कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह इन दिनों एक्शन मे है, आज विकास भवन का निरीक्षण करते हुए शासन की नीति के तहत अधिकारियों को निर्देशित किया कि सुबह 10 से 12 बजे तक वे अपने-अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर जनता की समस्याओं को सुनें और उनका समय पर समाधान करें। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने डीआरडीए, डीएसटीओ, जिला पंचायत राज और जिला कृषि अधिकारी कार्यालयों का भी दौरा किया, जहां उन्हें कई खामियां देखने को मिलीं।
निरीक्षण के दौरान प्रमुख समस्याएं सामने आईं, जिनमें कर्मचारियों की अनुपस्थिति, खराब लाइटिंग और शौचालयों की अव्यवस्था शामिल थी। समाज कल्याण और डूडा विभाग द्वारा स्थापित हेल्प डेस्क का निरीक्षण करते हुए जिलाधिकारी ने पाया कि डूडा विभाग के कर्मचारी तो उपस्थित थे, लेकिन समाज कल्याण के हेल्प डेस्क रजिस्टर में दिनभर में सिर्फ 5 लोगों के नाम ही दर्ज थे। इस पर उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया कि कर्मचारियों को अतिरिक्त कार्य सौंपे जाएं।

डीआरडीए कार्यालय में निरीक्षण के दौरान एक द्वार बंद पाया गया, जिसमें गंदगी थी, और कार्यालय रजिस्टर में संबंधित हस्ताक्षरों के बावजूद नाम दर्ज नहीं थे। जिलाधिकारी ने संबंधित के नाम की मोहर और पदनाम लगाने के निर्देश दिए। डीएसटीओ कार्यालय में लाइट की गुणवत्ता खराब पाई गई, और वहां अनुपस्थित कर्मचारी आभा कुमारी के अलावा दो अन्य कर्मचारी सीएल पर थे।
आज विकास भवन का औचक निरीक्षण किया गया l निरीक्षण के दौरान कई कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। अन्य खामियां भी मिली। संबंधित अधिकारियों को प्रभावी कार्रवाई हेतु निर्देश दिए गए।
जिला पंचायत राज कार्यालय में दीप्ति प्रसूति अवकाश पर थीं, और जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में सागर चौधरी ने आकस्मिक अवकाश लिया था, लेकिन मानव संपदा पोर्टल पर छुट्टी दर्ज नहीं थी, जिस पर जिला कृषि अधिकारी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए।
इसी दौरान, शौचालयों की स्थिति भी जांची गई, और पाया गया कि एक शौचालय ताला बंद था तथा बेसिन की एक टोटी टूटी हुई थी। इस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताते हुए जिला विकास अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और अनुपस्थित कर्मचारियों का वेतन रोकने के निर्देश दिए।