जीविकोपार्जन के लिए 16 बीघा जमीन। खेती से जिंदगी बस कट रही थी। पति अरविंद पटेल की जी-तोड़ मेहनत के बावजूद समृद्धि मानों रूठी थी। विषम परिस्थितियों के बीच स्नातक तक शिक्षित गृहणी पुष्पा के लिए बस एक विकल्प था कि हालात बदलने के लिए वह भी कुछ करें। इसके बाद उन्होंने जो किया और उसका जो परिणाम सामने आया, महिला सशक्तीकरण का एक अप्रतिम उदाहरण है। देवी मां के तीसरे स्वरूप में मां चंद्रघंटा भी यही संदेश देती हैं कि विपरीत परिस्थिति में परिश्रम जारी रखें।
बनीं एफपीओ की निदेशक : उत्तर प्रदेश के बबेरू क्षेत्र के भभुआ गांव की पुष्पा पटेल आज अग्रेरियन वुमन फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी नाम के कृषक उत्पाद संगठन (एफपीओ) की निदेशक हैं। दो वर्ष से समूह के माध्यम से दलहन व तिलहन की खरीद में करीब डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं। बबेरू क्षेत्र में सैकड़ों महिला किसानों को आमदनी का बेहतर जरिया यह कंपनी दे रही है। इस वर्ष पुष्पा ने गेहूं की सरकारी खरीद में भी कदम बढ़ा हैं। जल्द ही इसका लाइसेंस मिल जाएगा।
ऐसे आया सुखद बदलाव : पुष्पा की जिंदगी में सुखद बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात पड़ोस के करोल गांव की पार्वती से हुई। वह पार्वती समूह चलाती हैं। उनका समूह सरकारी विभागों में कैंटीन चला रहा है। पार्वती ने पुष्पा की समस्या हल की। उन्हें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिलाओं के स्वावलंबन की राह दिखाई। इसके बाद पुष्पा भी मिशन से जुड़ीं। अपना एफपीओ खोला। इस कंपनी में 10 महिलाओं में पांच बोर्ड आफ डायरेक्टर हैं। सभी ने बबेरू क्षेत्र के गांवों में महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए अभियान चलाया और 30 महिला उत्पादक समूहों का गठन कराया।
एफपीओ में ये हैं पदाधिकारी : बोर्ड आफ डायरेक्टर में पुष्पा, सुशीला, फूलकली, शिवदेवी व आशा शामिल हैं। शशिप्रभा, रामलली, विशेषा, कुसुमा देवी व रंजना सदस्य के तौर पर कार्य कर रही हैं।
प्रोसेसिंग इकाई लगने से होगी अच्छी आय : पुष्पा कहती हैं कि गेहूं खरीद शुरू होने से कारोबार दो से तीन करोड़ रुपये का हो जाएगा। इसके अलावा एनआरएलएम के माध्यम से प्रोसेसिंग इकाई लगवा रही हैं। जहां दलिया, दाल के पैकेट तैयार होंगे। अनुमान है कि इससे एफपीओ और इससे जुड़ी महिलाओं की आय चार से पांच गुना बढ़ जाएगी।