कानपुर सांसद रमेश अवस्थी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान सांसद ने प्रधानमंत्री को बंद पड़ी लालइमली के बारे में जानकारी दी। साथ ही ये भी बताया कि इनका पुनरुद्धार कैसे किया जा सकता है। इसके अलावा सांसद ने शहर विकासकार्यों पर भी चर्चा की।
कानपुर लोकसभा सांसद रमेश अवस्थी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान सांसद ने कानपुर के विकासकार्यों पर चर्चा की। उन्होंने पीएम मोदी को कानपुर की बंद पड़ी मिलों की स्थिति और उनके पुनरुद्धार की संभावनाओं से अवगत कराया। इस मुलाकात के दौरान कानपुर सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सनातन नव जागरण के महानायक का एक विशेष मोमेंटो भेंट किया। इस पर पीएम की तस्वीर बनी थी। रमेश अवस्थी ने पीएम को वह डायरी भी भेंट की, जो उन्होंने मन की बात पर बनवाई है।

पीएम से मुलाकात के दौरान सांसद रमेश अवस्थी ने उन्हें कानपुर की बंद पड़ी मिलों की स्थिति और उनके पुनरुद्धार की संभावनाओं से अवगत कराया। इसके अलावा, उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र से जुड़े अन्य प्रमुख विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की।सांसद रमेश अवस्थी ने बताया कि जब 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत की थी, तब उन्होंने स्वच्छता के प्रति जागरूकता को विशेष प्राथमिकता दी थी। इसी प्रेरणा से उन्होंने भी स्वच्छता अभियान के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें देश की पहली स्वच्छता जन जागरूकता यात्रा का नेतृत्व करना, स्वच्छता टोल फ्री नंबर की शुरुआत करना और अन्य विभिन्न अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद रमेश अवस्थी को आश्वासन दिया कि मोदी सरकार कानपुर के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सांसद रमेश अवस्थी ने बताया कि 2025 में कानपुर में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की जाएंगी, जिससे शहर के नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा और कानपुर का तेजी से विकास सुनिश्चित होगा।

सांसद रमेश अवस्थी ने क्या कहा
दिल्ली मे हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद रमेश अवस्थी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कानपुर के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उनके नेतृत्व में 2025 में कानपुर में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू की जाएंगी, जिससे शहर के नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा और कानपुर का तेजी से विकास सुनिश्चित होगा। रमेश अवस्थी ने कहा कि कानपुर में जाम की सबसे बड़ी समस्या है। इस पर उन्होंने काम शुरू कर दिया है। कई फ्लाइओवर बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से भी उन्होंने कानपुर के विकास को लेकर चर्चा और और पीएम ने इस पर हर तरह से केंद्र की मदद का आश्वासन दिया है।
सीएम योगी ने किया था ऐलान
आपको याद दिला दें कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ कानपुर पहुंचे थे, उन्होंने 751 करोड़ की 441 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया था. इस दौरान सीएम योगी ने वादा किया कि वो कानपुर की ऐतिहासिक इमारत ‘लाल इमली मिल’ को फिर से शुरू करेंगे। सीएम योगी ने कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि जब वो शहर आ रहे ते तो उनकी नजर एक पुरानी इमारत पर पड़ी. जब उन्होंने साथ बैठे महीने के मंत्रियों से पूछा कि ये इमारत किसकी तो मंत्री जी ने बताया कि ऐतिहासिक लाल इमली इमारत है जो कभी कानपुर की पहचान हुआ करती थी। सीएम योगी ने कहां वो कानपुर की लाल इमली को फिर से शुरू कराएंगे. इसके लिए जल्द से जल्द ही बड़े पैकेज का एलान होगा. उन्होंने कहा कि पुरानी सरकारों के ढुलमुल रवैये की वजह से ये बंद हो गई. लेकिन, मैं लाल इमली को शुरू करने के लिए बड़ा पैकेज दिया जाएगा कहा था.

कब हुई थी लाल इमली की स्थापना?
कानपुर की लाल इमली मिल की स्थापना वर्ष 1876 में जार्ज ऐलन, गैविन एस जोन्स, , वीई कूपर, बिवैन पेटमैन और डॉ. कोंडोन आदि ने की थी. बताया जाता है कि पहले यह मिल ब्रिटिश सरकार की सेना के सिपाहियों के लिए कंबल बनाने का काम होता था, तब इसका नाम लाल इमली नही कॉनपोरे वुलन मिल्स था. बाद में मिल परिसर में लाल इमली के पेड़ होने की वजह से इसका नाम लाल इमली पड़ा। बता दें 1950 के दौरान लाल मिल के पास 65000 मीटर कपड़ा उत्पादित करने की क्षमता थी, इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि मिल ने ‘मेरिनो ऊन’ से बने उच्चतम गुणवत्ता वाले ऊनी कपड़े बनाने के लिए 24 घंटे के लिए तीन शिफ्टों में 10,000 श्रमिकों को नियुक्त किया।

विदेशी तटों को एक्सपोर्ट किए जाने वाले वूलेन निर्माण के अलावा, लाल इमली ने विभिन्न प्रयोजनों के लिए सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले कपड़ों का भी निर्माण किया। ‘मेरिनो ऊन’ से बनने वाले गर्म उत्पादों की लोकप्रियता इस कदर हो गई थी कि बेस्ट वूलन क्लाॅथ के लिए लाल इमली को स्पेन में इंटरनेशनल ग्लोबल अवार्ड मिला था। राष्ट्रीयकरण के बाद, लाल इमली मिल ने नो लॉस, “नो प्रॉफ़िट, मॉडल पर काम करना शुरू कर दिया, जिससे, कीमतें इतनी किफायती थीं कि उपेक्षित वर्ग से लेकर उत्कृष्ट वर्ग जैसे समाज के प्रत्येक तबके इसे खरीद सके। इसने लाल इमली द्वारा उत्पादित ऊनी कपड़ों की लोकप्रियता में भारी वृद्धि को सुनिश्चित किया और इसके परिणामस्वरूप, उसने कॉनपोर वूलेन मिल्स की अन्य सहायक कंपनियों पर को भी पीछे छोड़ दिया। यहां के बने उत्पाद की चमक सात समंदर पार भी दिखाई देती थी. लेकिन जो कानपुर का औद्योगिक स्वरूप था वह बिगड़ता चला गया और यहां की मिल धीरे-धीरे बंद होने लगी. यही हाल कानपुर की लाल इमली पर भी होने लगा, हालांकि इसे बंद होने से पहले जान फूंकने की भी और कई बार कोशिश की गई, 2001 में सरकार द्वारा 211 करोड़ रुपए का बजट दिया गया था. 2005 में 47 करोड़ का बजट दिया गया फिर पांच साल बाद 2011 में 338 करोड रुपए का बजट देकर लाल इमली को सुधारने की कोशिश की गई. लेकिन फिर भी इसके हालातों में सुधार न हो सका. जिसके बाद नीति आयोग ने लाल इमली मिल को बंद करने का सुझाव दिया था।