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सपा प्रवक्ता ने कहा, 'आम जनता के लिए खोल जाएं सभी अस्पताल, लोगों के अंदर खत्म हो दहशत'

[Edited By: Punit tiwari]

Thursday, 15th April , 2021 02:14 pm

लखनऊ-कोरोना के बढ़ते केस जहां योगी सरकारी की मुश्किलें बढ़ा रहे है तो वहीं विपक्ष भी सरकार पर सवाल उठा रहा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने अस्पतालों में इलाज नहीं मिलने से मरीजों की मौत पर सरकार को घेरा है।

सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़ते हुए सभी अस्पतालों को आम जनता के लिए खोल देना चाहिए, जो भी अस्पताल सक्षम है वह इस इमरजेंसी में जनता की मदद करें, लोगों की इस दहशत में मौत हो जा रही कि अगर उन्हें कोरोना हुआ तो उन्हें बेड ही नहीं मिलेगा। अस्पताल के खोले जाने से लोगों के अंदर से दहशत का माहौल खत्म होगा।

बता दें उत्‍तर प्रदेश में तेजी से बढ़ रही मरीजों की संख्‍या और वायरस से होने वाली मौतों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है। राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां हालात बेकाबू हो गए हैं। रोज हजारों नए केस सामने आ रहे हैं। श्‍मशाम घाट पर लाशों को जलाने के लिए जगह नहीं बच रही है। बाजार में ऑक्‍सीजन सिलेंडर खत्‍म हो गया है। अस्‍पताल में बेड नहीं हैं। मरीज अस्‍पतालों के चक्‍कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं कुछ नहीं हो पा रहा है।

बुधवार को एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब 60 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को किसी अस्पताल में भर्ती नहीं लिया गया। आखिरकार वह अस्पताल के गेट पर कार में ही ऑक्सीजन सिलिंडर के सहारे जिंदगी से संघर्ष करते दिखे।

सुशील कुमार श्रीवास्‍तव शुगर के मरीज हैं और ब्‍लड प्रेशर की भी दवा खाते हैं। बीते दिनों उन्‍हें सांस लेने में तकलीफ महसूस होने पर परिजन उन्‍हें व‍िवेकानंद अस्‍पताल लेकर गए। यहां डॉक्‍टरों ने सुशील कुमार को ब‍िना कोवि‍ड टेस्‍ट क‍िए भर्ती करने से इनकार कर दिया। इस दौरान सुशील कुमार का ऑक्‍सीजन लेवल ग‍िरता जा रहा था। अस्‍पताल में टुनेट मशीन से सुशील कुमार की जांच की गई तो वह कोवि‍ड पॉजिट‍िव न‍िकले। डॉक्‍टरों ने अस्‍पताल में बेड न होने की बात कहते हुए सुशील कुमार को भर्ती करने से इनकार कर दिया।

जिसके बाद सुनील के परिजनों हजारों रुपए खर्च कर ऑक्‍सीजन सिलेंडर खरीदा, ताक‍ि सुशील कुमार की हालत स्‍थि‍र रहे। सुशील कुमार श्रीवास्तव को ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही कार में बैठाया गया और लखनऊ के लगभग सभी अस्‍पतालों के चक्‍कर काटे गए, लेक‍िन कहीं उन्‍हें भर्ती नहीं क‍िया गया। परिजनों ने अब सरकारी सिस्टम के जरिए अस्पताल के बेड के लिए आवेदन किया है।

 

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