आज से 23 साल पहले करगिल की पहाड़ियों पर भारत के शूरवीरों ने विजयगाथा लिखी थी. भारत के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के मनसूबों को धूल चटाई और करगिल की चोटियों पर तिरंगा लहरा दिया. हर भारतीय को गर्व से भर देने वाली वह तारीख थी 26 जुलाई. जिसे हम करगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. हर साल 26 जुलाई को उस ऐतिहासिक दिन को चिह्नित करने के लिए करगिल विजय दिवस मनाया जाता है
कारगिल युद्ध के बारे में जानिए कब क्या हुआ था
दरअसल सर्दियों की शुरुआत में सैनिक ऊंची चोटियों पर अपनी पोस्ट छोड़कर निचले इलाकों में आ जाते थे. पाकिस्तान और भारतीय दोनों सेनाएं ऐसा करती थीं. सर्दियों में जब भारतीय सेना चोटियों से नीची उतरी तो पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने चुपके से घुसपैठ करके प्रमुख चोटियों को अपने कब्जे में ले लिया. पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी अब ऐसी प्रमुख चोटियों पर तैनात थे, जहां से वह भारतीय सेना को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते थे.
सर्दियां बीत गईं. सूरज की बढ़ती तपिश के साथ जमीं बर्फ की चादर धीरे-धीरे पिघलने लगी. इसी के साथ, पहाड़ी के ऊपरी हिस्से की ओर जानवरों और चरवाहों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया था. उस दिन तारीख 3 मई 1999 की थी. जब एक यार्क भटक कर वंजू टॉप तक पहुंच गई थी और इस यार्क को खोजते हुए आए ताशी नामग्याल नाम के चरवाहे की नजर सरहद पार से आए दशहत से भरे इन चेहरों पर पड़ गई थी.
भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरूआत कर दुश्मन को उनके अंजाम तक पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी. ऑपरेशन विजय के शुरू होते ही तोलोलिंग की पहाड़ियों पर बैठे दुश्मन ने नेशनल हाईवे वन एल्फा से गुजर रहे सैन्य वाहनों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. ऐसी स्थिति में, द्रास सेक्टर के अंतर्गत आने वाली तोलोलिंग की पहाड़ियों पर मौजूद दुश्मन को उसके अंजाम तक पहुंचाना बहुत जरूरी हो गया था. इसी के साथ, सामरिक महत्व वाले मुशकोह घाटी और काकसर क्षेत्रों में भी भारतीय सेना ने हमले की तैयारी पूरी कर ली.
इसके बाद शुरू हुआ भारतीय सेना का विजय अभियान. इस अभियान में भारतीय सेना को दूसरी बड़ी सफलता 13 जून को तोलोलिंग और प्वाइंट 4590 पर दोबारा कब्जे के बाद मिली. इसके बाद, लगातार प्वाइंट 5410, प्वाइंट 4700, ब्लैक रॉक, थ्री पिंपल, प्वाइंट 5000, प्वाइंट 5287, टाइगर हिल, प्वाइंट 4875 और जूलू सुपर कॉप्लेक्टस पर कब्जा करती गई. 26 जुलाई तक भारतीय सेना ने अपने सभी भारतीय इलाकों को दुश्मन सेना से मुक्त करा लिया और इसी दिन आधिकारिक तौर पर कारगिल युद्ध का अंत हो गया.
ऑपरेशन के बाद, घुसपैठियों के कब्जे से जो दस्तावेज मिले, वह भारतीय सेना को चौंकाने के लिए काफी थे. ये दस्तावेज इस बात के साक्ष्य थे कि मुठभेड़ में मारे गए ये आतंकवादी पाकिस्तान सेना-अर्धसैनिक बल के मुश्तकिल जवान थे, जिन्हें घुसपैठियों के भेष में सीमापार से भेजा गया था.
इस दिन ही कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 60 दिनों तक चले युद्ध का अंत हुआ था. भारत को इस युद्ध में जीत मिली थी. साल 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठिये आतंकी और सैनिक चोरी-छिपे कारगिल की पहाड़ियों में घुस आए थे. इनके खिलाफ भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और घुसपैठियों को या मौत के घाट उतार दिया या भागने पर मजबूर कर दिया. 26 जुलाई को ही सेना ने अपने पराक्रम के दम पर कारगिल की पहाड़ियों को घुसपैठियों के चंगुल से पूरी तरह मुक्त करा लिया. कारगिल युद्व में हालांकि 500 से ज्यादा भारतीय जवान शहीद भी हुए थे. हर साल कारगिल विजय दिवस के मौके पर देश में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है.