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राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के तेवर बरकरार

[Edited By: Rajendra]

Thursday, 1st June , 2023 06:31 pm

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के तेवर बरकरार है। राहुल गांधी की मौजूदगी में दिल्ली में हुई सुलह के दो दिन बाद ही पायलट ने बगावती तेवर दिखा दिए है। सचिन पायलट ने साफ कहा कि वह अपनी मांगों से किसी प्रकार कोई समझौता नहीं करेंगे। पायलट के बदलते हुए तेवरों से साफ जाहिर है कि राजस्थान में आने वाले दिन सीएम अशोक गहलोत के लिए चुनौती पूर्ण हो सकते है। उल्लेखनीय है कि सचिन पालयट ने सीएम गहलोत को अपनी मांगों के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। जिसकी मियाद 31 मई को खत्म हो गई है। सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि वह अपनी तीन मांगों पर कायम है।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा है। कुछ समय पहले ये घमासान उस वक्त और तेज हो गया था, जब पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार में कथित भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर एक दिन का अनशन किया था। इसके बाद सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे तौर पर नाम लेकर अशोक गहलोत पर निशाना साधा था। इतना ही नहीं उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की मांग को लेकर 5 दिन की पदयात्रा भी की थी। इसे उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी माना गया था। पदयात्रा के दौरान सचिन पायलट ने 3 मांगों को रखा था और 15 दिन यानी 31 मई तक पूरी करने का अल्टीमेटम दिया था।

वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच हो । पेपर लीक से आर्थिक नुकसान झेलने वाले बच्चों को उचित मुआवजा मिले । सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए, RPSC को भंग कर पुनर्गठित किया जाए । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट से सोमवार को मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद पार्टी ने दावा किया था कि दोनों नेता साथ काम करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, इसके दो दिन बाद ही टोंक पहुंचे पायलट ने संकेत दे दिया कि वह अपने रुख पर कायम हैं। पायलट ने कहा, ''मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं कि मैंने जो मुद्दे उठाए थे, खासकर भ्रष्टाचार के मुद्दे। पिछले भाजपा शासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लूट हुई, उन पर कार्रवाई करनी होगी।

पेपर लीक के बाद सरकारी नौकरियों की परीक्षा रद्द होने का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा, ''जहां तक ​​युवाओं को न्याय दिलाने की बात है तो मुझे लगता है कि इसमें किसी तरह के समझौते की कोई संभावना नहीं है।'' उन्होंने कहा कि वे गहलोत सरकार की ओर से एक्शन का इंतजार कर रहे हैं। सचिन पायलट ने कहा, दो दिन पहले दिल्ली में बातचीत हुई थी। आलाकमान ने कहा कि कार्रवाई करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है।

सचिन पायलट ने अपने निर्वाचन क्षेत्र टोंक में मीडिया से बात करते हुए कहा- नया महीना शुरू होने वाला है। हम इंतजार करेंगे। कल क्या होता है। जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट ने साफ कर दिया है वह पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। जबकि सीएम अशोक गहलोत पायलट की मांगों को सिरे से खारिज कर चुके है। पेपर लीक के पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग पर सीएम गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना कहा कि ऐसी मांग करना बुद्धि का दिवालियापन है। सीएम के बयान से साफ जाहिर है कि सचिन पायलट की मांगों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि भाजपा इसलिए हारी क्योंकि उसने बार-बार लोगों को धोखा दिया। पायलट ने कहा, वे डबल इंजन की बात करते हैं। लेकिन अब वे इंजन सीज होने लगे हैं। पायलट ने कहा कि कर्नाटक में भाजपा शासन भ्रष्ट था और कांग्रेस ने उस पर 40 प्रतिशत कमीशन सरकार होने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि लोगों ने इससे सहमति जताई और कांग्रेस को वोट दिया।

राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सियासी वर्चस्व की यह जंग 2018 के चुनाव के बाद से ही चली आ रही है। नवंबर 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। सचिन पायलट तब प्रदेश अध्यक्ष थे। इस चुनाव में कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी। ऐसे में मुख्यमंत्री पद को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों नेता अड़ गए।

पायलट कांग्रेस अध्यक्ष होने और बीजेपी के खिलाफ पांच सालों तक संघर्ष करने के बदले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावेदारी जता रहे थे तो अशोक गहलोत ज्यादा विधायकों का अपने पक्ष में समर्थन होने और वरिष्ठता के आधार पर अपना हक जता रहे थे। पार्टी अलाकमान ने गहलोत को सीएम की कुर्सी पर बैठाया। वहीं, पायलट समर्थकों का दावा है कि सीएम के लिए ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था।

सरकार बनने के साथ ही गहलोत-पायलट के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगीं। जुलाई 2020 में पायलट ने कुछ कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर बगावत भी कर दी थी। जुलाई 2020 को सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम पद से बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि, बाद में प्रियंका गांधी के दखल के बाद पायलट की नाराजगी दूर हुई।

बीते साल जब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे तो इस पद के लिए अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे था। ऐसे में कहा जाने लगा था कि अगर गहलोत पार्टी अध्यक्ष बनते हैं तो राजस्थान की कमान सचिन पायलट को दी जा सकती है, लेकिन इस दौरान गहलोत ने अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से मना कर दिया था और राज्य के सीएम बने रहे। इसके बाद से पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि सचिन पायलट अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। सचिन पायलट के पिता की सोनिया गांधी से प्रतिद्वंद्विता कम नहीं थी। 1997 में कांग्रेस में रहकर कांग्रेस से बगावत उससे भी बड़ी बात थी। राजेश पायलट ने कांग्रेस की शीर्ष लीडरशिप से सीधी टक्कर ली थी। कांग्रेस में रहते हुए राजेश पायलट ने शीर्ष मंचों पर पार्टी को आईना दिखाने वाली बातें कही थी। वैसे ही कांग्रेस में रहते हुए सचिन पायलट अपनी ही सरकार को आईना दिखा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अपने पिता से विरासत में मिली बगावत ने फिर एक बार उबाल मारा है।

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