ रही है. इसी बीच कैबिनेट फेरबदल की आहट भी सुनाई पड़ने लगी है. दरअसल, हेमंत सरकार में काग्रेस कोटे के चार मंत्री अलग-अलग महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे हैं. हेमंत सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे के 4 मंत्रियों की नींद इस वक्त उड़ी हुई है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस कोटे के 4 में से 3 मंत्रियों के बदले जाने की जोरदार चर्चा शुरू हो गई है. कौन तीन मंत्री हेमंत सोरेन कैबिनेट से बाहर होंगे इसकी भी तैयारी हो चुकी है. वैसे कांग्रेस की ओर से फिलहाल इस सवाल पर कोई खुल कर बोलने को तैयार नहीं है, पर किसी ने इसे खारिज भी नहीं किया है.
रामेश्वर उरांव के पास वित्त, खाद्य आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण है, वहीं, आलमगीर आलम के पास ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, पंचायती राज है. बन्ना गुप्ता स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग का जिम्मा है. बादल पत्रलेख के जिम्मे कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग है. अब कैश कांड के सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि इन चारों मंत्रियों के कामकाज और परफॉर्मेंस का आकलन आलाकमान तक कर रहा है.
इन चारों मंत्रियों के पास विभाग पूर्ववत बने रहेंगे या फिर इसे बदला जाएगा अथवा पार्टी के किसी दूसरे चेहरे को मंत्री पद दिया जायेगा, इसकी चर्चा तेज है. लेकिन इस मामले पर कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने इसे महज अफवाह बताया है. उन्होंने कहा कि यह बातें पार्टी के लोगों को पता नहीं चल रही जबकि विपक्ष इसे हवा दे रहा है.
निर्दलीय विधायक सरयू राय ने इस पूरे प्रकरण पर दो टूक कहा दिया कि अगर मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल में जल्द बदलाव करते है तो राजनीतिक लाभ के साथ-साथ सरकार को स्थिरता मिलेगी. कांग्रेस पर सीधा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की कैबिनेट में शामिल कुछ कांग्रेस कोटे के मंत्री ही पलिता लगाने का काम कर रहे है और उनके मंत्री ही आगे बढ़ कर भाजपा नेताओं से संपर्क कर रहे हैं.
इधर, मंत्रिमंडल फेरबदल के मामले पर मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल में सब कुछ ठीक चल रहा है और फेरबदल की जानकारी उन्हें नहीं है, जबकि गिरिडीह के विधायक सुदीप सोनू से पूछा गया तो उनका साफ तौर पर कहना था कि ना यह इस पर हां बोल सकते हैं और ना ही ना.
मंत्रिमंडल फेरबदल पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक भानुप्रताप शाही ने इसे भगदड़ से बचने का प्रोपेगंडा करार दिया है. हालांकि, उनका आरोप है कि राष्ट्रपति चुनाव में जिन कांग्रेसियों ने क्रॉस वोटिंग की है उन्हें अपने में मिलाने की कोशिश है. वहीं, सीपी सिंह ने साफ कहा कि अगर फेरबदल हो भी जाता है तो क्या?सरकार को तो कुछ काम करना ही नहीं है.
कांग्रेस कोटे के मंत्री को ड्रॉप किये जाने की चर्चा वैसे तो पिछले कुछ महीनों से चल रही थी, पर राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों के क्रॉस वोटिंग और उसके बाद तीन विधायकों के कैश कांड में फंसने के बाद इस पर मुहर लग गई है. पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने भी इसके संकेत दिए थे. उन्होंने साफ कहा था कि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर तो कार्रवाई होगी ही है, पर जिन्हें खास जिम्मेदारी दी गई थी, वो भी नहीं बचेंगे.
दरअसल कांग्रेस के 4 मंत्रियों के बीच 24 जिलों का बंटवारा किया गया है. हर मंत्री को 6 जिले की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन कांग्रेस के मंत्रियों ने अपने दायित्व का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया. इधर कांग्रेस इस फेरबदल से पहले सामाजिक और राजनीतिक समीकरण के साथ नये चेहरे की तलाश में जुट गई है. इसको लेकर रांची से दिल्ली तक होम वर्क शुरू हो गया है.