Trending News

पान-गुटखा खाने वालों के लिए रेलवे ने निकाला आसान हल

[Edited By: Arshi]

Monday, 11th October , 2021 02:54 pm

भारत में आधी जगाहों की शोभा पान-गुटखा खाकर थूकने से खराब हो जाती है. यूं गुटका थूकने की आदत बहुत सी बिल्डिंगों की तस्वीर बिगाड़ देती है, खासकर अगर कोई सार्वजनिक संस्था का परिसर हो तब तो हालत बहुत ही बदतर हो सकती है. रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म, बस स्टैंड जैसी जगहों पर तो यह एक बड़ी समस्या है. कोविड-19 के संक्रमण के बीच यह और भी बड़ी बीमारी बन गई है.

लेकिन कड़े प्रावधानों के बावजूद महामारी के दौरान सार्वजनिक रूप से थूकने की आदत एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इसलिए अब इस खतरे से निपटने के लिए रेलवे (Indian Railways) एक नई मुहिम शुरू कर रहा है. अब गुटखा-पान थूकने वालों के पास एक हल होगा, वहीं रेलवे के सैकड़ों करोड़ रुपये बचेंगे. दरअसल, रेलवे एक हरित नवाचार को बढ़ावा दे रहा है.

एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय रेलवे अपने परिसरों में विशेषकर पान और तंबाकू खाने वालों द्वारा थूकने के कारण होने वाले दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए सालाना लगभग 1,200 करोड़ रुपये और बहुत सारा पानी खर्च करता है. ऐसे में यात्रियों को रेलवे परिसर में थूकने से रोकने के लिए 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन या कियोस्क लगाए जा रहे हैं, जो पांच रुपये से लेकर 10 रुपये तक के स्पिटून पाउच (पाउच वाला पीकदान) देंगे.

रेलवे के तीन जोन - पश्चिम, उत्तर और मध्य ने इसके लिए एक स्टार्टअप EzySpit ​को ठेका दिया है. इन पीकदान पाउच को आसानी से जेब में रखा जा सकता है और इनकी मदद से यात्री बिना किसी दाग ​​के जब भी और और जहां चाहें थूक सकते हैं. इस पाउच के निर्माता के अनुसार इस उत्पाद में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प तकनीक है और इसमें एक ऐसी सामग्री है, जो लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस के साथ मिलकर जम जाती है.

इन बायोडिग्रेडेबल पाउच को 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है. ये थूक को अवशोषित कर उन्हें ठोस में बदल देते हैं. एक बार उपयोग करने के बाद इन पाउचों को जब मिट्टी में फेंक दिया जाता है, तो ये पूरी तरह घुलमिल जाते हैं और पौधे की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है.

नागपुर स्थित कंपनी ने स्टेशनों पर ईजीस्पिट ​वेंडिंग मशीन लगाना शुरू कर दिया है. उन्होंने नागपुर नगर निगम और औरंगाबाद नगर निगम के साथ भी करार किया है. ईजीस्पिट की सह-संस्थापक रितु मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘‘हमने मध्य, उत्तर और पश्चिम रेलवे के 42 स्टेशनों के लिए भारतीय रेलवे के साथ एक करार किया है. हमने कुछ स्टेशनों पर ईजीस्पिट वेंडिंग मशीन लगाना शुरू भी कर दिया है.''

भारतीय रेलवे अपने परिसरों में विशेषकर पान और तंबाकू खाने वालों द्वारा थूकने के कारण होने वाले दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए सालाना लगभग 1,200 करोड़ रुपये और बहुत सारा पानी खर्च करता है. ऐसे में यात्रियों को रेलवे परिसर में थूकने से रोकने के लिए स्पिटून पाउच यानी पाउच वाला पीकदान मिलेगा.

Latest News

World News