बिहार में शपथग्रहण समारोह समाप्त हो गया है। नीतीश कुमार ने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। राज्यपाल फागू चौहान ने उन्हें गोपनीयता की शपथ दिलाई है। वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। शपथग्रहण के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के पैर भी छुए।
वहीं इससे पहले बिहार के मनोनीत सीएम नीतीश कुमार ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को फोन किया और उनके शपथ ग्रहण समारोह से पहले सभी राजनीतिक घटनाक्रमों से अवगत कराया। लालू प्रसाद यादव ने उन्हें बधाई दी और उनके फैसले की सराहना की।
नीतीश कुमार के नाता तोड़ लेने की वजह से NDA के हाथ से न केवल बिहार की सत्ता चली गई, बल्कि राज्यसभा में भी उसे कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अब BJP को ओडिशा के बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश की वाई.एस.आर. कांग्रेस जैसी पार्टियों पर निर्भर रहना पड़ेगा, ताकि अहम विधेयकों को राज्यसभा में पास करवाया जा सके।
हालांकि, JDU जब NDA का हिस्सा थी, तब भी उसे राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं था। राज्यसभा में फिलहाल कुल सांसदों की संख्या 237 और बहुमत का आंकड़ा 119 है। जम्मू-कश्मीर से 4, त्रिपुरा से एक और 3 मनोनीत सीटें खाली है. एक निर्दलीय और 5 मनोनीत सदस्यों सहित NDA के मौजूदा सांसदों की संख्या 115 रही है, और JDU के बाहर चले जाने के बाद यह आंकड़ा 110 पर पहुंच गया, जो बहुमत के आंकड़े से 9 कम है। राज्यसभा में JDU के 5 सांसद हैं, जिनमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश शामिल हैं।
संसद के शीत सत्र से पहले सरकार राज्यसभा के लिए तीन और लोगों को मनोनीत कर सकती है और BJP के त्रिपुरा की सीट जीत जाने के भी आसार हैं, लेकिन इसके बावजूद NDA का आंकड़ा 114 तक ही पहुंचेगा, लेकिन तब बहुमत का नया आंकड़ा 121 पहुंच जाएगा, और NDA को फिर भी सात सदस्यों की कमी रहेगी। BJP को अहम कानूनों को पास कराने के लिए BJD और YSRCझ के समर्थन की ज़रूरत होगी, जिनके 9-9 सदस्य राज्यसभा में हैं। हालांकि, हाल ही में हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में BJP को BJD, YSRCP, TDP, BSP और अकाली दल का समर्थन मिला था।