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कानपुर शहर की 10 विधानसभा सीटों का जानिये हाल- क्या है जमीनी हकीकत और चुनावी गणित

[Edited By: Vijay]

Thursday, 23rd September , 2021 02:50 pm

उत्तर प्रदेश के कानपुर को औद्योगिक नगरी के नाम से भी जाता है। कानपुर का इतिहास आजादी के दिवानों से लेकर अंग्रेजी हुकुमत की क्रूरता से जुड़ा है। कहा जाता कि कानपुर की मिलों में बजने वाले सायरन से यहां पर सुबह और शाम का अंदाज लगाया जाता था। देश की आजादी के बाद कानपुर सूबे की राजनीति का भी बड़ा केंद्र रहा है। कानपुर में लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी ने राज किया है। इसे कांग्रेस पार्टी का गढ़ भी कहा जाता था। लेकिन बदलते हालात के साथ कांग्रसियों के पैर कानपुर से उखड़ते चले गए। कानपुर में 10 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी की लहर थी। बीजेपी ने 10 में से 07 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। वहीं एसपी को दो और कांग्रेस पार्टी को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा था। हम आपको बता रहे हैं कानपुर की सभी विधानसभा सीटों का चुनावी गणित...

01- बिल्हौर विधानसभा (209) सीट

कानपुर की बिल्हौर विधानसभा सीट पहले लोकसभा सीट हुआ करती थी। 2009 लोकसभा चुनाव में हुए परिसीमन के बाद बिल्हौर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। परिसीमन के बाद बिल्हौर लोकसभा सीट का बड़ा हिस्सा टूट कर अकबरपुर लोकसभा सीट में चला गया था। बिल्हौर विधानसभा सीट आरक्षित है, इसे ग्रामीण परिवेश की सीट कहा जाता है। बिल्हौर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक एससी और ओबीसी वोटरों की संख्या है। इसके बाद मुस्लिम और जनरल वोटर आते हैं। विधानसभा चुनाव 2012 में समाजवादी से पार्टी से अरूणा कोरी ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के भगवती प्रसाद सागर ने शानदार जीत दर्ज की थी।

02- बिठूर विधानसभा (210) सीट

कानपुर की बिठूर विधानसभा सीट क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी है। विधानसभा चुनाव 2012 में हुए परिसीमन के बाद बिठूर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। बिठूर विधानसभा सीट में ओबीसी वोटरों की सबसे बड़ी आबादी है। इसके बाद जनरल और एससी वोटर है। मुस्लिम वोटरों की आबादी बेहद कम है। विधानसभा चुनाव 2012 में समाजवादी पार्टी के मुनींद्र शुक्ला ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अभिजीत सिंह सांगा एसपी के मुनींद्र शुक्ला को हरा कर शानदार जीत दर्ज की थी।

03- कल्यानपुर विधानसभा (211) सीट

कानपुर की कल्यानपुर विधानसभा सीट पहले कांग्रेसियों का गढ़ रही। इसके बाद इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। बीजेपी की प्रेमलता कटियार लगातार चार विधायक रही हैं। कल्यानपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक ओबीसी वोटर रहते हैं। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में एसपी के सतीश निगम से चार की विधायक रहीं प्रेमलता कटियार हार गईं थी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रेमलता कटियार की बेटी ने नीलिमा कटियार ने जीत दर्ज थी।

04- गोविंद नगर विधानसभा (212) सीट

गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल क्षेत्र है बीते दो विधानसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है। 2012 से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने बड़ी जीत हासिल की थी। वहीं 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सत्यदेव पचौरी को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव पचौरी को प्रत्याशी बनाया था। सत्यदेव पचौरी ने कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री को हराकर सांसद बने थे। सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने के बाद गोविंद नगर सीट पर विधानसभा उपचुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी के सुरेंद्र मैथानी ने जीत दर्ज की थी।

05- सीसामऊ विधानसभा (213) सीट

कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल इलाका है। सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में 70 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा है। एसपी के इरफान सोलंकी ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। इरफान सोलंकी 2007 के विधानसभा चुनाव में आर्यनगर विधानसभा सीट से भी चुनाव जीत चुके हैं। इरफान सोलंकी लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं।

06- आर्यनगर विधानसभा (214) सीट

आर्यनगर विधानसभा सीट जनरल सीट है। इस सीट को व्यापारियों की सीट भी कहा जाता है। आर्यनगर क्षेत्र में यूपी की सबसे बड़ी कपड़़ा मार्केट है, बिरहाना रोड पर जूलरी की शॉप हैं, नौघड़ा की मार्केट है। इसे कानपुर की आर्थिक मंडी भी कहा जाता है। आर्यनगर में जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। इसके साथ ही यहां पर मुस्लिम आबादी भी रहती है। आर्यनगर विधानसभा सीट से 2012 में बीजेपी के सलिल विश्नोई विधायक थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के अमिताभ वाजपेई ने शानदार जीत दर्ज की थी।

07- किदवई नगर विधानसभा (215) सीट

किदवई नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल इलाका है। विधानसभा चुनाव 2012 से पहले हुए परिसीमन के बाद किदवई नगर विधानसभा अस्तित्व में आई थी। गोविंद नगर विधानसभा सीट को तोड़कर किदवई नगर विधानसभा सीट को बनाया गया था। विधानसभा चुनाव 2012 में कांग्रेस के अजय कपूर ने जीत दर्ज की थी। इससे पहले अजय कपूर गोविंद नगर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के महेश त्रिवेदी ने कांग्रेस के अजय कपूर को हरा कर कमल खिलाया था।

 

08- कैंट विधानसभा (216) सीट

कानपुर की कैंट विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। कानपुर में सर्वाधिक मुस्लिम वोटर कैंट क्षेत्र में रहते हैं। मुस्लिम बाहुल सीट होने के बाद भी 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रघुनंदन सिंह भदौरिया ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सुहैल अंसारी ने शानदार जीत दर्ज की थी।

09- महाराजपुर विधानसभा (217) सीट

विधानसभा चुनाव 2012 में हुए परिसीमन के बाद महाराजपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। यह सीट पहले सरसौल विधानसभा सीट हुआ करती थी। महाराज विधानसभा सीट पर ओबीसी और जनरल वोटरों की संख्या सबसे अधिक हैं। इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। महाराजपुर विधानसभा सीट से कैबिनेट मंत्री सतीश महाना विधायक हैं। सतीश महाना ने 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में कमल खिलाया था।

10- घाटमपुर विधानसभा (218) सीट

कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। इस सीट पर ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। 2012 के विधानसभा चुनाव में घाटमपुर सीट से एसपी के इंद्रजीत कोरी जीते थे। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की कमलरानी वरूण जीती थीं। कमल रानी वरूण को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। लेकिन कोरोना की पहली लहर में उनका निधन हो गया था। इसके बाद घाटमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे। जिसमें उपेंद्र पासवान ने शानदार जीत दर्ज की थी। कानपुर की सभी विधानसभा सीटों पर बेरोजगारी, खस्ताहाल सड़कें, गंदगी, पानी, सीवर भराव, की समस्याएं आम हैं। पिछले कई दशकों से लगातार सरकारें आती-जाती रहीं। लेकिन आम जनमानस की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।

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