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कांग्रेस का दामन छोड़ थामा भाजपा का हाथ

[Edited By: Arshi]

Wednesday, 9th June , 2021 03:11 pm

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के बीच विधानसभा चुनाव से पहले अंदरुनी विवाद का निपटारा कर रही कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा. कांग्रेस के नेता जितिन प्रसाद ने कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया. जितिन प्रसाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी भाजपा कार्यायलय में भाजपा में शामिल हुए. जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को पार्टी के मिशन यूपी 2022 की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा .
लोगों का मानना है कि जितिन प्रसाद ब्राह्मण नेता हैं और उनको पाले में लाकर भाजपा ब्राह्मणों में संदेश देना चाहती है कि पार्टी उनके साथ है. भाजपा सांसद और प्रवक्ता अनिल बलूनी ने एक ट्वीट किया था कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में कोई बड़ी हस्ती पार्टी में शामिल होगी जिसके बाद से ही कयासबाजी शुरू हो गई. कांग्रेस के कई दिग्गज पार्टी आलाकमान से नाराज हैं, इसलिए गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, सचिन पायलट और जितिन प्रसाद के नाम पर कयास लगाए जा रहे थे. हालांकि, इन नेताओं में सबसे अधिक चर्चा में पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद की ही हो रही थी.
जितिन प्रसाद धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. इसके साथ ही यूपी सरकार में उनके पास मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री की जिम्मेदारी रह चुकी है. जितिन प्रसाद का नाम उन युवा नेताओं में शुमार रहा है, जो राहुल गांधी के करीबी रहे हैं. इससे पहले राहुल के ही सबसे करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा था. इसके बाद भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा भेजा.
जितिन प्रसाद, कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं, जितेंद्र प्रसाद दो प्रधानमंत्रियों के राजनीतिक सलाहकार रहे. वर्ष 2000 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे, लेकिन वह हारे. वर्ष 2001 में जितेंद्र प्रसाद का निधन हो गया, जिसके बाद पिता जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत को जितिन प्रसाद ने संभाला. वर्ष 2001 में वह इंडियन यूथ कांग्रेस से जुड़े. वर्ष 2004 में जितिन प्रसाद शाहजहांपुर सीट से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे.
वह मंत्री बनने वाले सबसे युवा चेहरों में से एक थे. यूपीए-2 में जितिन प्रसाद को पेट्रोलियम और सड़क एवं परिवहन जैसे अहम मंत्रालय की तरह राज्य मंत्री जिम्मेदारी मिली. वर्ष 2014 का चुनाव जितिन प्रसाद हार गए. इसके बाद से ही जितिन प्रसाद के राजनीतिक सितारे गर्दिश में चल रहे, कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों में जितिन भी शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और इसे और ज्यादा सजीव बनाने के लिए पत्र लिखा.
उत्तर प्रदेश में इसको लेकर कई नेताओं ने उनका विरोध भी किया था. जितिन प्रसाद लंबे समय से ब्राह्मण समाज के हक में आवाज उठाते रहे लेकिन कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से उन्हें समर्थन नहीं मिल रहा था. यही वजह थी कि जब जितिन ने ब्रह्म चेतना सवांद कार्यक्रम की घोषणा की तो पार्टी ने इससे किनारा कर लिया. कई नेताओं ने यह तक कहा कि वह उनका अपना निजी मसला है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथ में है. यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार उर्फ लल्लू बनाए गए हैं, तब से जितिन प्रसाद को यूपी कांग्रेस में तवज्जो नहीं मिली, कई बार खुले मंच पर वह अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके. यूपी कांग्रेस की कई समितियों में जितिन प्रसाद को नहीं रखा गया था. इसके बाद जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी बना दिया था यानी उनको यूपी की सियासत से दूर कर दिया गया था. इससे जितिन प्रसाद नाराज चल रहे थे.

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