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इस मंदिर में होते हैं चमत्कार, माता रानी श्रद्धालुओं को देती हैं उनके प्रश्नों का लिखित में जवाब

[Edited By: Vijay]

Friday, 18th December , 2020 06:14 pm

राजस्थान के अजमेर जिले के बिजयनगर का बाड़ी माता का मंदिर दैवीय आस्था का अनूठा केन्द्र हैं, जहां कहते हैं पाती के जरिए माता अपने भक्त की हर मुराद पूरी करती हैं. कुछ इसी तरह की कहानी आज हम आपके बताने जा रहे हैं. दरअसल, कहना चुन्नी लाल टांक की है जो अजमेर जिले के बिजयनगर के राजकीय सीनियर सैकण्डरी स्कूल में वाणिज्य के व्याख्यता थे और जाति से कुम्हार. देवी दुर्गा के ये उपासक सादगी से जीवन जीते और छात्रों को पढ़ाते थे. बताया जाता है कि बिजयनगर में सालों से मौजूद बाड़ी माता मंदिर के पुजारी को एक दिन सपना आया कि चुन्नी लाल टांक को बुलाओ और उससे कहो कि फूल-पाती के जरिए मुझसे प्रश्न पूछे. टांक मंदिर पहुंचे और माता की मूर्ति से अंग्रेजी में पाती लिखकर प्रश्न पूछा. उनको लगा कि माता क्या अंग्रेजी शब्द में उत्तर दे पाएंगी. उसी रात सपने में माता ने उन्हें जवाब दिया और ये भी कहा अंग्रेजी मैंने ही तुम्हें सीखाई है. इस घटना के बाद 1970 को एक दिन टांक ने खुद को बिजयनगर से चार किलोमीटर दूर बाड़ी माता मंदिर के प्रांगण में पड़ा पाया, जबकि वे वहां गए ही नहीं थे.

 इसके बाद टांक माता के मंदिर समर्पित हो गए उन्होंने पैंट-शर्ट और जूते-चप्पल पहनना त्याग दिया. कुर्ता-धोती और नंगे पैर रहना ही उनकी पहचान हो गया. इसी वेश में वे छात्रों को पढ़ाने स्कूल भी जाते हैं. बस यहीं से बाड़ी माता मंदिर की ख्याति चारो ओर फैलती चली गयी... टांक आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित भक्ति के मानकों ने बाड़ी माता मंदिर को धाम बना दिया. मंदिर भव्य बना और गौशाला स्थापित हुई.

             

बाड़ी माता मंदिर की विशेषता है फूल-पाती के जरिए माता की मूर्ति तक अपनी बात पहुंचाना. चमत्कार ऐसा ही कुछ ही देर में पाती पर आपके लिखे प्रश्नों के हल का जबाव मूर्ति पर लगे सिंदूर से गिरे अंश के जरिए मिल जाएगा. जवाब उन्हें भी यहां से मिला है जो इन सब बातों को अंधविश्वास मानते हैं.

बताया जाता है कि मंदिर में चमत्कार ऐसे हैं कि जो सच्चे मन से यहां आता है उसकी मुराद जरूर पूरी होती है. शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर रहे बी एल मरडिया, समाजसेवी हगामी लाल शर्मा, लालचंद पोखरना, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवर लाल जाट के साथ ऐसा ही हुआ जो मुराद की वो प्राप्त हुई. चाहे वो रोगी ही क्यों ना हो. माता की विलक्षण पाती से मिला उत्तर श्रद्धालु के चक्षु खोल देता है. राजस्थान में देवी का यही शायद एकमात्र मंदिर है जहां नवरात्र की अष्टमी को महिषासुर का दहन होता है. साथ ही शरद पूर्णिमा को सर्वरोगनाशक खीर श्रद्धालुओं की दी जाती है. राजस्थान ही नहीं देश के कोने-कोने से नवरात्र में विशेष तौर पर श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए बाड़ी माता आते हैं और अपनी आंखों से देखते हैं माता की महिमा.

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