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कानपुर-93 साल पहले आज ही के दिन बना था कानपुर सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन

[Edited By: Vijay]

Tuesday, 16th November , 2021 02:01 pm

सेंट्रल स्टेशन की भव्य इमारत को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे इसे कल ही बनाया गया हो, लेकिन ऐसा नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सेंट्रल स्टेशन की नींव 93 साल पहले 16 नवंबर को रखी गई थी। डेढ़ साल के भीतर तीन रेल ट्रैक और कुछ ट्रेनों के साथ शुरू हुए सेंट्रल स्टेशन में आज दस प्लेटफार्म हैं और यहां से 350 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं।

आजादी से पहले ट्रेनों का संचालन पुराना कानपुर से किया जाता था। वक्त के साथ यह रेलवे स्टेशन छोटा पडऩे लगा तो चेंबर आफ कामर्स ने कानपुर सेंट्रल स्टेशन बनाने की सिफारिश की। चेंबर आफ कामर्स की सिफारिश अंग्रेजों को भी उचित लगी। सर्वे और रेलवे रिपोर्ट के बाद रेलवे के मुख्य आयुक्त सर आस्टन होडो केटी और अधिकारी जान एच हैरीमैन ने 16 नवंबर 1928 को सेंट्रल स्टेशन की नींव रखी। एक साल चार माह और 13 दिन में सेंट्रल स्टेशन बनकर तैयार हो गया। सेंट्रल स्टेशन का निर्माण राज बहादुर, सरदार नारायण सिंह और सरदार सेवा सिंह गिल ने कराया। सेंट्रल स्टेशन को बनाने में तब 19.75 लाख रुपये का खर्च आया, जिसके बाद 29 मार्च 1930 को सेंट्रल स्टेशन से मुंबई की ट्रेनों को चलाने की शुरुआत की गई।

                           

10 प्लेटफार्म, 350 ट्रेनें गुजरतीं

तीन लाइनों से शुरू हुए सेंट्रल स्टेशन में आज 10 प्लेटफार्म हैं जिनसे प्रतिदिन 350 से ज्यादा ट्रेनों का आवागमन होता है। सेंट्रल स्टेशन से तब छोटी लाइन पर डीजल इंजन से ट्रेनें चलाई जाती थीं, जबकि आज बड़ी लाइन पर इलेक्ट्रिक इंजन पर ट्रेनें दौड़ रही हैं। सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेनों के बढ़ते लोड को देखते हुए गोविंदपुरी, पनकी, अनवरगंज समेत अन्य रेलवे स्टेशन को भी विकसित किया गया। गोविंदपुरी को टर्मिनल बनाने का प्रस्ताव दिया जा चुका है।

वंदेभारत जैसी सुपरफास्ट ट्रेनें दौड़ रहीं

सेंट्रल स्टेशन से वर्तमान में सुपरफास्ट सेमी आटोमेटिक ट्रेन-18 जिसे वंदेभारत कहा जाता है का संचालन हो रहा है। इसके साथ ही राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी, श्रमशक्ति, गरीब रथ, हमसफर, तेजस जैसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। सेंट्रल स्टेशन पर लिफ्ट और स्वचलित सीढिय़ों से यात्री आवागमन करते हैं।

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