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सुरक्षा मांग रहे पुलिसवालों को याद आयीं IPS किरण बेदी, जानिए क्या हुआ था 31 साल पहले

[Edited By: Admin]

Tuesday, 5th November , 2019 06:55 pm

दिल्ली में पुलिसवाले प्रदर्शन करने को मजबूर हैं. मांग है सुरक्षा और सम्मान की. प्रदर्शन के दौरान खाकी वर्दी पहने लोग IPS किरण बेदी को याद कर रहे हैं. जानिए क्या है इसकी वजह.........

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर मंगलवार को किरण बेदी की फोटो लगे पोस्टर खूब लहराये गए, पोस्टर पर लिखा हुआ है कि हमारे परिवार का मुखिया कहां है जो हमारा ध्यान रख सके.पुसिलकर्मी किरण बेदी के समर्थन में नारे लगाते हुए भी नजर आए, पुलिस कर्मी कह रहे थे ‘हमारा सीपी कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो.’ किरण बेदी फिलहाल पॉण्डिचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर हैं.

1982 की घटना

1982 की एक और घटना है. किरण दिल्ली पुलिस में ट्रैफिक डीसीपी थीं. कनॉट प्लेस में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ऑफिस की एक एम्बेसेडर कार ‘नो पॉर्किंग एरिया’ में खड़ी थी. इस इलाके में सब-इन्सपेक्टर निर्मल सिंह ड्यूटी पर थे। उन्होंने इस गाड़ी को क्रेन से उठवा लिया. मामला हाई प्रोफाइल था. लिहाजा, इसने तूल पकड़ा. लेकिन, इस दौरान किरण अपने अधीनस्थ सब इन्सपेक्टर के साथ खड़ी रहीं. 17 फरवरी 1988 को भी पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच विवाद हुआ था. तब भी बेदी ने अपने अधीनस्थों का बचाव किया था. उनके इसी नेतृत्व को याद करते हुए पुलिसकर्मियों ने मंगलवार को पटनायक के सामने किरण बेदी की मिसाल देते हुए नारेबाजी की.

31 साल पहले की घटना

यह घटना 17 फरवरी 1988 की है. इस दिन डीसीपी किरण बेदी के दफ्तर में वकील पहुंचे हुए थे. इस बीच किसी बात पर बहस हो गई जो झड़प में बदल गई, इस दौरान बेकाबू भीड़ के कारण हालात ऐसे हो गए कि किरण बेदी को लाठीचार्ज कराना पड़ा.इस असर यह हुआ कि वकीलों ने दिल्ली की सभी अदालतों को बंद करा दिया.हालांकि इसके बाद भी एक न्यायाधीश ऐसे थे, जिन्होंने अपनी अदालत को खोले रखा और फैसले सुनाए.

यहां डिटेल्स में पढ़ें 1988 की पूरी घटना....

दिल्ली में जनवरी 1988 में वकील और पुलिसवाले आपस में भिड़ गए थे. दरअसल चोरी के एक मामले में एक वकील की गिरफ्तारी हुई थी. तीसहजारी कोर्ट से वकील को हथकड़ी पहनाकर पुलिस ले गई थी. इसी बात पर तीसहजारी कोर्ट के वकील धरने पर चले गए. उनका कहना था कि एक वकील को इस तरह हथकड़ी पहनाकर पुलिस नहीं ले जा सकती.

Why did the delhi Police chant Police commissioner kaisa ho kiran bedi jaisa ho
पूरे देश के वकीलों ने इसका विरोध किया. दो जगह हिंसक झड़प भी हुई. वकीलों ने आरोप लगाया कि किरण बेदी ने उनपर हमले करवाए. पहली झड़प किरण बेदी के दफ्तर के बाहर हुई थी, इसमें 18 वकील जख्मी हुए थे. 21 जनवरी को हुए इस झड़प में वकीलों का आरोप था कि पुलिसवालों ने उनपर हमला किया. जबकि किरण बेदी का कहना था कि पुलिसवालों ने उनके दफ्तर में तोड़फोड़ की, पुलिसवालों के कपड़े फाड़ देने की धमकी दी और उनके साथ गाली गलौच की. पुलिस को मजबूरन बल प्रयोग करना पड़ा.


17 फरवरी 1988 को हुए दूसरे मामले में वकीलों ने कहा कि करीब 3 हजार की भीड़ तीसहजारी कोर्ट पहुंच गई. भीड़ ने दंगा किया, वहां मौजूद गाड़ियों में तोड़फोड़ की और वकीलों के दफ्तर पर हमला बोल दिया. वकीलों का आरोप था कि भीड़ ने किरण बेदी के कहने पर हमला किया था, इसके पीछे किरण बेदी का दिमाग था. इस मामले की जांच के लिए दो जजों की एक बेंच बैठी. किरण बेदी के इसमें शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला.

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