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नमाज़ को लेकर क्यों हुआ हंगामा

[Edited By: Arshi]

Saturday, 9th October , 2021 12:39 pm

हरियाणा के गुरुग्राम में स्थानीय निवासियों के लगातार तीसरे सप्ताह विरोध के बाद  पुलिस ने सेक्टर-47 में मुसलमान समुदाय को नमाज़ के लिए 'तय की गई' जगह से 150 मीटर दूर नमाज़ पढ़ने को कहा. मगर स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद पुलिस की भारी तैनाती में नमाज़ हुई.सेक्टर-47 में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के दफ़्तर की दूसरी ओर एक मैदान में दोपहर एक बजे के क़रीब 30-35 लोग इकट्ठा हुए, जिन्होंने 'खुले में नमाज़ बंद करो' और 'मस्जिद में नमाज़ पढ़ो' लिखी तख़्तियां ले रखी थीं और सभी 'भारत माता की जय' के नारे लगा रहे थे.

इस समूह ने वहीं पर भजन गाने शुरू कर दिए और पुलिस ने बैरिकेड लगाकर भीड़ को वहाँ जाने से रोक दिया, जहां पर लोग नमाज़ पढ़ रहे थे. स्थानीय लोगों को सुरक्षा की चिंता है. इससे पहले सिर्फ़ 20 लोग नमाज़ पढ़ते थे लेकिन अब 200 लोग होते हैं. हमें नहीं पता है कि ये 'बाहरी' कौन हैं. छोटे-मोटे अपराध बढ़ गए हैं और इसने सड़कों पर भीड़-भाड़ बढ़ा दी है.निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपनी चिंताओं को लेकर डिप्टी कमिश्नर को लिखित में अवगत कराया है और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वो इस मामले को देखेंगे. उनका कहना था कि तब तक वे 'शांतिपूर्ण' तरीक़े से अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे.

इन प्रदर्शनकारियों में भारत माता वाहिनी संगठन के अध्यक्ष दिनेश भारती भी थे, जिन्हें बीते कुछ महीनों में जुमे की नमाज़ में कथित तौर पर खलल डालने को लेकर पिछले सप्ताह गिरफ़्तार किया गया था, उन पर अप्रैल के महीने में सेक्टर-50 के पुलिस स्टेशन में दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने को लेकर भी एफ़आईआर दर्ज की गई थी. मंगलवार को उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था.उन्होंने दावा करते हुए कहा, "यह एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश है. वे लव जिहाद, लैंड जिहाद की साज़िश के तहत नमाज़ पढ़ रहे हैं. अगर हम अपनी आवाज़ नहीं उठाएंगे तो वे यहाँ पर मस्जिद बना लेंगे."

सेक्टर-47 की यह जगह उन 37 तयशुदा जगहों में शामिल है, जहां पर खुले में नमाज़ पढ़ी जा सकती है. दरअसल, साल 2018 में हिंदू और मुस्लिम समुदायों में खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर हुए विवाद के बाद प्रशासन ने बातचीत के बाद ये जगहें तय की थीं. प्रदर्शनकारियों का दावा है कि प्रशासन की यह 'व्यवस्था' स्थायी नहीं थी और सिर्फ़ एक दिन के लिए यह अनुमति दी गई थी.काउंसलर कुलदीप यादव ने बताया, "अगर इस जगह को नमाज़ अदा करने के लिए तय किया गया था तो इस इलाक़े के आस-पास के निवासियों से सलाह-मशविरा किया जाना चाहिए था. सेक्टर के निवासी यहाँ खड़े हैं. इनसे नहीं पूछा गया. 2018 में एक दिन के लिए दी गई अनुमति के संबंध में कुछ भी लिखित तौर पर मौजूद नहीं है."

जमीयत उलेमा, गुरुग्राम के अध्यक्ष मुफ़्ती मोहम्मद सलीम कहते हैं कि गुरुवार की शाम को प्रशासन के अधिकारियों ने निवेदन किया था कि स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद नमाज़ की जगह को कुछ मीटर की दूरी पर शिफ़्ट कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमने निवेदन का पालन किया. हमारा उद्देश्य सिर्फ़ शांति से नमाज़ पढ़ना था. मुसलमानों के लिए यहाँ पर नमाज़ पढ़ने की जगह की भारी कमी है. शहर में पाँच लाख की मुस्लिम आबादी है जबकि सिर्फ़ 13 मस्जिदें हैं. हम यहाँ खुले में नमाज़ सिर्फ़ मजबूरी के कारण पढ़ रहे हैं. अधिकतर मज़दूर आस-पास की जगहों से लंच टाइम में यहाँ नमाज़ पढ़ने आते हैं और 15 मिनट में चले जाते हैं. मैं नागरिकों से अपील करता हूं कि वे हमें नमाज़ पढ़ने दें."

गुरुग्राम नागरिक एकता मंच के संस्थापक अल्ताफ़ अहमद ने इस तरह के हंगामे के लिए पुलिस कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा, "कुछ लोगों का एक समूह नफ़रत और असहिष्णुता का वातावरण पैदा कर रहा है. उनके दावे झूठे और निराधार हैं. मैं प्रशासन और राज्य सरकार से अपील करता हूं कि वो गुरुग्राम के विभिन्न सेक्टरों में ज़मीन आवंटित करे ताकि मुस्लिम समुदाय मस्जिद बना सके."वहीं पूर्व राज्य सभा सांसद मोहम्मद अदीब ने जिन परिस्थितियों में नमाज़ अदा की जा रही है उसको लेकर नाराज़गी जताई है.

उन्होंने कहा, "मुझे यह देखकर दुख हो रहा है. ये किस किस्म का मुल्क बन गया है? जहां पर लोगों को नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं है जो कि उनका संवैधानिक अधिकार है. जो लोग इसके ख़िलाफ़ विरोध कर रहे हैं उन्हें अपने व्यवहार के लिए शर्मिंदा होना चाहिए."

एसीपी (सदर) अमन यादव ने कहा है कि कुछ स्थानीय निवासियों ने खुले में नमाज़ पढ़ने को लेकर अपनी चिंताओं को उठाया है. उन्होंने कहा, "निवासी यहां पर बीते तीन-चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह सरकारी ज़मीन है और इसे बाज़ार के लिए आवंटित किया जाना था. यह जगह उन 37 चिन्हित जगहों की सूची में है जिसे 2018 में दोनों समुदायों के बीच बातचीत के बाद ज़िला प्रशासन ने नमाज़ पढ़ने के लिए तय किया था. यह कोई लिखित समझौता नहीं था. स्थानीय निवासियों ने एसडीएम और ज़िला प्रशासन के अधिकारियों से इस संबंध में बात की है और इसका समाधान तलाशा जा रहा है. इस परिस्थिति को देखते हुए चिन्हित जगह से कुछ मीटर की दूरी पर नमाज़ पढ़ी गई. नमाज़ शांतिपूर्ण रही."

 

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