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प्रियंका गांधी की ब्रांडिंग पर पानी की तरह पैसे खर्च हो रहा है

[Edited By: Shashank]

Monday, 8th November , 2021 02:20 pm

 

यूपी में काफी समय कांग्रेस की पकड़ कमज़ोर है। कोशिशें बहुत हुई लेकिन हर प्रयास नाकाम ही रहा। 2012 और 2017 के असेंबली इलेक्शन में प्रियंका गांधी चुनाव में बतौर स्टार प्रचारक उतरीं। इसका बेनिफिट भी पार्टी को नहीं मिला। एक दशक बाद कांग्रेस ने प्रियंका को यूपी का प्रमुख इंचार्ज बनाकर भेजा है। उनकी ब्रांडिंग पर पानी की तरह पैसे भी खर्च हो रहा है। अब इसका रिजल्ट क्या है वो साल 2022 के चुनावी नतीजे ही बताएंगे। यही नहीं यूपी के लखीमपुर, उन्नाव, आगरा और ललितपुर आदि जिलों में प्रियंका के ताबड़तोड़ दौरे, पार्टी के प्रति अच्छा संदेश देने के लिए खासा मदतगार साबित हुए है।

प्रियंका की रात-दिन इस मेहनत के साथ-साथ जिला स्तर पर कांग्रेस को मजबूत करने का प्लान हुआ। उनके द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दे और सरकार की नाकामियां जनता के मध्य पहुंचाने के लिए जिला-शहर और ब्लॉक स्तर पर संगठन को धार दी गई। शहर और ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करने का काम पार्टी में तेजी से चल रहा है़। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में इस बात की कांग्रेस में बड़ी कमी थी। नतीजा यह हुआ था कि 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका के प्रचार के बावजूद अमेठी की चार विधानसभा में से तीन बीजेपी और एक सपा की झोली में गई थी। रायबरेली की 6 सीटों में दो कांग्रेस, तीन बीजेपी और एक सपा को मिली थी। पड़ोसी जिले सुलतानपुर में तो कांग्रेस 5 में से एक सीट पर सम्मान जनक स्थित में नही थी। वजह साफ थी संगठन की कमी और मैनेजमेंट का अभाव। खास बात यह थी की इन सभी जिलों को कांग्रेस के मजबूत किले के तोर पर देखा जाता था।

आपको बता दें, कांग्रेस का इतिहास गवाह है कि उत्तर प्रदेश की जनता कोंग्रस को कुछ खास पसंद नहीं करती है, यह ऐसे भी इस्पष्ट होता है क्योंकि 1989 में आखरी बार कांग्रेस प्रदेश में सत्ता पाने में कामयाब रही थी। इसी आकड़ो में सुधार करने के लिए 2022 विधान सभा चुनाव में कांग्रेस खुद को साबित करने और अपनी छाप छोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने में लगी हुई है।

प्रदेश में फ़िलहाल भाजपा की सरकार है और यह भी कहा जा सकता है कि भाजपा आगमी चुनाव में भी सबसे मजबूत इस्थिति में नजर आ रही है। इसी सिलसिले में विपक्ष भी सत्ता पक्ष को हर तरफ से घेरने में लगी हुई है। चुनाव में कुछ महीनों का समय ही बचा है, ऐसे में कम समय में बड़ी सियासी जंग देखने को मिलेगी।

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