राजस्थान की राजधानी जयपुर में वीरांगनाओं को लेकर जिस तरह से माहौल हुआ उससे एक बार फिर से सियासी पारा गर्म हो गया। एक ओर जहां भाजपा सड़क पर उतर आई है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और टोंक विधायक सचिन पायलट ने बिना नाम लिए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
एक के बाद एक टोंक में सचिन पायलट ने सरकार और प्रशासन को कई नसीहते दीं और कहा कि 'देश में जवानों के परिवार ही नहीं शहीदों की विरांगनाएं और उनके परिवार देश की संपत्ति है। किसी भी तरह से जवानों और वीरांगनाओं को लेकर राजनीति नहीं होना चाहिए। जिन लोगों ने वर्दी पहन कर देश के लिए त्याग किया, सुप्रीम सेक्रीफाय किया है, देश के लिए सहादत की है, उन लोगों की तुलना करना ही सम्भव नहीं है। इनकी सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी सरकार से लेकर हम सबकी है।
पायलट ने आगे कहा कि, वीरांगनाओं का जो पैकेज है वो केंद्र और प्रदेश सरकार का सबकों मिला है। इसके अलावा भी जो मांगे थीं उन मांगों को संवेदनशीलता से हम उनकों सुनते। उनकी मांगे कितनी जायज है। कानून-संवेधानिक तरीके से हम सुलझा सकते थे। कारण कोई भी हो, कोई विरांगना अपनी बात को रखती है, उनकों मानना नहीं मानना वो अलग बात है, लेकिन जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया जो टीवी में देखा, वो असहनीय था। जिस व्यक्ति ने भी इस तरह की कार्रवाई की है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। देश में ऐसा मैसेज नहीं जाना चाहिए कि हम विरांगनों की बात नहीं सुन सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को अपना इगों सामने नहीं लाना चाहिए। उनकी छोटी-छोटी मांगे थी। पूरी की जा सकती हैं। जिस तरह से उनके दुर्व्यवहार किया गया है वो सरासर गलत है।
वीरांगनाओं को लेकर प्रदेश में पिछले 24 घंटे में राजनीति तेज हो चुकी है। कल के घटनाक्रम में डॉ किरोड़ी लाल मीणा का घायल होकर अस्पताल में भर्ती होना भाजपा के लिए एक ठोस मुद्दा है। इसके सहारे भाजपा मुख्यमंत्री गहलोत का घेराव करेगी। वहीं, कांग्रेस बैंक फुट पर नजर आने लगी है।
भाजपा ने प्रदेश कार्यालय पर वीरांगनाओं और डॉ किरोड़ी लाल मीणा के साथ पुलिस के बर्ताव को लेकर धरने का आह्वान किया है। इसमें बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ताओं का कार्यालय में जमावड़ा लगना शुरू हो चुका है। वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने मुख्यमंत्री पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि जब होली के दिन प्रताप सिंह खाचरियावास और मंत्री शकुंतला रावत ने सभी मांगों को मानने की बात कही थी और शाम तक क्या हुआ, जो बात नहीं बनी, क्यों बात नहीं बन पाई, क्योंकि वीरांगनाओं का धरना पायलट के घर के बाहर था। इसका पूरा श्रेय पायलट को मिल जाता, अब मंत्री और कांग्रेस के जनहितैषी नेता प्रताप सिंह खाचरियावास क्यों कुछ नहीं बोल रहे हैं, अब प्रताप सिंह मौन क्यों है? क्या अब उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
वहीं औवेसी के राजस्थान के साथ पिछले दिनों टोंक दौरे को लेकर पायलट ने चुटकी लेते हुए पलटवार किया और कहा कि 'राजस्थान में सबके स्वागत करने की पम्परा है। चुनावी साल है सब आएंगे, बड़ी बड़ी बातें करेंगे, हर कोई तोड़ने की बातें करेगा, कोई धर्म के नाम पर कोई जाति के नाम पर, लेकिन आप सब समझदार है, राजस्थान को तोड़ने की नहीं ब्लकि जोड़ने और विकास की राजनीति करने की जरूरत है।
पायलट दो दिवसीय टोंक विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे थे। जहां निवाई से लेकर टोंक शहर तक जगह जगह जोरदार स्वागत किया गया। वहीं छावनी चौराहे पर 'रेल लाओ संघर्ष समिति' के अध्यक्ष अकबर खान ने सैकड़ों महिलाओं के साथ 51 किलो की माला से स्वागत किया। इसके बाद छावनी चौराहे पर नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 39 के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में नुक्कड़ सभा का आयोजन किया। हालांकि इस नुक्कड़ सभा में पूरी तरह से चुनावी सभा का माहौल नजर आया।