महाकुंभ में माघ पूर्णिमा का स्नान जारी है। प्रयागराज में आज के दिन मेला में लगातार भक्तों की भारी भीड़ बढती ही जा रही है। देशभर के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालुओं संगत के तट गंगा, जमुना, सरस्वती, माता के जल से अपने आप को पवित्र कर रहे हैं। संगम से 10 किमी तक चारों तरफ श्रद्धालुओं की भीड़ है।

महाकुंभ का आज 31वां दिन है। 13 जनवरी से अब तक 46 करोड़ से ज्यादा लोग डुबकी लगा चुके हैं। प्रशासन के मुताबिक, सुबह से 1.30 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं। अनुमान है कि आज 2.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे। भारी भीड़ कंट्रोल के लिए पहली बार मेले में 15 जिलों के DM, 20 IAS और 85 PCS अफसर तैनात किए गए हैं।
कुंभ मे हेलिकॉप्टर से श्रद्धालु पर बरसाए गए 25 क्विंटल फूल।

प्रयागराज जाने वाले रास्तों में भीषण जाम के बाद ट्रैफिक प्लान में बदलाव किया गया है। जगह-जगह सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन तैनात है मेला क्षेत्र में भी कोई भी वाहन चलने की इजाजत नही है, शहर में वाहनों की एंट्री बंद है। ऐसे में श्रद्धालुओं को संगम पहुंचने के लिए 8 से 10 किमी तक पैदल चलना पड़ रहा है। प्रशासन पार्किंग से शटल बसें चला रहा है। हालांकि, यह बेहद सीमित हैं।

करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस महाकुंभ में देश-दुनिया से करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान लगाया गया था जो अब वो भी पार हो चुका है। अब तक 46 करोड़ श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं।
महाकुंभ मेला पर हर बारहवें वर्ष में प्रयागराज – गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर, हरिद्वार – गंगा नदी के तट पर, उज्जैन – क्षिप्रा नदी के तट पर, नासिक – गोदावरी नदी के तट पर आयोजित होता है। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में से किसी एक स्थान पर एकत्र होते हैं और नदी में पवित्र स्नान करते हैं। हर स्थान पर मेले का आयोजन एक विशेष खगोलीय स्थिति के आधार पर किया जाता है। यह मेला हिंदू धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है और इसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। प्रत्येक 12वें वर्ष के अतिरिक्त प्रयाग में दो कुम्भ पर्वों के बीच छह वर्ष के अन्तराल में अर्धकुम्भ भी होता है। 2013 के कुंभ के बाद 2019 में प्रयाग में अर्धकुम्भ मेले का आयोजन हुआ था।