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दो राज्यों में विधानसभा चुनाव जल्द, गठबंधन को लेकर शिवसेना के सुर नरम, भाजपा की कुछ ऐसी हैं तैयारियां...

[Edited By: Admin]

Wednesday, 11th September , 2019 06:58 pm

महाराष्ट्र और हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अगले कुछ दिनों में हो सकता है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक दो से तीन दिनों में तारीखों की घोषणा हो सकती है. तीन राज्य महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा साल के अंत से पहले होने तय हैं. हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों की अधिसूचना पहले आ जाएगी. वहीं झारखंड में विधानसभा के चुनाव बाद में होंगे और यहां पर कई चरणों में मतदान हो सकता है.

दीपावली से पहले महाराष्ट्र और झारखंड में वोटिंग और मतगणना की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. साल 2014 में दोनों राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान 20 सितंबर को हुआ था और 15 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी. वहीं चुनाव के नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित हुए थे. तब दिवाली 23 अक्टूबर को पड़ी थी. 2014 में झारखंड में 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच 5 चरणों में मतदान हुआ था.

बैठकों का दौर जारी

हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव के लिए अंतिम दौर की समीक्षा जारी है. उप चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ बुधवार को बैठक की. चुनाव आयोग ने सुरक्षा बलों के आकलन और अर्धसैनिक बलों की तैनाती पर राज्य और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं.

चुनाव आयोग की टीम हाल ही में महाराष्ट्र भी गई थी. चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने करीब 10 दिन पहले हरियाणा का दौरा किया था. चुनाव आयोग ने जुलाई में दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे. आयोग दोनों राज्यों के लिए अधिकारियों की सूची को अंतिम रूप दे रही है.


शिवसेना के सुर नरम

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर शिवसेना के सुर नरम होने लगे हैं। शिवसेना के एक नेता की बातों पर यकीन करें तो आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 135 पर राजी हो सकती है। हालांकि, भाजपा चाहती है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के छोटे दलों का भी समुचित समायोजन हो। इससे पहले शिवसेना 144 सीटों और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़ी हुई थी।

पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, '135-135 सीटों पर चुनाव लड़ने के फॉर्मूले को स्वीकार करते हुए शिवसेना 18 सीटों को गठबंधन के दूसरे दलों-आरपीआइ (ए), राष्ट्रीय समाज पक्ष व शिव संग्राम पार्टी के लिए छोड़ सकती है।' हालांकि, शिवसेना चाहती है कि सहयोगी दलों के लिए 18 और सीटों का आवंटन भाजपा अपने हिस्से से करे, क्योंकि वे उसके साझीदार हैं। इस प्रस्ताव पर भाजपा की सहमति की गुंजाइश बहुत कम है, लेकिन ऐसा हुआ तो पार्टी को सिर्फ 117 सीटों पर प्रत्याशी उतार पाएगी।

भाजपा के सहयोगी दलों ने इस समस्या को और जटिल कर दिया। आरपीआइ (ए) के नेता व केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, आरएसपी नेता और राज्य के मंत्री माधव जानकर तथा एसएसपी के नेता विनायक मेटे ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि दूसरे दलों से आए नेता और बढ़ती राजनीतिक ताकत को समायोजित करने के लिए भाजपा के चुनाव प्रबंधक 135 से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं।

पीएम मोदी के समक्ष गठबंधन को अटल बता चुके हैं शिवसेना प्रमुख

पिछले ही शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन अटल है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। इसमें भाजपा को 122 व शिवसेना को 63 सीटों पर जीत मिली थी।

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