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आगरा के हॉस्पिटल में मॉकड्रिल के नाम पर हुई मरीज़ों की छंटनी- देखिये वायरल वीडियों, सीएम ने लिया संज्ञान-जांच के आदेश

[Edited By: Vijay]

Tuesday, 8th June , 2021 04:18 pm

आगरा के पारस हॉस्पिटल के संचालक के  वीडियो वायरल होने से पूरे देश में बवाल मच गया. वीडियो में अस्पताल संचालक डॉ. अरिंजय जैन कहते सुनाई देते हैं कि मरीजों की छंटनी के लिए मॉक ड्रिल की गई थी. ड्रिल के तौर पर कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई को बाधित किया गया. 5 मिनट ऑक्सीजन रोकने से 22 मरीज छट गए यानि की मर गये .पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन की आवाज़ वाले कई वीडियो वायरल हैं. इसमें डॉक्टर अरिंजय से कुछ लोग दोस्ताना लहजे में बातें करते हैं जिसमें डॉक्टर किस्सा सुना रहे हैं. इस बातचीत के दो वीडियो काफी सुर्खियों में है. इनमें वह ये दावा करते सुने जा सकते हैं कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों को छांटने के लिए मॉक ड्रिल की गई थी. उस वक्त अस्पताल में 96 कोरोना मरीज भर्ती थे. इनमें से 74 बचे. उस दिन हॉस्पिटल में ऑफिशियली सिर्फ 3 लोगों की मौत दिखाई गई है.आगरा के पारस हॉस्पिटल पर 22 मरीजों की मौत का आरोप लगा है.

आरोप है कि ये मौतें ऑक्सीजन बंद करने से हुई. डॉक्टर जैन कबूल कर रहे हैं कि मरीजों की छंटनी के लिए 26 अप्रैल को सुबह 7 बजे मॉक ड्रिल की गई थी, जिसमें कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी गई. इस दौरान 22 मरीजों ने 5 मिनट में ही दम तोड़ दिया था. जिलाधिकारी पीएन सिंह ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.

                                    

जिस दौरान इस कथित मॉक ड्रिल को अंजाम दिया गया, उस समय अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे. मॉक ड्रिल के बाद ही 22 मरीज कम हो गए. पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन ने पहले मरीजों का बिल बनाया और बाद में आक्सीजन कमी की आड़ लेकर तीमारदारों के ज़रिए अपने मरीज की व्यवस्था खुद करने का नोटिस चस्पा किया.  फिर जानबूझकर ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी.

डॉ. अरिंजय जैन लोगों से बात करते समय कह रहे हैं कि खुद मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर सकता. हमने मोदीनगर तक से व्यवस्था की और कमीशन देकर ऑक्सीजन मंगवाई.इस अस्पताल से प्रदेश के 10 जिलों में कोरोना फैल गया था. अस्पताल पर महामारी फैलाने का आरोप लगा, चिकित्सक और उसके मैनेजर के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज हुआ.अस्पताल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने सफाई देते हुए कहा कि इसे तोड़ मरोड़कर पेश किया गया. मॉक ड्रिल का मतलब मरीजों के ऑक्सीजन लेवल को नापना था.

आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह मामले में सफाई दी और कहा कि ऑक्सीजन की कमी हुई थी. एयरफोर्स की मदद से और खराब खन्दौली प्लांट की मरम्मत के बाद हमने हालात पर काबू पा लिया था.पारस में भी ऑक्सीजन की लगातार सप्लाई की गई . जिस दिन का यह वीडियो बताया जा रहा है, उस दिन सिर्फ तीन मौतें पारस में हुई हैं. अस्पताल का मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन वीडियो में कहते हैं कि डिस्चार्ज करना शुरू करो. ऑक्सीजन कहीं नहीं है और मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं मंगा सकता.  कुछ पेंडुलम बने थे कि कहीं नहीं जाएंगे... नहीं जाएंगे.  उनको छांटो जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है. एक ट्राई मार दो तो पता चला जाएगा कि कौन मरेगा कौन नहीं, मॉक ड्रिल सुबह 7 बजे की. छंट गए 22 मरीज, नीले पड़ने लगे, छटपटाने लगे थे, तुरंत खोल दिए, 5 मिनट में 22 मर गए,इसके बाद तीमारदारों से कहा कि अपना अपना सिलेंडर लेकर आओ.

डॉक्टर कहता है- 'मेरे पास 12 घंटे का समय या ये सब मर जाएंगे या इन्हें रेफर कर दो. दिमाग बिल्कुल खत्म. कोई रास्ता दिखा ही नहीं. एक घंटे तक वार्डों में फोन किया कि कैसे बचें ये मरीज. दोपहर 1 बजे एक पत्र लिखा तीमारदारों के लिए आवश्यक सूचना कि आगरा में पॉवर सप्लाई ऑक्सीजन की खत्म हो गई है कि मरीजों का कहीं इंतजाम कर लें सुबह 10 बजे तक समय है . मेरे पास शमन अधिकारी का फोन आया, का हुआ साहब. राउंड लेता रहा. आगरा का सबसे बड़ा सप्लायर है. तुरंत आया, बोला कि कत्ल की रात है मैंने कहा- क्या कांड हो गया मन तो लगा नहीं, जैसे तैसे राउंड खींचा 12 बजे उसने कह दिया सर सुबह तक का माल है  कोई समाधान नहीं क्या डीएम से भी नहीं मिलेगा मैंने तो उसकी बातों को हल्के में लिया मैंने कहा मसाला खाओ. बोला कि नहीं मिलेगी यहां 96 मरीज थे सबकी सफाई हो जाएगी.'

फिलहाल पूरे मामलें पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है और जांच के आदेश दिये है

                                

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